प्राकृतिक रंगों से रंगीन हुई होली, समूह की महिलाओं ने बनाया फूल-पत्तियों से गुलाल


बलरामपुर, 14 मार्च (हि.स.)। आज 14 मार्च को हर जगह होली बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। रंगों का त्योहार इस बार और भी खास दिखा, क्योंकि जिले की स्व-सहायता समूह की महिलाएं प्राकृतिक हर्बल गुलाल तैयार कर लोगों प्राकृतिक रंगों से होली खेलने के लिए प्रेरित कर रहीं है। ग्राम पंचायत भनौरा के गंगा महिला स्व-सहायता समूह की महिलाएं पर्यावरण और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए हर्बल गुलाल बनाई है। गंगा महिला स्व-सहायता समूह की महिलाओं का मानना है कि पारंपरिक तरीकों से बनाए गए प्राकृतिक गुलाल से न केवल सेहत स्वस्थ्य रहेगा, बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी अनुकूल रहेगा। साथ ही महिलाओं के लिए आमदनी का नया स्रोत भी बन रहा है।
पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष भी हर्बल गुलाल की मांग अधिक रही। आपको बता दें, बढ़ती मांग को देखते हुए कलस्टर की अन्य महिला स्व-सहायता समूहों को भी प्रशिक्षण दिया गया था, ताकि वे भी हर्बल गुलाल तैयार कर सकें। महिलाओं ने बताया कि गुलाल बनाने की प्रक्रिया पूरी तरह प्राकृतिक है। इसे तैयार करने में औषधीय जड़ी-बूटियों और फूलों का उपयोग किया जाता है, जिससे यह त्वचा के लिए सुरक्षित होता है। विभिन्न रंग बनाने के लिए प्राकृतिक सामग्रियों का उपयोग किया जाता है गुलाबी रंग के लिए चुकंदर और गुलाब की पंखुड़ियां, पीला रंग के लिए हल्दी और गेंदे के फूल, हरा रंग के लिए पालक व मेंहदी के पत्ते, नीला रंग के लिए अपराजिता के फूल और लाल रंग के लिए टेसू के फूलों का इस्तेमाल कर रही है।
जिला प्रशासन एवं राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के सहयोग से महिलाएं हर्बल गुलाल बनाती हैं। यह पहल महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में सहायक सिद्ध हो रही है। समूह की महिलाओं ने बताया कि वे पिछले पांच वर्षों से ईको-फ्रेंडली हर्बल गुलाल बनाने का कार्य कर रही हैं। वे कहती हैं कि रासायनिक रंगों की तुलना में प्राकृतिक गुलाल पूरी तरह सुरक्षित होता है और इसके इस्तेमाल से स्वास्थ्य पर कोई भी नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता। महिलाओं ने प्रशासन का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि भविष्य में भी इसी तरह के आजीविका मूलक प्रशिक्षण से अधिक से अधिक महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकेंगी।
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हिन्दुस्थान समाचार / विष्णु पाण्डेय