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एसआईआर के कारण 26 साल बाद मिला लापता बेटा

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एसआईआर के कारण 26 साल बाद मिला लापता बेटा


एसआईआर के कारण 26 साल बाद मिला लापता बेटा


हुगली, 05 दिसंबर (हि. स.)। एसआईआर प्रक्रिया शुरू होते ही पूरे बंगाल में कई अजीबो-गरीब और मानवीय घटनाएं सामने आ रही हैं। कहीं पड़ोसी को पिता बनाकर मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने की कोशिश, तो कहीं जीवित व्यक्ति का नाम मृत दिखाकर सूची से हटाया जाना। वहीं, लंबे समय से घर छोड़कर जा चुके परिवार के सदस्य अचानक घर लौटने की खबरें भी सामने आ रही हैं। पहले भांगड़ और तेहट्टा में दो दशक से अधिक समय बाद लापता लोग लौटे थे। अब ऐसी ही एक भावनात्मक घटना उत्तर 24 परगना के हाबरा में घटित हुई है।

जानकारी के अनुसार, हाबरा में एसआईआर प्रक्रिया के दौरान एक वृद्ध दंपत्ति—प्रशांत दत्ता व उनकी पत्नी सांत्वना दत्ता—को 26 वर्ष बाद उनका एकमात्र बेटा वापस मिला। उनका बेटा तरुण कभी धान खरीद-बिक्री का कारोबार किया करता था। व्यापार में घाटा और कर्ज चुकाने में असमर्थता के कारण, तथा शर्म के डर से वह बिना किसी को कुछ बताए करीब 26 साल पहले घर से गायब हो गया था। दंपत्ति ने गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई, लेकिन उसका कोई पता नहीं चला।

जब एसआईआर प्रक्रिया शुरू हुई, तो घर-घर जाकर बीएलओ ने एन्यूमरेशन फॉर्म बांटे। प्रशांत दत्ता ने अपने, अपनी पत्नी और अपने बेटे तरुण—तीनों के फॉर्म जमा कर दिए। लेकिन 29 नवंबर को बूथ 259 के बीएलओ तपन धर जब यह फॉर्म वेबसाइट पर मैप कर रहे थे, तो पता चला कि तरुण का नाम पहले से ही पश्चिम मेदिनीपुर के एक इलाके में मैप हो चुका है।

तपन धर ने तुरंत पश्चिम मेदिनीपुर के बीएलओ से संपर्क किया और बताया कि तरुण उनके इलाके का वोटर है तथा उसके पिता ने सभी दस्तावेज जमा किए हैं। उसी दिन पश्चिम मेदिनीपुर के बीएलओ ने हाबरा के बीएलओ, तरुण और उसके परिवार से बात कर सच्चाई की पुष्टि की। पता चला कि तरुण अब पश्चिम मेदिनीपुर में शादीशुदा है और उसका एक कॉलेज में पढ़ने वाला बेटा भी है। तरुण के बेटे ने तरुण का नंबर लेकर अपने दादा प्रशांत दत्ता को फोन किया। इतने वर्षों बाद बेटे की खबर सुनकर वृद्ध दंपत्ति की आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े।

दंपत्ति ने बेटे को बताया कि उन्होंने उसके सभी पुराने कर्जे चुका दिए हैं और अब वह निश्चिंत होकर घर लौट आए। तरुण भी भावुक हो उठा और उसने कहा कि वह माता-पिता के पास लौटना चाहता है। अब दोनों परिवारों के मिलने की तारीख का इंतजार सिर्फ परिवार ही नहीं, मोहल्ले वाले भी बेसब्री से कर रहे हैं।

बुजुर्ग दंपत्ति ने कहा कि अगर एसआईआर प्रक्रिया शुरू न होती, तो उन्हें जीवन के इस अंतिम पड़ाव में अपना बेटा शायद कभी नहीं मिलता। अब वे अपने बेटे और उसके परिवार की घर वापसी का इंतजार कर रहे हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / धनंजय पाण्डेय