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कोविड में व्यवसाय टूटा तो केला बना सहारा

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कोविड में व्यवसाय टूटा तो केला बना सहारा


कोविड में व्यवसाय टूटा तो केला बना सहारा


कोविड में व्यवसाय टूटा तो केला बना सहारा


कुशीनगर, 28 अक्टूबर (हि.स.)। ईश्वर किसी को हताश नहीं करता, बस उसमें कुछ करने की दृढ़ इच्छाशक्ति होनी चाहिए और सफलता मिलना लाजिमी है। यह लाइनें कुशीनगर की अनीता राय के ऊपर सटीक बैठती हैं, जिनके पति का कारोबार कोविड काल में बर्बाद हो गया था। महामारी के दौर में आर्थिक परेशानियों को दूर करने के लिए अनीता ने गृहिणी होने के दायरे से बाहर निकलकर केला को कारोबार का आधार बना लिया। उनका यह कारोबार सरकार की ओडीओपी योजना के तहत भी फिट बैठा, क्योंकि कुशीनगर को योगी सरकार ने ओडीओपी के तहत केला के लिए चुना है। आज उनका यह कारोबार एक सफल उद्यमी के तरह दौड़ पड़ा और कई प्रांतों में उनके उत्पाद की मांग बढ़ गई है।

कुशीनगर की अनीता राय वैश्विक महामारी कोविड 19 के पहले एक सामान्य गृहिणी थीं। पति राजनारायन राय का अच्छा खासा पोल्ट्री फार्म था। उससे होने वाली आय से जीवन अच्छा गुजर रहा था। पर कोरोना के कारण लगे लॉक डाउन से आपूर्ति चेन टूटने से कारोबार बर्बाद हो गया। घाटा इतना कि उबरने की कोई सूरत नहीं, पर जीवन चलाने को कुछ करना ही था।

काम आया चेन्नई का अनुभव

अनीता ने सोमवार को बताया साल 2022 की बात थी जब पति से नए कारोबार के बाबत चर्चा हुई लेकिन आर्थिक स्थिति बहुत कुछ नया करने की इजाजत नहीं दे रही थी। ऐसे में केला के कारोबार पर सहमति हुई, क्योंकि मेरी पैदाइश, परवरिश और शिक्षा चेन्नई में हुई थी। वहां पर मैंने केले की तमाम प्रजातियां देखी थीं। साथ ही उनके हर चीज (कच्चा पक्का फल, फूल, पत्ता और तना) का उपयोग भी। यह सब पति से चर्चा हो ही रही थी कि तब तक योगी सरकार कुशीनगर के केले को एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) घोषित कर चुकी थी। ऐसे में तय हुआ कि केले के उत्पादों पर फोकस किया जाय। पति ने कहा तो इसमें आप भी सहयोग करिए। इसके बाद पति पत्नी दोनों दक्षिण भारत के उन जगहों पर गए जहां केले के प्रसंस्करण से उत्पाद बनते हैं। इसी क्रम में वह लोग भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद से संबद्ध त्रिची (केरल) स्थित राष्ट्रीय केला अनुसंधान केंद्र भी गए। वहां इन लोगों ने केले से बनने वाले 70/80 उत्पादों का लाइव डिमॉन्सट्रेशन देखा तो काम अच्छा लगा।

प्रशासन का मिला सहयोग

उन्होंने बताया कि वापस आकर खुद इस संबंध में एक प्रेजेंटेशन तैयार किया। इसे जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक अनिल शुक्ला के सामने प्रस्तुत किया। उनको प्रजंटेशन अच्छा लगा। उनके जरिए यह सीडीओ आनंद सिंह और डीएएम अनिल कुमार सिंह तक पहुंचा। सबकी तारीफ से हौसला मिला। लिहाजा काम शुरू हुआ और चल भी निकला। उन्होंने बताया कि सरकार और स्थानीय प्रशासन का उनको भरपूर सहयोग मिलता है, खासकर जिले की आकांक्षा समिति का। आगे कहा कि योगी सरकार द्वारा केले को कुशीनगर का ओडीओपी घोषित करना उनके लिए संजीवनी बन गया। हालांकि अनीता ने अभी तक सरकार से कोई आर्थिक सहयोग नहीं लिया है, पर वह कहती हैं कि सरकार और स्थानीय प्रशासन के सहयोग का मेरे कारोबार के विस्तार में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है।

मास्टर्स ट्रेनर्स के रूप में 600 लोगों को दी ट्रेनिंग

अनीता बतौर मास्टर ट्रेनर करीब 600 लोगों को केले के प्रसंस्कृत उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण दे चुकी हैं। उनके यहां औसतन छह महिलाएं रोज काम करती हैं। इस तरह वह साल भर में स्थानीय स्तर पर लगभग 2200 रोजगार दिवस सृजन करती हैं।

केले के जूस की बढ़ रही मांग

आज औषधीय महत्व के नाते अनीता की फर्म द्वारा बनाए गए केले के तने के जूस की भारी मांग है। उनके जूस के कद्रदान उड़ीसा, पंजाब, नेपाल, दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु भी हैं। उनके द्वारा तैयार केले के छिलके और डंठल का आचार, आटा, सेवई, चिप्स आदि की भी ठीकठाक मांग है। केले के तने से मीठा और शुगर फ्री जूस के अलावा। वह कच्चे केले से नमकीन, आटा, सेवई, बचे हुए छिलके का आचार, केले के फूल का आचार आदि बनाती हैं। हर चीज के उपयोग के जरिए उनकी यूनिट जीरो वेस्ट पैदा करती है।

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हिन्दुस्थान समाचार / गोपाल गुप्ता