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बिहार विधानसभा चुनाव में फिर छाया जंगलराज का मुद्दा

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बिहार विधानसभा चुनाव में फिर छाया जंगलराज का मुद्दा


पटना, 01 नवम्बर (हि.स.)। बिहार विधानसभा चुनाव में बाहुबली दुलारचंद यादव की हत्या के बाद फिर एक बार जंगलराज का मुद्दा छा गया है। जंगलराज को लेकर एनडीए एवं महागठबंधन के बीच तीखी प्रतिक्रियाएं शुरू है। घुसपैठ जैसे प्रमुख मुद्दे को सीमांचल तक सीमित करने के बाद भाजपा सुशासन बनाम जंगलराज के मुद्दे को धार देने में जुटी है, तो विपक्षी गठबंधन भी वोट चोरी, जंगलराज और वक्फ अधिनियम संशोधन कानून को सीमांचल और मुस्लिम प्रभाव वाली सीटों तक सीमित कर दिया है।

एनडीए अपने जंगलराज बनाम सुशासन के पुराने मुद्दे पर कायम है। बीते एक हफ्ते में इस मुद्दे पर एनडीए के नेता और मुखर हुए हैं। चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर एनडीए के तमाम नेता महागठबंधन के मुख्य घटक राष्ट्रीय जनता दल (राजद) पर हमले के लिए इसी शब्द का बार-बार इस्तेमाल कर रहे हैं। हालांकि दो दिन पहले यानी गुरुवार देर शाम मोकामा विधानसभा क्षेत्र में बाहुबली दुलारचंद यादव की हत्या के बाद जंगलराज का मुद्दे महागठबंधन ने भी कैप्चर कर लिया है।

बिहार की राजनीति पर जंगलराज का दाग नहीं छोड़ रहा ​पीछा

'जंगलराज' बिहार की राजनीति का एक ऐसा दाग जो दो दशक बाद भी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रमुख नेता तेजस्वी यादव का पीछा नहीं छोड़ रहा है, वह है उनके माता-पिता लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी के पंद्रह वर्षीय शासन (1990-2005) पर लगा ‘जंगल राज’ का ठप्पा।

तेजस्वी के लिए छवि सुधारना बड़ी चुनौती

बिहार के कुल मतदाताओं में चौथाई से भी अधिक हिस्सेदारी रखने वाले 18 से 29 साल के 1.77 करोड़ युवा हैं। इनमें 14 लाख पहली बार वोट डालने वाले हैं। ये युवा वोटर उस दौर में पैदा भी नहीं हुए थे, जब राजद सत्ता में थी। इसके बावजूद, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उस कुशासन, अराजकता और बदहाली की कहानियां नई पीढ़ी तक लोककथाओं की तरह पहुंच रही हैं, जिससे तेजस्वी यादव के लिए अपनी पार्टी की छवि सुधारना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।

1997 में पैदा हुआ 'जंगलराज' शब्द

जंगलराज शब्द का जन्म 1997 में हुआ था। चारा घोटाले में लालू प्रसाद यादव के इस्तीफे के बाद जब राबड़ी देवी ने मुख्यमंत्री पद संभाला, तब पटना उच्च न्यायालय ने जलभराव और खराब जल निकासी से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई के दौरान मौखिक टिप्पणी की थी कि 'पटना की स्थिति जंगल राज से भी बदतर थी।' विपक्ष ने इस न्यायिक टिप्पणी को तत्काल राजनीतिक हथियार बना लिया और यह शब्द राजद के पंद्रह साल के शासन से स्थायी रूप से जुड़ गया।

लालू-राबड़ी शासन में राजनीति का अपराधीकरण

बिहार की राजनीति को नजदीक से जानने वाले राजनीतिक विश्लेषक एवं बरिष्ठ पत्रकार लव कुमार मिश्रा के मुताबिक, लालू—राबड़ी शासन के दौरान सबसे भयावह बात राजनीति का अपराधीकरण रही। उस समय फिरौती के लिए अपहरण एक उद्योग बन चुका था।

मीडिया रिपोर्ट और आंकड़ों के अनुसार, 2001 से 2004 के बीच फिरौती के लिए अपहरण के 1,527 मामले दर्ज हुए। 2005 में पटना के स्कूली छात्र किसलय के अपहरण का मामला देशभर में सुर्खियों में रहा, जब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को सार्वजनिक मंच से 'मेरा किसलय लौटा दो' कहना पड़ा था। इसके साथ ही, जातीय नरसंहारों की क्रूर शृंखला चली। 1994 से 2000 के बीच अधिकतम 337 हत्याएं हुईं। लक्ष्मणपुर बाथे (1997) और सेनारी (1999) जैसे नरसंहारों में सैकड़ों अनुसूचित जाति और उच्च जाति के लोगों को मौत के घाट उतारा गया।

'ब्रोकन प्रॉमिसेस’ पुस्तक के लेखक मृत्युंजय शर्मा ने लिखा है कि सामाजिक न्याय की आड़ में राज्य की संस्थाओं को व्यवस्थित रूप से कमजोर किया गया, जिससे 1991 और 2001 के बीच राज्य से पलायन में 200 फीसदी की वृद्धि देखी गई।

वरिष्ठ पत्रकार डॉ आशीष वशिष्ठ के अनुसार, लालू के शासनकाल को 'राजनीति के मंडलीकरण' और 'धर्मनिरपेक्षीकरण' के शुरुआती दौर के बाद 'यादवीकरण' में बंटा हुआ देखा जाता है। यादव समुदाय के सशक्तिकरण पर अत्यधिक ध्यान केंद्रित करने के परिणामस्वरूप गैर-यादव ओबीसी और ईबीसी तबके अलग-थलग पड़ गए, जिसने 2005 में नीतीश कुमार के लिए सत्ता का मार्ग प्रशस्त किया।

वशिष्ठ आगे कहते हैं, राजद आज भी यह तर्क देता है कि 'जंगल राज' शब्द उनकी सामाजिक न्याय की उपलब्धियों से ध्यान हटाने की एक राजनीतिक साजिश है, लेकिन अपराध के ये भयावह आंकड़े और प्रशासनिक पतन की कहानियां आज भी तेजस्वी यादव के राजनीतिक सफर पर एक काली छाया बनकर मंडरा रही हैं।

प्रथम चरण के अंतिम चार दिन अहम

प्रथम चरण के मतदान के लिए अब चार दिन का समय शेष है। एनडीए की ओर से प्रधानमंत्री मोदी 3, नीतीश 10 जनसभाओं को संबोधित करेंगे। महागठबंधन की ओर से तेजस्वी एक दर्जन जनसभाओं को संबोधित करेंगे। इन जनसभाओं में जंगलराज का मुद्दा छाये रहेगा।

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश