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एसआईआर के बीच अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों का बड़े पैमाने पर भारत से पलायन

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एसआईआर के बीच अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों का बड़े पैमाने पर भारत से पलायन


एसआईआर के बीच अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों का बड़े पैमाने पर भारत से पलायन


कोलकाता, 23 नवम्बर (हि.स.)। पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया से भारत-बांग्लादेश सीमा पर अभूतपूर्व हलचल देखी जा रही है। अवैध रूप से भारत में रह रहे बांग्लादेशी नागरिक बड़ी संख्या में अपने देश लौटने लगे हैं। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और राज्य पुलिस दोनों इस अचानक बढ़ी गतिविधि से निपटने में पूरी क्षमता के साथ तैनात हैं, क्योंकि प्रतिदिन सैकड़ो की संख्या मे पकड़े और लौटाये जाने वाले अवैध प्रवासियों की संख्या सुरक्षा ढांचे पर भारी दबाव बना रही है।

उत्तर 24 परगना, मालदा और दक्षिण बंगाल के अन्य सीमावर्ती इलाकों में पिछले कुछ सप्ताहों मे जो परिदृश्य उभरा है, वह पिछले कई वर्षों मे कभी सामने नहीं आया था। बीएसएफ के अनुसार उत्तर 24 परगना के स्वरूपनगर स्थित हाकिमपुर चेकपोस्ट से ही एसआईआर शुरू होने के बाद लगभग 1600 बांग्लादेशी नागरिक वापस लौट चुके हैं।

दशकों से भारत में रहकर वोटिंग करते रहे थे घुसपैठिएसीमा की खुली और नक्शा-रहित पगडंडियों से आने-जाने का प्रयास करने वाले इन लोगों मे बड़ी संख्या ऐसे व्यक्तियों की है, जो 10 से भी अधिक वर्ष भारत में रह चुके थे। इनमें से कई लोगों ने मतदान प्रक्रिया में भाग लिया, कई ने विभिन्न सरकारी कल्याणकारी योजनाओं में अपना नाम दर्ज करा लिया और कई ने यहां स्थायी निवास की तरह अपनी जिंदगी बसाने की कोशिश भी की। जितने लोग पकड़े गए हैं, उनमें से अधिकतर के पास भारत का मतदाता पहचान पत्र, आधार कार्ड और यहां तक कि पश्चिम बंगाल में राज्य सरकार की ओर से चलाई जाने वाली कई सामाजिक योजनाओं के दस्तावेज भी बरामद हुए हैं।

बीएसएफ अधिकारियों के अनुसार जब कोई व्यक्ति अवैध रूप से सीमा पार करते समय पकड़ा जाता है, तो उसके इरादे को केवल घर लौटने का प्रयास मान लेना उचित नहीं होता। अधिकारी बताते हैं कि ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं जिनमे अपराधी तत्व भी अपराध कर भागने की नीयत से सीमा पार करने की कोशिश करते हैं। कई मामलों मे कट्टरपंथी या संदिग्ध तत्व भी इसी भीड़ की आड़ मे सीमा से निकलने का प्रयास कर सकते हैं। इसलिए प्रत्येक पकड़े गए व्यक्ति की गहन जांच, पूछताछ, बायोमेट्रिक मिलान और आपराधिक पृष्ठभूमि की जांच अनिवार्य है। यदि किसी भी स्तर पर कोई आपराधिक तथ्य सामने आता है तो बीएसएफ उन्हें राज्य पुलिस के हवाले कर देती है। ऐसे लोगों पर भारतीय कानून लागू होता है और आगे की कानूनी प्रक्रिया पुलिस और न्यायालय संभालते हैं।

बांग्लादेश बॉर्डर गार्ड्स के हवाले किए जा रहे घुसपैठिएबीएसएफ के दक्षिण बंगाल के प्रवक्ता ने बताया कि जिन व्यक्तियों का आपराधिक रिकॉर्ड नहीं मिलता और जो केवल अवैध रूप से भारत मे रह रहे होते हैं, उनके मामले मे बीएसएफ आवश्यक प्रक्रिया पूरी कर उन्हें बॉर्डर गार्ड्स बांग्लादेश (बीजीबी) के हवाले करती है। लेकिन यह प्रक्रिया भी सरल नहीं है। बीजीबी द्वारा स्वीकार्यता मिलने तक इन व्यक्तियों को बीएसएफ के हिरासत केंद्रों मे रखा जाता है, जहां भोजन, चिकित्सकीय जांच और सुरक्षा का पूरा ध्यान रखना पड़ता है।

बीएसएफ अधिकारियों ने पुष्टि की है कि इस समय प्रतिदिन सीमा से पकड़े जा रहे अवैध प्रवासियों का आंकड़ा अमूमन तीन अंकों में रह रहा है। कुछ रिपोर्टों में प्रतिदिन लगभग 500 जैसे बड़े आंकड़े प्रकाशित हुए हैं। यह चिंताजनक है। वे बताते हैं कि 100, 150 या इससे अधिक की संख्या मे प्रतिदिन पकड़ की सूचना मिल रही है, जो पिछले कई वर्षों की तुलना में अभूतपूर्व है।

एसआईआर शुरू होते ही सीमा पर शुरू हो गई थी हलचलउत्तरी और दक्षिणी बंगाल की सीमाओं पर सबसे अधिक हलचल उसी समय से शुरू हुई, जब राज्य में एसआईआर प्रक्रिया आरम्भ की गई। यह प्रक्रिया चुनावी सूची को अद्यतन और शुद्ध करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण अभियान है। इसमें हर नागरिक का निवास प्रमाण, पहचान और दस्तावेजों का सत्यापन अनिवार्य है। यही वजह है कि जिन अवैध घुसपैठियों ने वर्षों से भारत में बिना किसी वैध दस्तावेज के रहकर जीवन व्यतीत किया, वे पकड़े जाने के भय से अब सीमा से भागने लगे हैं।

उत्तर 24 परगना और मालदा की सीमा ऐसे अवैध आवाजाही का पारंपरिक मार्ग रही है। कई हिस्सों में बाड़बंदी न होने, घनी आबादी और नदी तटीय इलाकों के कारण सीमा की निगरानी चुनौतीपूर्ण रहती है। बीएसएफ की लंबी चौकसी के बावजूद इन इलाकों में अवैध तरीके से प्रवेश और निकास की घटनाएं समय समय पर सामने आती रही हैं। लेकिन पिछले कुछ सप्ताहों में जो तेजी देखी गई है, उसका सीधा संबंध एसआईआर से जोड़ा जा रहा है।

बीएसएफ प्रवक्ता ने हिन्दुस्थान समाचार से कहा कि सीमा पर अभी की स्थिति केवल सुरक्षा चुनौती ही नहीं, बल्कि प्रशासनिक चुनौती भी है। हजारों लोगों को पकड़कर कानूनी प्रक्रिया से गुज़ारना, उनकी बायोमेट्रिक पहचान दर्ज करना, अपराध रिकॉर्ड खंगालना, उनके बयान रिकॉर्ड करना, बीजीबी को औपचारिक रूप से जानकारी भेजना और फिर स्वीकार्यता मिलने पर उन्हें आगे बढ़ाना, इन सबको सुव्यवस्थित तरीके से करना बेहद कठिन हो गया है।

उन्होंने कहा कि कोई भी सुरक्षा एजेंसी इतने बड़े पैमाने पर पकड़े गए लोगों को लम्बे समय तक हिरासत में नहीं रख सकती। ऐसे मे जांच पूरी होने के बाद, और बीजीबी की अनुमति मिलते ही, यदि कोई अपराधिक तथ्य नहीं मिलता, तो उन्हें वापस भेजना ही सबसे उपयुक्त विकल्प है।

सीमा पर बीएसएफ ने बढ़ाई चौकसीहाकिमपुर, पेट्रापोल, गोपालनगर, फरक्का और मालदा की विभिन्न सीमा चौकियों पर बीएसएफ की ओर से सुरक्षा मजबूत की गई है। कई जगह अतिरिक्त जवान तैनात करने के साथ विशेष निगरानी दल भी गठित किए गए हैं, जो रात दिन सीमा पर गतिविधियों की निगरानी कर रहे हैं।

बॉर्डर से सटे गांवों में बदल रही है जनसांख्यिकीमालदा, उत्तर 24 परगना और मुर्शिदाबाद के कई गांवों मे लोगों के लौटने की खबरों से वहां निवासियों के बीच भी चर्चाओं का माहौल है। कई ग्रामीणों का कहना है कि उनके इलाकों में वर्षों से बड़ी संख्या में लोग बसा करते थे, जिनके बारे में स्थानीय लोग भी नहीं जानते थे कि वे कहां से आए हैं। अब वे सभी अपने परिवार और सामान लेकर सीमा की ओर जा रहे हैं। इससे कई गांवों में सामाजिक ढांचे में बदलाव देखा जा रहा है।

बीएसएफ के अनुसार अभी यह सिलसिला थमने की संभावना नहीं है। जैसे जैसे एसआईआर आगे बढ़ेगा और दस्तावेज सत्यापन की प्रक्रिया अधिक कड़ी होगी, वैसे वैसे और लोग सीमा की ओर लौट सकते हैं।

पश्चिम बंगाल में अवैध बांग्लादेशी नागरिकों की समस्या राजनीतिक, सामाजिक और सुरक्षा से जुड़ा हुआ बहुत पुराना मुद्दा है। लेकिन एसआईआर के प्रभाव से इस मुद्दे के नए आयाम सामने आने लगे हैं।-----------------

हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर