धरती की गोद से फूटता उबलता रहस्य : बलरामपुर का तातापानी जहां आस्था और विज्ञान दोनों करते हैं प्रणाम



बलरामपुर, 15 अक्टूबर (हि.स.)। छत्तीसगढ़ के उत्तर में बसे बलरामपुर जिले का तातापानी एक ऐसा नाम जो सुनते ही रहस्य और रोमांच से भर देता है।
यह वह जगह है जहाँ धरती खुद सांस लेती है, और उसकी गर्म सांसें जल बनकर कुंडों से फूटती हैं। यहां साल भर बहने वाला गर्म पानी न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से पवित्र माना जाता है, बल्कि वैज्ञानिक रूप से यह भू-ऊष्मीय अद्भुत घटना का परिणाम है।
तातापानी अब प्रदेश के प्रमुख पर्यटन और शोध केंद्रों में अपनी पहचान बना चुका है।
तातापानी का प्राकृतिक रहस्य
बलरामपुर मुख्यालय से लगभग 12 किलोमीटर दूर स्थित तातापानी में धरती की गहराइयों से कई स्थानों पर 90 से 98 डिग्री सेल्सियस तापमान का पानी निकलता है। यह पानी सल्फर और खनिज लवणों से युक्त है, जिसके कारण इसे स्नान और औषधीय दृष्टि से अत्यंत उपयोगी माना जाता है। स्थनीय लोगों का मानना है कि इस जल से त्वचा रोग, गठिया और जोड़ों का दर्द जैसे कई रोगों में आराम मिलता है।
भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण रायपुर के वरिष्ठ भू-वैज्ञानिक डॉ. अरुण कुमार मिश्रा ने बताया कि, तातापानी क्षेत्र में भू-ऊष्मीय ऊर्जा का स्रोत धरती के भीतर मौजूद मैग्मा और गैसों से उत्पन्न ताप है। यहां की भूमि की दरारों से गर्म जल सतह पर आता है, जो प्राकृतिक रूप से सल्फरयुक्त है। यह क्षेत्र भू-ऊष्मीय मानचित्र में ‘हाई टेम्परेचर ज़ोन’ के रूप में दर्ज है, और भविष्य में जियोथर्मल एनर्जी उत्पादन की भी बड़ी संभावना रखता है।
उन्होंने आगे कहा कि, तातापानी छत्तीसगढ़ का वह दुर्लभ स्थान है, जहां धार्मिक आस्था और वैज्ञानिक अध्ययन दोनों साथ-साथ चलते हैं। यहां शोध के लिए देश के कई संस्थान रुचि दिखा रहे हैं।
पर्यटन और धार्मिक महत्त्व
यह स्थल केवल वैज्ञानिक दृष्टि से नहीं, बल्कि आस्था और पर्यटन के दृष्टिकोण से भी बेहद महत्वपूर्ण है। हर वर्ष मकर संक्रांति पर यहां तातापानी महोत्सव का आयोजन होता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु और पर्यटक स्नान करने, पूजा-अर्चना करने और मेले का आनंद लेने पहुंचते हैं। पास ही बनी भगवान शिव की विशाल प्रतिमा और आस-पास के पहाड़ी झरनों से यह स्थान और भी मनोहारी लगता है।
स्थानीय निवासी रामप्रसाद गुप्ता बताते हैं कि, यहां का जल सर्दियों में भी इतना गर्म रहता है कि लोग सीधे कुंड से सब्जी और अंडे तक उबाल लेते हैं। पहले लोग इसे चमत्कार मानते थे, अब वैज्ञानिक भी इसकी ताकत को स्वीकार कर रहे हैं।
तातापानी वह जगह है जहां धरती की धड़कन सुनाई देती है। यह सिर्फ आस्था का स्थल नहीं, बल्कि विज्ञान का जीवंत उदाहरण भी है। यहां की उष्मा हमें याद दिलाती है कि हमारी पृथ्वी सिर्फ मिट्टी नहीं एक जीवंत शक्ति है, जो हर पल उफनती और फूटती रहती है। बलरामपुर का तातापानी आज भी कहता है जो धरती को समझना चाहता है, उसे पहले उसकी गर्मी को महसूस करना होगा।
हिन्दुस्थान समाचार / विष्णु पांडेय