छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर का ‘उल्टापानी’ जहां गुरुत्वाकर्षण भी हार मान लेता है !




-पानी ऊपर बहता है, गाड़ी खुद चढ़ाई चढ़ जाती है मैनपाट की वादियों में प्रकृति का हैरतअंगेज़ खेल
अंबिकापुर, 15 अक्टूबर (हि.स.)। छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर जिले के मैनपाट की हरी-भरी वादियाँ इस वक्त चर्चाओं में हैं। वजह है यहां का मशहूर ‘उल्टापानी’, जहां पानी नीचे नहीं, ऊपर की ओर बहता दिखाई देता है। गाड़ियां न्यूट्रल में डालने पर खुद-ब-खुद चढ़ाई चढ़ जाती हैं। ऐसा दृश्य देखने के बाद हर कोई सोच में पड़ जाता है क्या यहाँ गुरुत्वाकर्षण के नियम बदल गए हैं?
रहस्यमय जगह, जहां नज़रें धोखा खा जाती हैं
अंबिकापुर से लगभग 55 किलोमीटर दूर मैनपाट के बिसर पानी क्षेत्र में यह प्राकृतिक रहस्य स्थित है। चारों ओर ऊँचे पेड़, घुमावदार सड़कें और हल्की ढलानें हैं लेकिन इन ढलानों पर पानी की धाराएं ऊपर जाती नज़र आती हैं। स्थानीय निवासी बताते हैं कि, यह दृश्य वर्षों से वैसा ही है, और अब यह जगह देश-विदेश के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन चुकी है।
लछन बाई, जो पास के गांव की निवासी हैं, कहती हैं कि, हम तो बचपन से देख रहे हैं बेटा, यहाँ पानी नीचे नहीं, ऊपर चढ़ता है। गाड़ी भी बिना गियर लगाए ऊपर की तरफ चल पड़ती है। भगवान की लीलाएं हैं ये!
ड्राइवर रमेश गुप्ता मुस्कुराते हुए बोले कि, पहली बार देखा तो डर ही गया था, लगा गाड़ी में कुछ गड़बड़ है। अब सैलानियों को यही दिखाने लाते हैं, और सब दंग रह जाते हैं।
वैज्ञानिकों ने बताया भ्रम, चमत्कार नहीं
सरगुजा विश्वविद्यालय के भूगोल विभागाध्यक्ष प्रो. आर.के. वर्मा बताते हैं कि, यह एक ऑप्टिकल इल्यूजन (दृश्य भ्रम) है। भूमि का झुकाव और पेड़ों की दिशा ऐसी है कि आंखें असली ढलान को पहचान नहीं पातीं। जब हमने थ्योदो लाइट और लेवलिंग उपकरण से जाँच की, तो पाया कि पानी वास्तव में नीचे ही बह रहा है लेकिन देखने में वह ऊपर जाता प्रतीत होता है।
सैलानियों के लिए हैरत और रोमांच का संगम
रायपुर से आई पर्यटक निधि अग्रवाल कहती हैं कि, हमने वीडियो बनाया, कागज़ की नाव छोड़ी सचमुच ऊपर जा रही थी! बच्चों ने तो कहा ये मैजिक वाटर है। मैनपाट में यह जगह सबसे रोमांचक लगी।
मिनी तिब्बत की पहचान में एक नया आकर्षण
मैनपाट को पहले ही मिनी तिब्बत कहा जाता है। यहाँ का मौसम, ऊँचाई और प्राकृतिक सौंदर्य हर किसी को मोह लेता है। अब उल्टापानी इस हिल स्टेशन की नई पहचान बन चुका है। स्थानीय प्रशासन इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की दिशा में काम कर रहा है।
रहस्य नहीं, प्रकृति की रचना का कमाल
उल्टापानी यह साबित करता है कि प्रकृति हमेशा हमारी इंद्रियों से ज़्यादा चतुर है। यह कोई चमत्कार नहीं, बल्कि प्रकृति का एक सुंदर भ्रम है जो हमें यह सिखाता है कि हर दिखने वाली चीज़ वैसी नहीं होती जैसी लगती है। अंबिकापुर का यह जल-संगम अब सिर्फ वैज्ञानिकों के लिए अध्ययन का विषय नहीं, बल्कि पर्यटकों के लिए अद्भुत अनुभव का ठिकाना बन गया है।
हिन्दुस्थान समाचार / विष्णु पांडेय