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दांपत्य सुख और अखंड सुहाग का वरदान प्रदान करती है हरतालिका तीज

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दांपत्य सुख और अखंड सुहाग का वरदान प्रदान करती है हरतालिका तीज


दांपत्य सुख और अखंड सुहाग का वरदान प्रदान करती है हरतालिका तीज


-उदय कुमार सिंह

नई दिल्ली, 23 अगस्त (हि.स.)। हरतालिका तीज का मानव जीवन में बहुत महत्व है। भारत वर्ष में यह पर्व भाद्रपद मास की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष यह व्रत 26 अगस्त को मनाया जाएगा। सुहागिन महिलाएं इस दिन निर्जला व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन-अर्चन करेंगी। शास्त्रों के अनुसार यह व्रत पति की लंबी आयु, दांपत्य सुख और अखंड सौभाग्य का वरदान प्रदान करता है।

सुहागिन महिलाओं को अखंड सुहाग प्रदान करने वाली हरतालिका तीज के शुभ मुहूर्त की बात करें, तो तृतीया तिथि 25 अगस्त को दोपहर 12 बजकर 34 मिनट से शुरू हो जाएगी और इस तिथि का समापन 26 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 54 मिनट पर होगा। उदयातिथि के अनुसार, हरलातिका तीज इस बार 26 अगस्त को ही मनाई जाएगी। हरतालिका तीज का पूजन सुबह के समय किया जाता है, जिसका मुहूर्त इस वर्ष 26 अगस्त को प्रातः 05 बजकर 56 मिनट पर शुरू होगा और समापन सुबह 8 बजकर 31 मिनट पर होगा। यानी सुहागिन महिलाओं को 2 घंटे 35 मिनट तक भगवान शिव और माता पार्वती के पूजन-अर्चन का समय मिलेगा।

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हरतालिका तीज पर शुभ योग

ज्योतिषियों के अनुसार इस वर्ष हरतालिका तीज पर दुर्लभ साध्य योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का संयोग दोपहर 12 बजकर 09 मिनट तक है। इसके बाद शुभ योग का निर्माण हो रहा है। दोनों ही योग बेहद शुभ होते हैं। इसके अलावा, रवि योग का भी संयोग हरतालिका तीज पर बन रहा है। इन योग में देवों के देव महादेव एवं मां पार्वती की पूजा करने से साधक को मनचाही मुराद पूरी होगी।

वास्तव में भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाने वाली हरतालिका तीज सुहागिनों का मुख्य पर्व है। इसमें वर्ती महिलाएं दिनभर का निर्जला उपवास करती हैं और सूर्यास्त के उपरांत पति की लंबी आयु की कामना के साथ भगवान शिव और माता पार्वती की संपूर्ण विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करती हैं।

तीज सुहागिनों का सबसे कठिन व्रत होता है। इस व्रत में निद्रा का पूर्णतः निषेध रहता है। तीज की सुबह माताएं-बहनें नदी या सरोवर में स्नान करती हैं। हाथ में दूब लेकर 108 बार डुबकी लगाती हैं। तत्पश्चात् शिव-पार्वती की प्रतिमाओं की विल्ब पत्र, दूब, दूध, बेर, धतूरा, पुष्प आदि से पूजन करती हैं। भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-आरती एवं संकीर्तन किया जाता है। माँ पार्वती की शिव को वर रूप में पाने के लिए की गई तपस्या की कथा का श्रवण किया जाता है।

हरतालिका तीज व्रत इच्छित वर की प्राप्ति, श्रेष्ठ संतान, सुख और सौभाग्य की कामना से किया जाता है। माताएं-बहनें अन्न-जल का त्याग कर शिव-पार्वती का विधिवत पूजन करती हैं। रात्रि में जागरण करती हैं। सुहागिनें स्वयं भी शृंगार करती हैं और माता पार्वती को भी सोलह शृंगार अर्पित करती हैं। रात्रि जागरण के बाद ब्रह्म मुहूर्त में शिव-पार्वती की प्रतिमाओं को विधिवत नदी-तालाब में विसर्जन किया जाता है।

हरतालिका तीज की पूजा विधिहरतालिका तीज की पूजा के लिए स्त्रियों को स्नान-ध्यान करने के बाद शुभ मुहूर्त में पूजा करनी चाहिए। इसके लिए आप पूजा से जुड़ी सभी चीजों जैसे गौरा-पार्वती की मिट्टी की प्रतिमा, पुष्प, फल, धूप, दीप आसन, वस्त्र, जल, अक्षत, चंदन, पान, शृंगार का सामान आदि लेकर इकट्ठा करके रख लें। इसके बाद सबसे पहले इस व्रत और पूजा को विधि-विधान से करने का संकल्प लें। पूजा की शुरुआत भगवान श्री गणेश से करें।

उसके बाद ही माता पार्वती और महादेव की पूजा विधि-विधान से करें और हरतालिका तीज की कथा को कहने के बाद महादेव और माता गौरी की की आरती करें। फिर जिस स्थान पर पूजा कर रहे हों, उसी स्थान पर प्रदक्षिणा करें। पूजा की समाप्ति के बाद भगवान शिव और माता पार्वती से अपने पति की लंबी आयु और संतान के सुख सौभाग्य की कामना करें। अंत में किसी सुहागिन ब्राह्मणी महिला को अपने सामर्थ्य के अनुसार अन्न, वस्त्र, धन और श्रृंगार की सामगी दान करें।

हरतालिका तीज 26 अगस्त का पंचांग और मुहूर्तody{font-family:Arial,sans-serif;font-size:10pt;}.cf0{font-family:Nirmala UI,sans-serif;font-size:11pt;}

-सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 56 मिनट पर

-सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 49 मिनट पर

-चन्द्रोदय- सुबह 08 बजकर 33 मिनट पर

-चंद्रास्त- शाम 08 बजकर 29 मिनट पर

-ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 27 मिनट से 05 बजकर 12 मिनट तक

-विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 31 मिनट से 03 बजकर 23 मिनट तक

-गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 49 मिनट से 07 बजकर 11 मिनट तक

-निशीथ मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 01 मिनट से 12 बजकर 45 मिनट तक

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हिन्दुस्थान समाचार / उदय कुमार सिंह