गुजरात : गत 2 वर्षों में 22,000 से अधिक विद्यार्थियों ने उठाया समरस छात्रावास का लाभ



-समरस छात्रावासः वंचित समुदायों के लिए समावेशी और निःशुल्क शिक्षा
गांधीनगर, 21 नवंबर (हि.स.)। गुजरात सरकार की एक योजना है ‘समरस छात्रावास योजना’, जहां सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित पृष्ठभूमि के विद्यार्थियों को, विशेकर अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों (एसईबीसी) और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग (ईबीसी) के विद्यार्थियों को अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस छात्रावासों में रहने और गुणवत्तापूर्ण भोजन की सुविधा निःशुल्क प्रदान की जाती है।
गुजरात में आज की स्थिति में 13,000 विद्यार्थियों की कुल क्षमता के साथ 10 जिलों में 20 समरस छात्रावास कार्यरत हैं। अहमदाबाद, भावनगर, राजकोट, सूरत और वडोदरा में 1000 विद्यार्थियों की क्षमता है। वहीं, जामनगर के छात्रावास में 500 विद्यार्थियों की क्षमता है, जबकि आणंद, हिम्मतनगर, भुज और पाटण में लड़के और लड़कियों के प्रत्येक छात्रावास में 250 विद्यार्थियों की क्षमता है। गत 2 वर्षों में राज्य सरकार द्वारा समरस योजना के लिए 68 करोड़ रुपए से अधिक का कुल बजट आवंटित किया गया है। इन छात्रावासों का 22,000 से अधिक विद्यार्थियों ने लाभ उठाया है। सरकार की इन्हीं प्रयासों के कारण समरस छात्रावास वर्ष 2021के स्कॉच अवार्ड के सेमीफाइनल के लिए क्वालिफाई हो चुका है।
सुव्यवस्थित कमरे, स्वच्छ सेनिटेशन सुविधा उपलब्ध
समरस छात्रावास ऐसे वर्गों के विद्यार्थियों को गुजरात में उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए रहने की निःशुल्क सुविधा प्रदान करता है। यह आवासीय सुविधा गुणवत्तापूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर से सुसज्जित है, जहां यह सुनिश्चित किया जाता है कि विद्यार्थियों को बेहतर और सुव्यवस्थित कमरे, स्वच्छ सेनिटेशन सुविधा, पुस्तकालय और रिक्रिएशन एरिया यानी मनोरंजन क्षेत्र की सुविधा उपलब्ध हो सके। समरस छात्रावास गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का इंफ्रास्ट्रक्चर मुहैया कराने के साथ ही व्यक्तिगत विकास के लिए भी अनुकूल वातावरण का निर्माण करता है। यह योजना विद्यार्थियों के लिए छात्रावासों के अलावा उनकी सुरक्षा और कल्याण पर भी जोर देती है। लड़कियों के लिए अलग छात्रावास बनाए गए हैं, जिसमें उनकी सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करने के कदम उठाए गए हैं।
प्रेरक व्याख्यान, शैक्षणिक कार्यशालाएं भी
यह पहल केवल आवासीय सुविधा तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह शिक्षा और जीवन की गुणवत्ता सुधारने पर भी ध्यान केंद्रित करती है, जिसमें प्रेरक व्याख्यान, शैक्षणिक कार्यशालाएं, चिकित्सा शिविर, योग दिवस कार्यक्रम, सांस्कृतिक गतिविधियां और राष्ट्रीय पर्वों को मनाने जैसी गतिविधियां शामिल हैं। योजना के लाभार्थी परमार रोहित कुमार रामजीभाई कहते हैं, “मैंने बीएमएस की पढ़ाई की है और 2018-2022 के दौरान राजकोट के समरस छात्रावास में रहा हूं। मेरे इन चार वर्षों के दौरान हम सभी को गुणवत्तापूर्ण भोजन और रहने की अच्छी सुविधाएं प्रदान की गई थीं, जिससे मुझे आसानी से पढ़ाई करने में मदद मिली थी। अभी मैं राजकोट के मेडिकल हॉस्पिटल में एक मेडिकल ऑफिसर के तौर पर कार्यरत हूं।”
हिन्दुस्थान समाचार/ बिनोद/प्रभात