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(संशाेधित) सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिकों की सूची में बंगाल के डॉ. नीलांकुश देश में दूसरे और विश्व में 35वें स्थान पर

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(संशाेधित) सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिकों की सूची में बंगाल के डॉ. नीलांकुश देश में दूसरे और विश्व में 35वें स्थान पर


(संशाेधित) सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिकों की सूची में बंगाल के डॉ. नीलांकुश देश में दूसरे और विश्व में 35वें स्थान पर


कोलकाता, 22 सितंबर (हि.स.)। खड़दह के गणितज्ञ और शिक्षक डॉ. नीलांकुश आचार्य ने एक बार फिर बंगाल और देश का नाम रोशन किया है। अमेरिका के प्रतिष्ठित स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा जारी दुनिया के सर्वश्रेष्ठ दो प्रतिशत वैज्ञानिकों की सूची में उन्हें भारत में दूसरा और विश्व स्तर पर 35वां स्थान प्राप्त हुआ है।

स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी वर्ष 2020 से हर साल यह सूची प्रकाशित करती है, जो वैज्ञानिकों के शोध-पत्र, उनके प्रभाव और उद्धरणों के आधार पर तैयार होती है। इस सूची में आमतौर पर अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर और शोधकर्ता शामिल होते हैं। ऐसे में एक साधारण स्कूल शिक्षक के रूप में डॉ. आचार्य का नाम इस सूची में आना उनकी असाधारण प्रतिभा और संघर्ष की मिसाल है।

डॉ. आचार्य वर्तमान में उत्तर 24 परगना के बैरकपुर स्थित उमाशशी हाई स्कूल में गणित पढ़ाते हैं। कठिन परिस्थितियों, शोध के सीमित संसाधनों और बिना बड़े संस्थान का सहयोग पाए भी उन्होंने स्वतंत्र शोधकर्ता के रूप में अपनी पहचान बनाई है। उनका शोध क्षेत्र नैनोफ्लुइड है - ऐसा द्रव जिसमें 100 नैनोमीटर से भी छोटे ठोस कण मौजूद होते हैं। इस विशेष प्रकार के आधुनिक द्रव का उपयोग इंजीनियरिंग से लेकर चिकित्सा विज्ञान तक कई क्षेत्रों में होता है।

पिछले वर्ष यूरोप के एक यूरोपीय भौतिक जर्नल ने उन्हें विश्व के 50 उत्कृष्ट समीक्षकों में स्थान दिया था। वहीं, स्टैनफोर्ड की वैश्विक सूची में उनकी प्रगति उल्लेखनीय रही है। वर्ष 2020 में उनका स्थान 2443 था, जो 2021 में घटकर 485 हुआ। 2022 और 2023 में क्रमशः 214 और 74 पर पहुंचने के बाद अब 2024 में वे 35वें स्थान तक पहुंच गए हैं।

डॉ. आचार्य का शैक्षणिक सफर भी प्रेरणादायी है। कृष्णनगर देवनाथ हाई स्कूल से माध्यमिक, कवि विजयलाल हाई स्कूल से उच्च माध्यमिक शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने कृष्णनगर सरकारी कॉलेज से गणित में स्नातक और राजाबाजार साइंस कॉलेज से एप्लाइड मैथमेटिक्स में स्नातकोत्तर किया। बाद में जादवपुर विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि हासिल की। वर्ष 2011 में उन्होंने स्कूल शिक्षक के रूप में करियर की शुरुआत की।

सामान्य परिवार से आने वाले 35 वर्षीय नीलांकुश आचार्य के अब तक 60 अंतरराष्ट्रीय शोध-पत्र और तीन पुस्तक अध्याय प्रकाशित हो चुके हैं। उनकी मां, जो उनके अध्ययन की सबसे बड़ी प्रेरणा थीं, 2020 में कैंसर से निधन हो गया। इसके बावजूद डॉ. आचार्य ने अपने शोध और शिक्षा के जरिए लगातार ऊंचाइयां हासिल कीं।

स्टैनफोर्ड की यह सूची वैश्विक वैज्ञानिक जगत में अत्यंत प्रतिष्ठित मानी जाती है, और इसमें डॉ. आचार्य का नाम दर्ज होना बंगाल ही नहीं बल्कि पूरे भारत के लिए गौरव की बात है।----------------------------

हिन्दुस्थान समाचार