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आगरा -प्रार्थना, कैरोल सिंगिंग और सतरंगी रोशनी के साथ आज रात जन्मेगें प्रभु यीशु

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आगरा -प्रार्थना, कैरोल सिंगिंग और सतरंगी रोशनी के साथ आज रात जन्मेगें प्रभु यीशु


आगरा -प्रार्थना, कैरोल सिंगिंग और सतरंगी रोशनी के साथ आज रात जन्मेगें प्रभु यीशु


आगरा -प्रार्थना, कैरोल सिंगिंग और सतरंगी रोशनी के साथ आज रात जन्मेगें प्रभु यीशु


-आगरा के ऐतिहासिक गिरजाघरों में तैयारी पूरी

आगरा, 24 दिसंबर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के आगरा शहर के ऐतिहासिक गिरजाघरों में बुधवार की रात 12 बजे प्रभु यीशु के जन्म को लेकर मसीही समाज में तैयारियां चरम पर हैं गिरजाघरों में उल्लास और उत्साह का वातावरण है। मसीही समाज के घरों में और गिरजाघरों में प्रभु आगमन की तैयारियां बीते एक दिसंबर से चल रही है, घर- घर सांय कैरोल सिंगिंग से वातावरण संगीतमय बना हुआ और पिछले एक सप्ताह से गिरजाघरों को सतरंगी रोशनी से सजाने की तैयारी चल रही है जो आज अपने अंतिम रूप में है , कैथोलिक, मेथाडिस्ट प्रोटेस्टेंट सभी विचारधाराओं के गिरजाघरो के कोने कोने में साफ सफाई कर उनको आकर्षक ढंग से सजाया गया है। मुख्य जन्मोत्सव कार्यक्रम आज रात आगरा के ऐतिहासिक सेंट पीटर्स (अकबरी चर्च) में होंगे।

आज बुधवार की रात 12 बजते ही सेंट पीटर्स चर्च में लगे बड़े घंटे की आवाज के साथ प्रभु यीशु के जन्म का ऐलान किया जाएगा और विशेष प्रार्थनाएं सभाएं प्रारंभ हो जाएगी । क्रिसमस पर आगरा वजीरपुरा स्थित सेंट पीटर्स चर्च को भव्य रूप से सजाया गया है, जहां पर एक बड़ी प्रदर्शनी भी लगाई गई है प्रदर्शनी में 15 फीट ऊंचा क्रिसमस ट्री,सांता क्लाज, और प्रभु यीशु मसीह की चरणी सहित करीब 10 झांकियां लोगों को आकर्षित करेंगे। इस वर्ष बाइबल को क्रिसमिस थीम के रूप में सेंट पीटर्स चर्च के बाहर रखा गया है। जिसका बड़ा आकार 10 बाई 20 फीट इन झांकियां का प्रमुख केंद्र बिंदु है।

सेंट पीटर्स चर्च के फादर राजन दास ने बताया कि प्रभु यीशु मसीह के जन्मदिन को यादगार बनाने के लिए पिछले 15 दिनों से मसीह समाज लगातार तैयारी में जुटा है, इस बार सेंट पीटर चर्च परिसर में भव्य प्रदर्शनी लगाई गई है जिसकी पायलट थीम बाइबल रखी गई है 10 गुणा 20 फीट के इस बड़े आकार की बाइबल आकर्षण का प्रमुख केंद्र बिंदु है।यह थीम हमको करुणा, प्रेम और भाईचारे का संदेश देती है।

सेंट पीटर्स के ही दूसरे फादर आशीष बताते हैं कि 24 दिसंबर की रात विशेष प्रार्थना सभा का आयोजन होगा 25 दिसंबर को सुबह से चर्च श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाएगा इस वर्ष करीब दो लाख श्रद्धालुओं, दर्शकों,और सहभागियों के आने की संभावना है अनुमानित भीड़ के आधार पर ही चर्च में तैयारी की गई हैं।

आगरा कैथोलिक और मेथाडिस्ट दोनों ही ईसाई समुदायों की आस्थाओं का केंद्र बिंदु रहा है तथा इनसे जुडे गिरजाघरों का भी ऐतिहासिक महत्व है।

ताज महल से भी पुराना चर्च -सेंट पीटर्स (अकबरी चर्च) जो अकबर ने बनवाया था:-

आगरा में स्थित अकबर का चर्च उत्तर भारत का पहला और सबसे पुराना चर्च माना जाता है। इसे मुगल बादशाह अकबर ने सन 1599 में आगरा के वजीरपुरा क्षेत्र में बनवाया था. आज भी यह चर्च पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. ईसाई धर्म के अलावा अन्य धर्मों के लोग भी यहां आते हैं. क्रिसमस के अवसर पर यहां बड़े धूमधाम से कार्यक्रम आयोजित होते हैं। ईसाई समाज के अनुसार, इस चर्च का निर्माण पादरी जेसुइट जेवियर की देखरेख में हुआ था. इस चर्च के निर्माण में करीब एक साल का वक्त लगा था और इसका निर्माण सन् 1599 में शुरू हुआ था, जो वर्ष 1600 में पूरा हुआ।

अकबर का चर्च ताजमहल से भी पुराना है

अकबरी चर्च को अब सेंट पीटर्स चर्च के नाम से जाना जाता है,इसे 'मदर मैरी का महागिरजा घर' भी कहा जाता है। ये मुगलकाल का पहला ईसाई चर्च है। आगरा के वजीरपुरा में स्थित है । यह चर्च आगरा के कैथोलिक समुदाय का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। ईसाई समाज के लोग बताते हैं कि अकबर के शासनकाल में लाहौर से एक पादरी जेसुइट जेविरयर आगरा पहुंचे थे। पादरी ने इच्छा जाहिर की थी कि उसे शहर में एक स्थान दिया जाए, जहां वह प्रभु ईसा मसीह की इबादत कर सकें, तब अकबर ने अपनी बेगम मरियम के कहने पर उस पादरी को यह जगह वजीरपुरा में मुहैया कराई थी। जहां पर यह चर्च बनाया गया, इसलिए इसे आज भी अकबर का चर्च के नाम से जाना जाता है। अकबर द्वारा आगरा में ईसाइयों को दिए गए पूजा स्थल पर ही इटली के बिशप बोर्गी ने रोमन कैथोलिक चर्च का निर्माण सन 1848 में कराया था। बोर्गी ने 1842 में सेंट पैट्रिक स्कूल तथा 1846 में सेंट पीटर्स कालेज का भी निर्माण कराया था। निष्कलंक माता का यह गिरजाघर इतालवी वास्तुकला का नमूना है। ईसा की माता मरियम की बड़ी मूर्ति यहां लगी है। 1910 में इटली से तीन नए घंटे यहां लाए गए थे, शेष दो घंटे अकबर के गिरजाघर के थे। ये रोमन कैथोलिक मत से जुड़ा आगरा का सबसे बड़ा गिरजाघर है

माता मरियम को समर्पित सेंट मैरी चर्च

कैथोलिक समुदाय से जुडा आगरा प्रतापपुरा स्थित सेंट मैरी चर्च दूसरा बड़ा चर्च है। ईसाई समाज के बीच खास महत्व रखने वाली इस चर्च को बनने में 45 साल का लंबा समय लगा। माता मरियम को समर्पित इस चर्च को समाज के लोग चमत्कारी चर्च मानते हैं। ईसाई समाज के लोगों का मानना है कि इस चर्च से कोई खाली हाथ नहीं जाता। जो भी भक्त इस चर्च में मन्नत लेकर आता है,माता मरियम उसकी मनोकामना पूरी करती हैं।

जानकार बताते हैं कि आजादी से पूर्व आगरा की सबसे बड़ी कंपनी जॉन्स मिल के मलिक जॉन्स परिवार ने 1920 में इस जमीन को चर्च बनाने के लिए दान किया था। 1923 में फादर राफेल ने चर्च की नींव रखी। इसके बाद लगातार 45 साल तक चर्च का निर्माण होता रहा। वर्ष 1968 में चर्च बनकर तैयार हुई। चर्च को प्रभु यीशु की माता मरियम को समर्पित किया गया। चर्च को सेंट मैरी चर्च नाम दिया गया।

आगरा में है 135 साल पुराना मेथाडिस्ट चर्च

आगरा में ही ईसाई समाज की मेथाडिस्ट शाखा का 135 साल पुराना सेंट्रल मेथाडिस्ट चर्च कलेक्ट्रेट के निकट एमजी रोड पर स्थित है। इस चर्च का निर्माण वर्ष 1888 में हुआ था। फादर होलमैन ने इस चर्च का निर्माण कराया था। इस चर्च से ईसाई समाज के करीब 5 हजार सदस्य जुड़े हुए हैं। जो हर त्योहार पर चर्च में आते हैं।

चर्च के असोसिएट प्रीस्ट अर्पण जैकब ने बताया कि इस चर्च से जुड़ा महत्वपूर्ण डाटा आग लगने से जल गया था। चर्च का पुराना इतिहास क्या रहा इसकी पुख्ता जानकारी तो नहीं हैं। इतना जरूर है कि इस चर्च का निर्माण 1888 में फादर होलमैन ने किया था।सेंट्रल मेथोडिस्ट चर्च परिसर में शिक्षण संस्थान होलमैन इंस्टीट्यूट संचालित है।

आगरा के अन्य महत्वपूर्ण प्रमुख चर्च

टीन का गिरजा (सेंट पौल्स चर्च)

आगरा में खंदारी स्थित सेंट पाल्स चर्च की नींव 1840 में रखी गई थी, 1855 में यह चर्च बनकर तैयार हुआ। 1852 में आपदा के समय इस गिरजाघर ने लोगों को रोजगार दिया था। इस गिरजाघर के लिए ब्रिटिश अधिकारियों ने भूखंड प्रदान किया था। रिचार्ज तत्कालीन समय लोहे की टीन शेड में शुरू किया गया था यह चर्च आज भी टीन का गिरजा के नाम से जाना जाता है

सेंट जोर्जेस चर्च

सदर बाजार स्थित सेंट जोर्जेस चर्च सन 1828 में अंग्रेज सैनिकों के लिए इसको बनाया गया था। इसकी स्थापत्य कला अंग्रेजी है। बाहर से सुंदर दिखने वाला चर्च अंदर से भी बेहद खूबसूरत है। पूर्व की ओर बड़ा पूजा स्थल है, जहां पुरोहित प्रार्थना सभा का संचालन करते हैं।

हैवलाक चर्च

चर्च आफ नार्थ इंडिया के अंतर्गत यह गिरजाघर आता है। यह ईसाईयों के दूसरे मत प्रोटेस्टेंट का है। इसकी नींव 1840 में ब्रिटिश काल में रखी गई थी। आगरा में प्रोटेस्टेंट मत का क्षेत्रफल की दृष्टि से यह सबसे बड़ा चर्च है। अधिकतर इसकी शैली जर्मनी है। इसमें गोथियन स्थापत्य कला है।

सेंट जोंस चर्च

शहर के मध्य स्थित सेंट जोंस चर्च सीएनआइ का गिरजाघर है। हास्पिटल रोड पर बना यह चर्च लगभग डेढ़ सौ वर्ष पुराना है। इसका निर्माण 1850 में लेफ्टिनेंट कर्नल जोन कालविन ने कराया था। इसे 'कटरे का गिरजा' के नाम से भी जाना जाता है।

मरियम टाम्ब

सिकंदरा स्थित मरियम टाम्ब के पास भी सेंट जोंस चर्च है, जिसे 1842 में बनाया गया था।

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हिन्दुस्थान समाचार / Vivek Upadhyay