अंग्रेजों के जमाने में जिस जेल मैं कैद था डाकू सुल्ताना अब बनेगी पर्यटक स्थल
हरिद्वार, 15 दिसंबर (हि.स.)। उत्तराखंड की तीर्थनगरी हरिद्वार की पहचान गंगा व अन्य धार्मिक स्थलों के लिए है। यहां राजाजी टाइगर रिजर्व होने के कारण लोग जंगल सफारी के लिए भी आते हैं लेकिन अब पर्यटन विभाग श्यामपुर क्षेत्र में स्थित अंग्रेजों की पुरानी जेल को संरक्षित कर इसे एडवेंचर टूरिज्म से जोड़ने की योजना बना रहा है। इस जेल का इतिहास तत्कालीन रॉबिन हुड कहे जाने वाले सुल्ताना डाकू से जुड़ा हुआ है।
चंडी देवी मंदिर के समीप श्यामपुर में खंडहर नुमा यह इमारत करीब सवा सौ साल पुरानी है। अंग्रेज इस इमारत से कानून व्यवस्था संभालते थे और इसका प्रयोग जेल व थाने के रूप में भी किया जाता था। खास बात यह है कि इस जेल का इतिहास 20वीं सदी की शुरुआत में इंडियन रोबिन हुड कहे जाने वाले सुल्ताना डाकू से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि सुल्ताना डाकू को पकड़ने के लिए फ्रेडी यंग नामक एक विशेष अधिकारी को बुलाया गया और गिरफ्तार होने के बाद उसे कुछ समय के लिए इसी जेल में रखा गया था।
जिला पर्यटन अधिकारी सुशील नौटियाल ने बताया कि पर्यटन विभाग अब इस इमारत को संरक्षित कर इसे वनविभाग की झिलमिल झील सफारी के साथ जोड़ने की योजना बना रहा है। इससे यहां आने वाले सैलानी इतिहास के साथ एडवेंचर टूरिज्म का भी आनंद ले सकेंगे।
हरिद्वार और समीपवर्ती जनपदों बिजनौर, कोटद्वार व मुरादाबाद में सुल्ताना डाकू से जुड़ी कहानियां और किंवदंतियां आज भी सुनने को मिलतीं हैं, जिनमे सुल्ताना को अंग्रेजों और अमीरों से धन लूटकर गरीबों की मदद करने वाला उदार डकैत बताया जाता है। सुल्ताना डाकू का किरदार अपने आप में साहसिक और रोचक होने के कारण लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बन जाता है। शायद इसीलिए सुल्ताना के नजीबाबाद स्थित किले पर भी सैलानियों का तांता लगा रहता है। अगर इस जेल को सुल्ताना डाकू से जोड़कर प्रचारित किया गया तो पर्यटक यहां जरूर आएंगे।
सुशील नौटियाल का कहना है कि जंगल सफारी और एडवेंचर टूरिज्म के साथ श्यामपुर में ब्रिटिश कालीन जेल को सुल्ताना डाकू की यादों से जोड़कर संरक्षित करने से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। यह परियोजना हरिद्वार को धार्मिक और साहसिक पर्यटन का केंद्र बनाने में मदद करेगी।
हिन्दुस्थान समाचार / डॉ.रजनीकांत शुक्ला
