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ट्रंप का ‘वीजा बम’ और भारत–अमेरिका सम्बंध

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ट्रंप का ‘वीजा बम’ और भारत–अमेरिका सम्बंध


ट्रंप का ‘वीजा बम’ और भारत–अमेरिका सम्बंध


प्रयागराज, 22 सितम्बर (हि.स)। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा H-1B वीजा शुल्क को अचानक 1–6 लाख रुपये से बढ़ाकर लगभग 88 लाख रुपये (USD 1,00,000) करना केवल प्रशासनिक निर्णय नहीं है। यह कदम भारत–अमेरिका सम्बंधों, वैश्विक प्रतिभा प्रवाह और दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर गहरे असर डालने वाला है।

आर्य कन्या डिग्री कॉलेज के अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. अमित पाण्डेय का कहना है कि यह निर्णय जितना भारतीय पेशेवरों और छात्रों पर बोझ डालता है, उतना ही अमेरिकी कम्पनियों, विश्वविद्यालयों और नवाचार इकोनॉमी को भी नुकसान पहुँचाता है। इससे स्पष्ट है कि यह कदम राजनीतिक लाभ के लिए उठाया गया है, जबकि इसके दीर्घकालिक दुष्परिणाम गम्भीर होंगे।

--भारत पर प्रतिकूल असर1. भारतीय पेशेवरों की सीधी चोट – अमेरिका में कार्यरत लगभग 2 लाख IT व STEM पेशेवर अब भारी आर्थिक दबाव में होंगे। यह शुल्क मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए लगभग असम्भव सा है।2. विद्यार्थियों पर संकट – उच्च शिक्षा पूरी करने के बाद नौकरी की सम्भावना सीमित होने से अमेरिकी विश्वविद्यालय भारतीय छात्रों के लिए कम आकर्षक हो जाएंगे।3. प्रतिभा पलायन में कमी – अब और प्रोफेशनल्स अमेरिका की बजाय यूरोप, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया या खाड़ी देशों का विकल्प चुनेंगे।

--अमेरिका पर असर1. कम्पनियों की प्रतिस्पर्धा पर चोट – भारतीय IT प्रोफेशनल्स अमेरिकी टेक सेक्टर की रीढ़ हैं। भारी शुल्क से लागत बढ़ेगी और टैलेंट की कमी होगी।2. नवाचार कमजोर पड़ेगा – H-1B वीज़ा का लगभग 70% भारतीयों को मिलता है। यदि यह प्रतिभा अन्यत्र चली गई तो अमेरिकी स्टार्टअप और इनोवेशन इकोनॉमी कमजोर होगी।3. विश्वविद्यालयों की आय घटेगी – भारतीय छात्र अमेरिकी उच्च शिक्षा में बड़ा योगदान करते हैं। अवसर कम होने से प्रवेश घटेंगे और वित्तीय संकट बढ़ेगा।

--द्विपक्षीय सम्बंधों पर असर1. आर्थिक रिश्तों में तनाव – भारतीय IT इंडस्ट्री हर साल अमेरिकी कम्पनियों को अरबों डॉलर की सेवाएँ देती है। यह नीति व्यापार और निवेश सम्बंधों को बाधित करेगी।2. रणनीतिक साझेदारी पर प्रश्नचिह्न – रक्षा, तकनीक और शिक्षा के क्षेत्र में मजबूत होती साझेदारी इस कदम से प्रभावित होगी। भारत में अमेरिका-विरोधी भावनाएँ उभर सकती हैं।3. भारत की कूटनीतिक प्रतिक्रिया – भारत इस मामले को WTO अथवा द्विपक्षीय वार्ता में उठा सकता है। साथ ही, वीज़ा और निवेश नीतियों में जवाबी कदम भी संभव है।

--भारत की आत्मनिर्भर सम्भावनाएंयह चुनौती भारत के लिए अवसर भी बन सकती है।प्रतिभा पलायन पर नियंत्रण – उच्च शुल्क से भारतीय प्रोफेशनल्स और विद्यार्थी देश में ही अवसर तलाशेंगे।मानव संसाधन का सुदृढ़ीकरण : भारत के पास कृषि विविधता, प्रचुर श्रमबल और बढ़ती आंतरिक क्रयशक्ति जैसी आधारशिलाएँ मौजूद हैं।

--वैकल्पिक बाजारों की खोज यूरोप, एशिया–प्रशांत और अफ्रीका के साथ आर्थिक सम्बंध गहरे किए जा सकते हैं। नया आर्थिक मॉडल जब अमेरिका अपने आर्थिक अंतर्विरोधों से जूझ रहा है, भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में बढ़ रहा है। ऐसे समय में भारत संतुलित और आत्मनिर्भर विकास का नया मॉडल दुनिया के सामने प्रस्तुत कर सकता है।

डॉ. अमित पाण्डेय ने कहा कि ट्रंप प्रशासन का यह ‘वीज़ा बम’ अल्पकालिक रूप से अमेरिकी जनता को तुष्ट कर सकता है, लेकिन दीर्घकालिक दृष्टि से यह अमेरिका की प्रतिस्पर्धा और नवाचार शक्ति को कमजोर करेगा। भारत–अमेरिका सम्बंधों में भी यह अनावश्यक तनाव पैदा करेगा।

इसके विपरीत, भारत के लिए यह अवसर है कि वह अपनी आंतरिक शक्तियों मानव संसाधन, कृषि और घरेलू बाजार को मजबूत बनाकर एक आत्मनिर्भर आर्थिक मॉडल विकसित करे। यदि भारत इस चुनौती को अवसर में बदलता है, तो न केवल अपनी स्थिति सुदृढ़ करेगा बल्कि वैश्विक परिदृश्य में एक नई आर्थिक दिशा भी प्रदान कर सकेगा।

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हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र