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वडनगर : इतिहास और विरासत की नई पहचान

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वडनगर : इतिहास और विरासत की नई पहचान


वडनगर : इतिहास और विरासत की नई पहचान


वडनगर : इतिहास और विरासत की नई पहचान


वडनगर, 25 सितम्बर (हि.स.)। गुजरात का वडनगर आज वैश्विक मानचित्र पर केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मस्थान होने से नहीं, बल्कि अपने हजारों साल पुराने इतिहास और सांस्कृतिक धरोहरों के कारण भी चर्चा में है। यहां की गलियों से लेकर मंदिरों और स्थापत्य कला तक में वह प्राचीनता झलकती है, जो भारत की सांस्कृतिक यात्रा की गवाह रही है।

वडनगर का इतिहास लगभग ढाई हजार वर्ष पुराना माना जाता है। पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की खुदाई में यहां से सातवीं से ग्यारहवीं शताब्दी तक के बौद्ध विहारों और मठों के अवशेष मिले हैं। इसके अलावा यहां की प्राचीर और किलाबंदी दर्शाती है कि यह नगर मध्यकाल में एक समृद्ध व्यापारिक और धार्मिक केंद्र था। प्राचीन ग्रंथों में भी वडनगर का उल्लेख मिलता है। यह नगर उत्तर गुजरात की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में विख्यात था, जहां से व्यापार मार्ग भी गुजरते थे।

हिंदू, जैन और बौद्ध धर्म से जुड़ाव

वडनगर की खासियत यह है कि यह केवल एक धार्मिक परंपरा तक सीमित नहीं रहा। यहां हिंदू धर्म के प्राचीन मंदिर जैसे हाटकेश्वर महादेव मंदिर आज भी श्रद्धा का केंद्र हैं। इसी प्रकार जैन धर्म के सुंदर मंदिर नगर की धार्मिक विविधता का परिचय देते हैं। यहां खुदाई में बौद्ध मठ, स्तूप और आभूषणों के अवशेष मिले हैं, जो बताते हैं कि यह नगर बौद्ध भिक्षुओं का महत्वपूर्ण ठिकाना रहा है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वडनगर को अब बौद्ध सर्किट से जोड़ा जा रहा है। स्थानीय गाइड मलय त्रिवेदी के अनुसार वडनगर की खासियत इसकी बहुलता है। यहां हिंदू मंदिर, जैन मंदिर और बौद्ध मठ साथ-साथ देखने को मिलते हैं। यही इसे अद्वितीय बनाता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जुड़ाव

वडनगर का नाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कारण विश्व स्तर पर जाना जाने लगा। मोदीजी ने अपने बचपन का एक बड़ा हिस्सा यहीं बिताया। वडनगर रेलवे स्टेशन पर उन्होंने अपने पिता के साथ चाय बेची थी। यही वजह है कि यह नगर अब ‘मोदी का गांव’ कहकर पहचाना जाता है।

प्रधानमंत्री स्वयं कई बार वडनगर आ चुके हैं। 2017 में जब उन्होंने यहां रोड शो किया था, तो पूरे शहर ने ऐतिहासिक स्वागत किया। मोदी के जीवन से जुड़ी यह धरती अब देश-विदेश के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन चुकी है।

केंद्र और राज्य सरकार दोनों वडनगर को पर्यटन और हेरिटेज हब के रूप में विकसित कर रही हैं। वडनगर को बौद्ध सर्किट में शामिल किया गया है, जिससे अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों का आना बढ़ रहा है। यहां रेलवे स्टेशन का कायाकल्प किया गया है और उसे ऐतिहासिक स्वरूप दिया गया है।

नगर की झीलों, किलों और मंदिरों के संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। गुजरात सरकार ने वडनगर में हेरिटेज वॉक की व्यवस्था की है, ताकि पर्यटक इतिहास और संस्कृति को नजदीक से जान सकें। मलय त्रिवेदी का कहना है कि आज वडनगर में बड़े स्तर पर विकास कार्य हो रहे हैं। सरकार इसे हेरिटेज टाउन बनाने की दिशा में काम कर रही है। आने वाले समय में यह देश के प्रमुख पर्यटन स्थलों में शुमार होगा।

वडनगर की इमारतों को हेरिटेज लुक दिया जा रहा है। पुराने मकानों का जीर्णोद्धार कर उनकी ऐतिहासिक सुंदरता को बनाए रखने की कोशिश हो रही है। नगर के प्रवेश द्वार और तोरण द्वार को विशेष रूप से संवारकर पर्यटन का केंद्र बनाया गया है। रेलवे स्टेशन, जहां कभी छोटे से प्लेटफॉर्म पर नरेंद्र मोदी अपने पिता के साथ चाय बेचा करते थे, अब आधुनिक सुविधाओं से युक्त है, लेकिन उसकी पुरानी आत्मा को सहेजकर रखा गया है। यही संयोजन वडनगर को आधुनिकता और परंपरा में संतुलन बनाता है।

वडनगर की पहचान तोरण द्वार

वडनगर की सबसे बड़ी धरोहरों में तोरण द्वार का नाम प्रमुख है। सोलंकी काल में बने ये द्वार आज भी अपनी कला और स्थापत्य के लिए प्रसिद्ध हैं। इनकी नक्काशी और डिजाइन गुजरात की समृद्ध शिल्प परंपरा का उदाहरण हैं। आज इन्हें ‘वडनगर की पहचान’ कहा जाता है।

वडनगर धीरे-धीरे अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर अपनी जगह बना रहा है। यहां बौद्ध भिक्षुओं की विरासत देखने चीन, जापान, श्रीलंका और अन्य देशों के पर्यटक आते हैं। साथ ही मोदीजी से जुड़ा होने के कारण देशभर से लोग यहां पहुंचते हैं। मलय त्रिवेदी बताते हैं “अभी यहां रोजाना बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। वडनगर का माहौल बदल चुका है। यह गुजरात ही नहीं, पूरे भारत की धरोहर है।”

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हिन्दुस्थान समाचार / ईश्वर