शीतकाल में लोगों को आकर्षित करने वाले चमाेली जिले के प्रमुख मंदिर और पर्यटक स्थल
चमोली, 5 दिसंबर (हि.स.)। उत्तराखंड में चार धाम यात्रा के समापन के बाद अब चार धाम के शीतकालीन गद्दी स्थलों पर पूजा—अर्चना शुरू हो गई है। इनके अलावा शीतकाल में मां नंदा देवी सिद्धपीठ कुरुड, संतानदायिनी माता अनसूया मंदिर, नीती घाटी में बाबा बर्फानी के साथ विश्व प्रसिद्ध हिम क्रीड़ा स्थल औली, गोपीनाथ मंदिर, एस्ट्रो विलेज बेनीताल, ज्योर्तिमठ में चमोली में श्रद्धालु और पर्यटक पहुंच कर दर्शन कर सकेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी के विजन के अनुरूप मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर शीतकालीन यात्रा को लेकर व्यवस्थाएं चाक चौबंद की जा रही हैं। राज्य के सभी जनपदों में बड़ी संख्या में ऐसे मंदिर हैं, जो वर्षभर श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खुले रहते हैं। दर्शनीय स्थल में बैरासकुंड, वृद्ध बदरी, कल्पेश्वर, ब्रह्मताल, भेकलताल, उर्गम घाटी, निजमुला घाटी, देवताल, बेनीताल, रुपकुंड, लोहाजंग, लार्ड कर्जन रोड, पोखरी का बामनाथ मंदिर, पर्यटन स्थल मोहनखाल, ग्वालदम, वांण लाटू मंदिर, बधांण गढ़ी के सैर-सपाटे और दर्शनों के लिए भी जाया जा सकता है।
जनपद चमोली के प्रमुख तीर्थ और पर्यटक स्थल के नाम मां नंदा देवी सिद्धपीठ कुरुड बदरीनाथ हाईवे पर ऋषिकेश से 190 किलोमीटर की दूरी पर स्थित नंदप्रयाग से नंदानगर सड़क पर 25 किलोमीटर की दूरी तय कर कुरुड़ गांव में उत्तराखंड की अधिष्ठात्री देवी मां नंदा मंदिर के दर्शन किये जा सकते हैं। यहां मां नंदा को भगवान शिव की पत्नी के रूप में पूजा जाता है।
संतानदायिनी माता अनसूया मंदिरचमोली-ऊखीमठ सड़क पर गोपेश्वर से 8 किमी की सड़क और पांच किमी की पैदल दूरी पर संतानदायनी अनसूया माता मंदिर पहुंचा जा सकता है। यह मंदिर निर्जन जंगल में स्थित है, प्रतिवर्ष दत्तात्रेय पर्व पर यहां दो दिवसीय अनसूया माता मेला आयोजित होता है, मंदिर में निसंतान दंपत्ति संतान कामना लेकर पहुंचते हैं।
गोपेश्वर नगर क्षेत्र में स्थित गोपीनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यह गढ़वाल क्षेत्र का सबसे बढ़ा मंदिर है। यह मंदिर भगवान रुद्रनाथ का शीतकालीन प्रवास स्थल भी है। मंदिर अपनी वास्तुकला के कारण अगल पहचान रखता है। मंदिर परिसर में एक विशाल त्रिशूल भी स्थित है, स्थानीय मान्यता है कि जब भगवान शिव ने कामदेव को मारने के लिए अपना त्रिशूल फेंका तो वह यहां गढ़ गया। त्रिशूल की धातु अभी भी सही स्थित में है।
चमोली जनपद के चीन सीमा क्षेत्र में नीती घाटी में बाबा बर्फानी की गुफा स्थित है। बाबा बर्फानी तक पहुंचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा जालीग्रांट हवाई अड्डा है, यहां से टिम्मरसैंण बाबा बर्फानी गुफा की दूरी लगभग 354 किलोमीटर है। बदरीनाथ हाईवे से जोशीमठ तक और यहां से मलारी हाईवे पर नीती गांव पहुंचा जाता है। जहां दो किमी की पैदल दूरी पर बाबा बर्फानी की गुफा है। बाबा बर्फानी शीतकाल में दर्शन देते हैं।
विश्व प्रसिद्ध हिम क्रीड़ा स्थल औलीविश्व प्रसिद्ध हिम क्रीड़ा स्थली औली ज्योर्तिमठ ब्लॉक मुख्यालय से 12 किमी की सड़क दूरी पर स्थित है। यहां विश्व प्राकृतिक सौंदर्य के साथ विश्व स्तरीय स्कीइंग स्लोप है। यहां शीतकालीन खेलों का आयोजन किया जाता है।
एस्ट्रो विलेज बेनीतालचमोली जिले के कर्णप्रयाग ब्लॉक मुख्यालय से कर्णप्रयाग-गैरसैंण मोटर मार्ग पर 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां पहुंचने के निकटम हवाई सेवा गौचर और रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है। यहां के स्वच्छ वातावरण में खगोलीय घटनाओं और ग्रह-नक्षत्रों का दीदार किया जा सकता है। इस स्थान की इस विशेषता के चलते राज्य सरकार की ओर से बेनीताल को एस्ट्रो विलेज के रूप में विकसित किया गया है।
कर्णप्रयागबदरीनाथ हाईवे पर ऋषिकेश से 175 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है कर्णप्रयाग! अलकनंदा और पिंडर नदियों के संगम के चलते यह स्थान पंच प्रयोगों में शामिल है। यह संगम स्थल के साथ ही श्रद्धालु भगवान कृष्ण और कर्ण मंदिर और मां उमा देवी के दर्शन कर सकते हैं।
ज्योर्तिमठबदरीनाथ हाईवे पर ऋषिकेश से 260 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है ज्योर्तिमठ! यहां शीतकाल में जहां बर्फबारी होने पर करीब से बर्फ देखी जा सकती है। वहीं नगर में नृसिंह मंदिर, आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी, नव दुर्गा मंदिर और भारत के चार मठों में से उत्तराम्नाय मठ (शंकराचार्य मठ) दर्शनीय है। इसके साथ नगर के समीप आणिमठ में वृद्ध बदरी मंदिर स्थित है।
आदिबदरीकर्णप्रयाग नैनीताल सड़क पर कर्णप्रयाग नगर से 19 किलोमीटर की दूरी पर आदिबद्री मंदिर समूह स्थित है। इस स्थान के समीप ही गढ़वाल नरेश की राजधानी चांदपुर गढ़ी और राजराजेश्वरी मंदिर के दर्शन किए जा सकते हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / राजेश कुमार
