पीएम-एफएमई योजना से अब 535 जीविका दीदियों के उत्पाद को मिलेगी नई पहचान
बेगूसराय, 21 नवम्बर (हि.स.)। प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम योजना 'जीविका दीदियों' के लिए वरदान साबित होने वाली है। गिरिराज सिंह के संसदीय क्षेत्र बेगूसराय के विभिन्न प्रखंडों की 535 जीविका दीदियां प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम योजना (प्रधानमंत्री माइक्रो फुड प्रोसिंग इंटरप्राइजेज स्कीम-पीएमएफएमई योजना) से जुड़कर अपने उद्यम को एक नई पहचान देंगी।
इन दीदियों का चयन जीविका के प्रयास और उनके द्वारा किए जा रहे उद्यम के कारण हुआ है। इन दीदियों को अब उनकी आवश्यकता के अनुसार योजना द्वारा काफी कम ब्याज दर पर राशि उपलब्ध करवाया जा रहा है। इतनी बड़ी संख्या में जीविका दीदियों के चयन से इनमें काफी उत्साह है। बेगूसराय की इन दीदियों के लिए केन्द्र सरकार द्वारा एक करोड़ 94 लाख रूपये आवंटित किया गया है। इस राशि की मदद से दीदियां अपने उद्यम एवं उत्पाद को और बेहतर बनाएंगी तथा अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार करेंगी।
बिहार में समूहों का पुनर्भुगतान रिकॉर्ड सबसे अच्छा :
पिछले दशक में केंद्र और राज्य सरकारों ने किसानों को खाद्य प्रसंस्करण संगठनों (एफपीओ) और महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) में संगठित करने के लिए गहन प्रयास किए हैं। बिहार में समूहों ने बचत में काफी प्रगति हासिल की है और 99 प्रतिशत एनपीए स्तर के साथ उनका पुनर्भुगतान रिकॉर्ड सबसे अच्छा है। सरकार द्वारा स्वयं सहायता समूहों को खाद्य प्रसंस्करण सहित विभिन्न विनिर्माण और सेवा क्षेत्र की गतिविधियों को करने एवं सक्षम बनाने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं।
प्रखंडवार जीविका दीदियों की संख्या एवं स्वीकृत राशि :
बछवाड़ा प्रखंड के 27 जीविका दीदियों को दस लाख 20 हजार, बखरी प्रखंड के 15 दीदियों को पांच लाख 78 हजार, बलिया प्रखंड के 36 दीदियों को 12 लाख 58 हजार, बरौनी प्रखंड के 28 दीदियों को दस लाख 84 हजार, बेगूसराय सदर प्रखंड के 25 दीदियों को आठ लाख 97 हजार, भगवानपुर प्रखंड के 24 दीदियों को आठ लाख 87 हजार, वीरपुर प्रखंड के 40 दीदियों को 15 लाख पांच हजार, चेरिया वरियापुर के 25 दीदियों को तीन लाख 70 हजार, छौड़ाही प्रखंड के 19 दीदियां को सात लाख रुपये दिए जाएंगे।
सबसे अधिक चयन मंसूरचक प्रखंड से :
योजना में सबसे अधिक मंसूरचक की 51 दीदियों के बीच 19 लाख 64 हजार वितरित की जाएगी। डंडारी प्रखंड के 21 दीदियां को आठ लाख 31 हजार, गढ़पुरा प्रखंड के 37 दीदियां को 13 लाख 27 हजार खोदावंदपुर प्रखंड के 49 दीदियां को 19 लाख 30 हजार, मटिहानी प्रखंड के 22 दीदियां को सात लाख 60 हजार, नावकोठी प्रखंड के 42 दीदियां को 14 लाख 45 हजार, साहेबपुर कमाल प्रखंड के 27 दीदियां को दस लाख 32 हजार, शाम्हो प्रखंड के 24 दीदियां को नौ लाख दस हजार, तेघड़ा प्रखंड के 33 दीदियां को आठ लाख 55 हजार वितरित किए जाएंगे।
असंगठित खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों की चुनौतियां :
देश में असंगठित खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में बड़ी संख्या में खाद्य प्रसंस्करण उद्यम शामिल हैं, जो अपंजीकृत और अनौपचारिक हैं। इन उद्यमों को संचालित करने वाले अपने उद्यम के संयंत्र और मशीनरी में केवल सात प्रतिशत निवेश करते हैं। इस असंगठित उद्यम के रोजगार में एक तिहाई महिलाएं जुड़ी हैं और 66 प्रतिशत इकाईयां ग्रामीण क्षेत्रों में है। इस तरह के उद्यम में 80 प्रतिशत उद्यम परिवार आधारित उद्यम है। इन असंगठित खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जो इसके विकास को सीमित करती हैं और प्रदर्शन को कमजोर करती हैं।
क्या है खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की मूल समस्या :
उत्पादन और पैकेजिंग के लिए आधुनिक तकनीक एवं मशीनरी तक पहुंच की कमी के कारण उत्पादकता तथा नवाचार में निरंतर कमी देखी जाती है। अपर्याप्त गुणवत्ता और खाद्य सुरक्षा नियंत्रण प्रणाली में अच्छी स्वच्छता एवं बुनियादी संरचनाओं में कमी शामिल है। ब्रांडिंग और मार्केटिंग कौशल की कमी एवं आपूर्ति श्रृंखलाओं के साथ एकीकृत होने में असमर्थता। पूंजी की कमी और कम बैंक ऋण भी समस्या है। असंगठित सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों में कौशल प्रशिक्षण, उद्यमिता, प्रौद्योगिकी, ऋण एवं विपणन सहायता पर बल दिया गया। जिसमें बेहतर परिणाम के लिए राज्य सरकार की सक्रिय भागीदारी भी जरूरी है।
पीएमएफएमई योजना से होगा चुनौतियों का समाधान :
स्वंय सहायता समूहों को निवेश करने और उनके संचालन को बढ़ाने के लिए समर्थन देने के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाएं सरकार द्वारा संचालित की जा रही हैं। जिसमें प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम योजना (प्रधानमंत्री माइक्रो फुड प्रोसिंग इंटरप्राइजेज स्कीम-पीएमएफएमई योजना) भी शामिल है। पीएमएफएमई केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसे सूक्ष्म उद्यमों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने और इन उद्यमों के उन्नयन और बेहतरी में समूहों और सहकारी समितियों की क्षमता के उपयोग और प्रबंधन करने के लिए क्रियान्वित किया गया है।
किस प्रकार किया गया दीदियों का चयन :
पीएमएफएमई के तहत स्वयं सहायता समूह के प्रत्येक सदस्यों को छोटे उपकरणों के क्रय या कार्यशील पूंजी के रूप में अधिकतम 40 हजार रूपये तक के सहयोग का प्रावधान है। योजना के दिशा-निर्देश के आलोक में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा राज्य नोडल अभिकरण को कार्यशील पूंजी अवयव के रूप में अपना अंशदान अनुदान के तौर पर दिया जाता है। स्वयं सहायता समूहों को कार्यशील पूंजी के भुगतान को प्रणालीबद्ध करने के लिए कार्यशील पूंजी संकुल स्तरीय संघों-ग्राम संगठनों को उपलब्ध कराई गई है।
मात्र 0.5 प्रतिशत प्रतिमाह देना है ब्याज :
संकुल संघ-ग्राम संगठन द्वारा यह कार्यशील पूंजी लाभार्थियों को ऋण के रूप में उपलब्ध करायी जा रही है। इस ऋण की अधिकतम वापसी अवधि 24 महीनों की है। इसमें ऋण प्राप्त समूह सदस्यों को मात्र 0.5 प्रतिशत ब्याज प्रतिमाह देना होता है। वापस की गई ऋण राशि संकुल स्तरीय संघ - ग्राम संगठन के स्तर पर जमा पूंजी के रूप में कार्य करेगी। निधि का भुगतान मात्र उन स्वयं सहायता समूहों को किया जा रहा है, जिनके सदस्य राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा सूचीबद्ध प्रसंस्करण गतिविधियों में सलंग्न हैं।
गिरिराज सिंह के मंत्रालय का शानदार प्रयास ;
यह प्रस्ताव बेगूसराय के सांसद गिरिराज सिंह के नेतृत्व वाले ग्रामीण विकास मंत्रालय के राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के पोर्टल पर इलेक्ट्रॉनिक माध्यम पर प्रनुमोदित किया गया। बेगूसराय में इन सभी प्रक्रियाओं को पूरा करते हुए 535 जीविका की उद्यमी दीदियों को राशि हस्तांतरण करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इन राशियों की मदद से दीदियों द्वारा अपने उद्यम को और बेहतर करने का प्रयास किया जाएगा और एक नई पहचान स्थापित की जाएगी। यह योजना लखपति दीदी बनाने के लिए मील का पत्थर साबित होगा।
अब आगे क्या करेंगी दीदियां :
पीएमएफएमई में चयनित 535 में अधिकांश जीविका दीदियां बड़ी, मसाला, पापड़, अचार आदि उद्यम से जुड़ी हैं। योजना में चयनित दीदियों को उनकी आवश्यकता के अनुसार ऋण की राशि उपलब्ध करवाई जा रही है। इन राशियों का उपयोग दीदी द्वारा अपने उद्यम की ब्रांडिंग एवं पैकेजिंग आदि के लिए किया जाएगा। इस कार्य से जहां दीदियों के उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार होगा। वहीं उन्हें बाजार में उपलब्ध अन्य कंपनियों के मुकाबले में टिकने का अवसर प्राप्त होगा।
क्या कहती हैं खुशी से झूम उठी दीदियां :
मंसूरचक प्रखंड स्थित बहरामपुर की शैल कुमारी दीप स्वयं सहायता समूह एवं फूल ग्राम संगठन से जुड़ी हैं। शैल कुमारी सत्तू का व्यवसाय करती हैं। उन्होंने पीएमएफएमई योजना में जीविका की मदद से आवेदन दिया। उनका चयन इस योजना के लिए हो गया है। योजना में चयन की सूचना पर वह काफी प्रसन्न है। वह कहती हैं कि अब उनके व्यवसाय को और गति मिलेगी।
मंसूरचक प्रखंड की गणपतौल की सोनी कुमारी ओम स्वयं सहायता समूह एवं सरोज ग्राम संगठन से जुड़ी हैं। वह आईसक्रीम व्यवसाय से जुड़ी हैं। जीविका द्वारा उन्हें पीएमएफएमई योजना के संबंध में जानकारी मिली। जिसके बाद उन्होंने योजना का लाभ लेने के लिए आनलाईन आवेदन किया। जिसके बाद इनका चयन योजना के लिए किया गया। सोनी अब काफी खुश हैं। वह कहती हैं कि अब अपने व्यवसाय को और भी ज्यादा व्यवस्थित तरीके से कर पाउंगी।
छौड़ाही के वार्ड-13 निवासी बबिता देवी सुंदर जीविका ग्राम संगठन से जुड़ी हैं। वह अदौरी, बड़ी आदि बनाने का काम करती हैं। उन्होंने भी पीएमएफएमई योजना के लिए आवेदन दिया। तमाम औपचारिक के बाद उनका चयन भी योजना के लिए किया गया। बबिता कहती हैं कि अब वह अपने उत्पाद की ब्रांडिंग एवं पैकेजिंग बेहतर तरीके से कर सकती हैं और उसे बड़ा और व्यापक बाजार मिलेगा।
छौड़ाही प्रखंड के बेंगा की विनिता देवी 2015 में स्वयं सहायता समूह से जुड़ी हैं। वह दुर्गा जीविका स्वयं सहायता समूह एवं अधिकार ग्राम संगठन से संबद्ध हैं। विनिता देवी 2020 से घी, पनीर आदि दुध से बने उत्पाद का निर्माण एवं विपणन करती हैं। विनिता देवी ने पीएमएफएमई योजना के लिए आवेदन दिया। योजना में चयन होने के बाद उनकी प्रसन्नता की सीमा नहीं है। वह कहती हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस योजना से मिलने वाले ऋण का उपयोग अपने व्यवस्था को और बेहतर बनाने में करेंगी।
हिन्दुस्थान समाचार/सुरेन्द्र