कोलकाता के दुर्गा पूजा पंडालों में लोकप्रिय जासूसी किरदारों की धमक, ब्योमकेश से फेलूदा तक रोमांचक सफर



कोलकाता, 27 सितंबर (हि.स.)। कोलकाता में दुर्गा पूजा की धूम शुरू हो चुकी है। महानगर के पंडालों में ऐतिहासिक धरोहरों, सामाजिक सरोकारों और धार्मिक प्रतिकों के साथ-साथ मनोरंजन से जुड़े विषयों को भी उभारा गया है। इसी क्रम में कुछ पंडाल बंगाल के लोकप्रिय जासूसी साहित्य और फिल्मों की झलक भी प्रस्तुत कर रहे हैं। शर्दिन्दु बंद्योपाध्याय के सत्यान्वेषी ब्योमकेश बक्शी से लेकर सत्यजीत रे के फेलूदा और अन्य कालजयी किरदारों के माध्यम से श्रद्धालुओं और दर्शकों को रहस्य, रोमांच की दुनिया की सैर कराने की पूरी तैयारी की गई है।
दमदम पार्क तरुण संघ ने इस वर्ष प्रसिद्ध जासूस ब्योमकेश बक्शी को केंद्र में रखा है। डिजाइनर अनिर्बाण दास द्वारा सजाए गए इस पंडाल में 1950 और 60 के दशक की पॉप आर्ट शैली को जीवंत किया गया है। विशाल कॉमिक स्ट्रिप जैसे माहौल में आगंतुकों को ‘श्रीश्री दुर्गा मंदिर कंठहार रहस्य’ की काल्पनिक कहानी दिखाई देती है, जिसमें पूजा के दौरान देवी का हार चोरी हो जाता है। पंडाल में “ब्योमकेशेर डायरी” का मंचन भी हो रहा है, जिसमें ‘पथेर कांटा’ की कहानी पर नाट्य रूपांतरण दिखाया गया है। ब्योमकेश के साथी अजीत और पत्नी सत्यवती के प्रसंग पंडाल को और नाटकीयता प्रदान करते हैं।
बालीगंज 71 पल्लि ने सत्यजीत रे की फिल्म ‘सोनार केल्ला’ के 50 वर्ष पूरे होने पर उसे थीम बनाया है। डिजाइनर राजू सरकार ने जैसलमेर किले की भव्य प्रतिकृति खड़ी की है। पंडाल और आसपास की सजावट में फेलूदा, तोपसे और जटायु के रोमांचक सफर को दर्शाया गया है। युवा मुकुल की कल्पनाशीलता को दर्शाते हुए मां दुर्गा की मूर्ति को गुड़िया जैसे रूप में गढ़ा गया है। फिल्म के प्रसिद्ध संगीत और संवाद पंडाल में गूंजते हैं, जिससे आगंतुकों को मानो आधी सदी पुरानी सिनेमाई यात्रा दोबारा जीने का अवसर मिलता है।
कांकुड़गाछी चालंतिका क्लब ने ‘टिक-टिकी’ थीम के अंतर्गत बंगाल के दिग्गज जासूसों को समर्पित पंडाल बनाया है। ‘हीरेर हाथ बदल’ शीर्षक कहानी पर आधारित यह सजावट एक काल्पनिक हीरे की चोरी को दर्शाती है। यहां फेलूदा, पांडव गोयेंदा, मितिन मासी और किरीटी जैसे लोकप्रिय जासूसों के साथ-साथ कई कुख्यात अपराधियों की झलक भी है। पुराने कोलकाता के घरों की प्रतिकृतियां, दुर्घटनाओं के दृश्य और चमकदार रोशनी दर्शकों को रहस्य और अपराध की दुनिया में खींच ले जाती हैं। मां दुर्गा की मूर्ति के ऊपर एक छिपकली को जाल काटते हुए दिखाया गया है, जो अपराध का पर्दाफाश करने वाले जासूसों का प्रतीक है। लाल और नीले रंगों का संयोजन अच्छाई और बुराई के संघर्ष को उजागर करता है।
इन कलात्मक प्रस्तुतियों, प्रतीकों और नाटकीय सजावटों के माध्यम से इस बार कोलकाता के पंडाल न केवल पूजा का माहौल बना रहे हैं, बल्कि बंगाल की लोकप्रिय जासूसी किरदारों को भी जीवंत कर रहे हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर