Newzfatafatlogo

बिहार विस चुनाव : बागी तय करेंगे किसे मिलेगी कुर्सी, महागठबंधन को फेंडली फाइट दे रहा ज्यादा दर्द

 | 
बिहार विस चुनाव : बागी तय करेंगे किसे मिलेगी कुर्सी, महागठबंधन को फेंडली फाइट दे रहा ज्यादा दर्द


बिहार विस चुनाव : बागी तय करेंगे किसे मिलेगी कुर्सी, महागठबंधन को फेंडली फाइट दे रहा ज्यादा दर्द


पटना, 30 अक्टूबर (हि.स.)। पिछले चुनाव में दशमलव तीन प्रतिशत वोट के अंतर ने जहां एनडीए को सत्ता की कुर्सी पकड़ा दी, वहीं महागठबंधन सत्ता से दूर हो गया। यदि पुरानी स्थिति को देखें तो ऐसी स्थिति में एक-एक वोट की कीमत बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति में विधानसभा चुनाव में बागियों द्वारा काटे गये वोट तय करेंगे कि महागठबंधन की सरकार बनेगी अथवा एनडीए की।

ये बागी हर दल के लिए सिरदर्द बन गये हैं। पूरे प्रदेश में 30 से ज्यादा ऐसी सीटें हैं, जहां बागी किसी न किसी दल के लिए सिरदर्द बढ़ा रहे हैं। इसके अलावा ऐसे भी बागी हैं, जो उम्मीदवार नहीं हैं, लेकिन या तो निष्क्रिय हो गये हैं या अपनी पार्टी के प्रत्याशी का खुलकर विरोध कर रहे हैं।

इसमें सबसे ज्यादा महागठबंधन के लिए परेशानी खड़ा कर रहे हैं। उसमें भी राजद के बागी ज्यादा हैं। यह सिरदर्द महागठबंधन के लिए ज्यादा है। महागठबंधन के लिए 11 सीटों पर आपस की लड़ाई और कठिन राह बना दिया है। इसे महागठबंधन ने फ्रेंडली फाइट का नाम दिया है।

पिछली बार दशमलव तीन प्रतिशत ज्यादा होने से बन गयी थी एनडीए की सरकार

पिछली बार एनडीए ने कुल 125 सीटें (37.26 प्रतिशत वोट) हासिल कीं, जबकि एमजीबी ने 110 सीटें (37.23 प्रतिशत वोट) जीतीं अर्थात दशमलव तीन प्रतिशत वोट की बढ़ोत्तरी ने एनडीए को सत्ता में पहुंचा दिया। वहीं यह दशमलव तीन प्रतिशत की कमी के कारण महागठबंधन सत्ता से दूर हो गया। ऐसे में बागियों का महत्व ज्यादा बढ़ जाता है, जिस दल के बागी जितना वोट काटने में सफल होंगे। उतना ही उसकी असफलता की कहानी बड़ी हो सकती है।

राजद ने निकाले सबसे ज्यादा बागी

यही कारण है कि सभी दल अपने बागियों को मनाने और न मना पाने की स्थिति में उन्हें बाहर का रास्ता दिखाकर कार्यकर्ताओं को सख्त संदेश देने का काम कर रहे हैं। इसमें सबसे ज्यादा राजद ने 27 बागियों को बाहर का रास्ता दिखाकर संदेश देने की कोशिश की है। वहीं नीतिश कुमार ने भी पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल 11 नेताओं को तत्काल प्रभाव से जेडीयू से निष्कासित कर दिया है। इन सभी नेताओं पर आरोप था कि वे पार्टी की सदस्यता रहते हुए निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे थे और आधिकारिक उम्मीदवारों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे थे।

मधेपुरा से दोनों पार्टियों में बागी

यदि बिहार की एक-एक विधानसभा पर नजर दौड़ाएं तो मधेपुरा में निर्दलीय प्रणव प्रकाश और अजय रंजन ने राजद के चंद्रशेखर यादव और जदयू के उमेश मंडल के बीच लड़ाई को दिलचस्प बना दिया है। प्रणव प्रकाश आईटी कंपनी में बड़े ओहदे पे काम कर चुके हैं। वहीं अजय रंजन पूर्व सांसद शरद यादव के करीबी माने जाते हैं। पप्पू यादव गुट का समर्थन मिलने से उनका जनाधार मजबूत हुआ है। यहां यादव-मुसहर-महादलित वोटों का बंटवारा तय है।

अजय निषाद के मित्र ने ही खड़ी कर दी परेशानी

वहीं मुजफ्फरपुर सीट पर बीजेपी के अजय निषाद का सिरदर्द उनके ही करीबी शंभू पटेल ने सिरदर्द बढ़ा दिया है। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस से टिकट न मिलने के बाद डॉ. अमरेश चौधरी निर्दलीय मैदान में हैं। वे लंबे समय से पार्टी के जिला अध्यक्ष रह चुके हैं और इलाके में शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक कामों के लिए लोकप्रिय हैं।

वैशाली में राजद व कांग्रेस दोनों की है मौजूदगी

वैशाली में राजद और कांग्रेस दोनों गठबंधन के उम्मीदवारों की मौजूदगी से पहले ही उलझन है, अब निर्दलीय विजय मंडल मैदान में हैं। उन्हें जन अधिकार पार्टी (पप्पू यादव) का अप्रत्यक्ष समर्थन मिल रहा है। विजय मंडल यादव और अतिपिछड़ा वोट बैंक पर पकड़ रखते हैं। नवादा में निर्दलीय रवि सिंह ने एनडीए का सिरदर्द बढ़ा रहे हैं। वे पहले जदयू से जुड़े थे, लेकिन टिकट कटने के बाद बागी हो गए।

सासाराम और बक्सर में भी फंसा पेंच

वहीं जदयू के जिला महासचिव रह चुके चंद्रभूषण तिवारी ने सासाराम सीट पर निर्दलीय चुनाव लड़कर जदयू के लिए सिरदर्द बन गये हैं। वहीं कटिहार में निर्दलीय रहीम खान का उतरना महागठबंधन के लिए परेशानी बना हुआ है। वे एआईएएम से पहले जुड़े थे और अब मुसलमान व यादव वोटों में सीधे सेंध लगा सकते हैं। यह सीट पहले ही त्रिकोणीय मुकाबले में फंसी हुई थी। सीवान सीट पर निर्दलीय सतीश सिंह, जो पूर्व सांसद ओमप्रकाश यादव के समर्थक माने जाते हैं।

पटना सिटी सीट पर व्यापारी संघ के अध्यक्ष निर्दलीय उम्मीदवार राजकुमार गुप्ता जीएसटी और छोटे व्यापारियों के मुद्दे उठा रहे हैं। वहीं जहानाबाद में राजद से टिकट न मिलने के बाद मनोज यादव ने राजद प्रत्याशी का सिरदर्द बढ़ा रहे हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/उपेन्द्रनाथ राय

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश