जैविक खेती कर आकर्षण का केन्द्र बने बीटेक युवा किसान दुष्यंत सिंह
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बलिया, 23 फरवरी (हि.स.)। खेती को दोयम दर्जे का काम मानकर कुछ युवा जहां नौकरी की तलाश में भटक रहे हैं, वहीं बीटेक करने के बाद बड़े पैकेज की नौकरी छोड़ बलिया के युवा ने खेती किसानी को चुना है। हैरत की बात तो यह है कि युवा किसान ने कामयाबी की ऐसी इबारत लिखी है कि देश के शीर्ष नेता भी उनकी सराहना कर रहे हैं।
जिले के बसन्तपुर निवासी बीटेक डिग्रीधारी युवा दुष्यंत सिंह ने इस बार 65 बीघे में काला नमक धान की आर्गेनिक खेती की है। जिसमें कुल नौ लाख की लागत आयी है। उनके अनुसार अभी तक 26 लाख रूपये की बिक्री कर चुके हैं। दुष्यंत धान की चर्चित प्रजाति के साथ ही आलू की भी प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। इसे कुफरी सिंदूरी प्रजाति के नाम से जाना जाता है। आलू की खेती कुल साढ़े तीन बीघे में की गई है। दुष्यंत खेती के लिए बाजार से गुड़ के अलावा कुछ भी नहीं खरीदते हैं। खास बात यह है कि उनकी खेती गाय पर आधारित है। गाय के गोबर से ही अपनी खेती को लहलहा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि खेती में बाजारू खाद का उपयोग नहीं किया जाता है। बावजूद इसके बंपर पैदावार के साथ शुद्ध अनाज मिलता है। इधर, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश सिंह जो इन दिनों गृह जनपद के प्रवास पर हैं। उन्होंने युवा किसान शहर से सटे बसन्तपुर निवासी दुष्यंत सिंह की खेती किसानी में कामयाबी को देखने पहुंच गए। हरिवंश सिंह ने दुष्यंत के कृषि कार्य को बारीकी से देखा। साथ ही जमकर सराहना की।
युवा किसान दुष्यंत सिंह की कहानी हर युवा के लिए प्रेरणा बन सकती है। उन्होंने न केवल खेती को एक अलग आयाम दिया बल्कि 10 लोगों के लिए रोजगार का बड़ा साधन भी बने हैं। गाय पर आधारित यह कृषि हर किसी के लिए प्रेरणास्रोत बन गई है। यहां तक की आसपास के लोग भी खेती की तरफ रुख करते दिखाई दे रहे हैं।
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नौकरी छोड़ शुरू की खेती-किसानी
युवा किसान का नाम दुष्यंत कुमार सिंह है। उन्होंने बताया कि वह बसंतपुर बलिया का रहने वाले हैं। वर्ष 2017 में कंप्यूटर साइंस से बीटेक पास करने के बाद एक साल बैंगलुरू में जॉब किया। इसी बीच अचानक दुष्यंत की कृषि क्षेत्र के मशहूर चेहरा सुभाष पालेकर से मुलाकात हुई। केवल एक घंटे के बातचीत ने कमाल कर दिया। दुष्यंत ने अपनी नौकरी छोड़ गांव आकर खेती करनी शुरू दी।
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देसी गायों से तैयार करते जैविक खाद
दुष्यंत ने बताया कि खेती को करने के लिए उन्होंने 17 देसी गंगातीरी नस्ल की गायों को भी पाले हुए हैं। इन्हीं गायों से वह पंचगव्य, कृपामृत, जीवामृत, बीजामृत और कंपोस्ट जैसे तमाम पोषक तत्वों से भरपूर खाद बनाते हैं। गाय के द्वारा मिले खाद को ही खेती में डालते हैं।
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लाखों में है मुनाफा
दुष्यंत फिलहाल खेती बहुत खुशी से कर रहे हैं। काला नमक धान की फसल तैयार है। नौ लाख खर्च कर अभी तक 26 लाख की आमदनी कर चुके हैं। खास बात यह है कि डिजिटल तकनीक के जरिए दुष्यंत अपने धान को आसानी से बेच रहे हैं। ऑनलाइन ऑर्डर मिलता है तो समय पर डिलीवरी कर देते हैं। शहर में भी काफी लोग उनके जैविक धान या चावल के खरीदार हैं। इसके अलावा साढ़े तीन बीघे में कुफरी सिंदूरी आलू की खेती की है, जो एक बीघे में 120 क्विंटल की उपज देती है। इसके हिसाब से साढ़े तीन बीघे में 420 क्विंटल की उपज मिलने की संभावना होती है। दुष्यंत ने बताया कि कम से कम 40 रूपये किलो के हिसाब से भी आलू बिकता है तो करीब 14 लाख रुपए का टर्नओवर होता है।
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हिन्दुस्थान समाचार / नीतू तिवारी