पशुपालन क्षेत्र में नारी शक्ति : गुजरात के डेयरी उद्योग के विकास में लाखों महिला पशुपालक दे रही हैं अभूतपूर्व योगदान



बनास डेयरी में महिला सभासद वार्षिक 50 लाख रुपये से अधिक राशि का दूध जमा कराकर आर्थिक रूप से बनीं सक्षम
गांधीनगर, 22 सितंबर (हि.स.)। नवरात्रि का पर्व माँ शक्ति के नौ रूपों की आराधना का पर्व है, जो नारी शक्ति का प्रतीक है। आज महिलाएँ हर क्षेत्र में अग्रणी हैं और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी महिलाओं के नेतृत्व में विकास पर ज़ोर दिया है। बनास डेयरी में महिला सभासद वार्षिक 50 लाख रुपये से अधिक राशि का दूध जमा कराकर आर्थिक रूप से सक्षम बन चुकी हैं।
राज्य सूचना विभाग ने अपने बयान में बताया कि गुजरात में भी महिलाएँ विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति कर रही हैं। खासकर राज्य के पशुपालन क्षेत्र का विकास महिलाओं को आभार है। आज गुजरात की लाखों महिला पशुपालक डेयरी सहकारी समितियों का नेतृत्व कर रही हैं, अच्छी आय अर्जित कर रही हैं और अपने समुदायों में बदलाव ला रही हैं।
कच्छ की सोनलबेन गोयल पशुपालन से हर महीने ₹1,75,000 कमाती हैं
कच्छ जिले में मुंद्रा तहसील के पत्री गाँव की सोनलबेन गोयल बताती हैं कि “एक समय मेरे पास 3 दुधारू पशु थे और मेरी मासिक 12,000 रुपये की आय होती थी। आज राज्य सरकार की सहायता से मैं मासिक 1,75,000 रुपये की कमाई कर रही हूँ। प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों एवं पशुपालकों की दोगुनी करने का सपना संजोया है, जो हमारे लिए वास्तविक बन गया है।”
वह राज्य सरकार की स्वरोजगार-पशुपालन व्यवसाय के लिए 50 दुधारू पशुओं का डेयरी फार्म स्थापित करने की सहायता योजना के माध्यम से आर्थिक रूप से स्वतंत्र तथा सशक्त बनी हैं। न केवल सोनलबेन, बल्कि राज्य की हजारों महिलाएँ आज दूध सहकारी मंडलियों का नेतृत्व कर रही हैं और लाखों की कमाई कर रही हैं। इसका श्रेय तत्कालीन मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री मोदी को जाता है, जिनके उल्लेखनीय प्रयासों को गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल दृढ़ गति से आगे बढ़ा रहे हैं। इसी के फलस्वरूप आज गुजरात में लाखों महिलाएँ पशुपालन क्षेत्र में सक्रिय योगदान दे रही हैं।
गुजरात में डेयरी और पशुपालन में महिलाओं की भूमिका उल्लेखनीय
राज्य में पिछले दो दशकों में महिलाओं के लिए डेयरी उद्योग आर्थिक स्वतंत्रता तथा सशक्तीकरण का महत्वपूर्ण माध्यम बन गया है। ये महिलाएँ उनके परिवारों की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के अलावा परिवार के लिए स्वास्थ्य तथा शिक्षा भी सुनिश्चित कर रही हैं। महिला दूध उत्पादक मंडलियों तथा महिलाओं के लिए सरकार की विभिन्न योजनाओं द्वारा उनकी आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति मजबूत बनी है। उल्लेखनीय बात यह है कि आज पशुपालन और दूध उत्पादन के विभिन्न कामकाज में महिलाओं का योगदान लगभग 70 प्रतिशत है।
राज्य में 21,000 से अधिक मंडलियों में लगभग 4986 मंडलियाँ हैं महिला संचालित
गुजरात के पशुपालन क्षेत्र में महिलाओं द्वारा संचालित डेयरी को-ऑपरेटिव्स तथा स्वयं-सहायता समूहों की संख्या भी उल्लेखनीय है। राज्य में कुल 21,000 से अधिक दूध उत्पादक सहकारी मंडलियाँ हैं, जिनमें से लगभग 4986 महिला संचालित मंडलियाँ हैं। राज्य के कुल 32 लाख से अधिक सभासदों में 10 लाख से अधिक सभासद महिलाएँ हैं। बनास डेयरी जैसी बड़ी डेयरियों में, जहाँ एक दिन में लगभग अधिकतम 1 करोड़ लीटर दूध जमा होता है, वहाँ भी महिला पशुपालकों का उल्लेखनीय योगदान है। बनास डेयरी में काफी बड़ी संख्या में महिला सभासद वार्षिक 50 लाख रुपये से अधिक राशि का दूध जमा कराकर आर्थिक रूप से अधिक सक्षम बनी हैं।
ए-हेल्प योजना अंतर्गत स्वयं-सहायता समूहों की महिलाओं को दिया जाता है विशेष प्रशिक्षण
केन्द्र व राज्य सरकार विभिन्न योजनाओं तथा प्रशिक्षण कार्यक्रमों के जरिये डेयरी एवं पशुपालन क्षेत्र में महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही हैं। केन्द्र सरकार की ए-हेल्प योजना अंतर्गत स्वयं-सहायता समूहों की महिलाओं को पशुपालन से जुड़े कार्यों का प्रशिक्षण दिया जाता है। इसमें कृमिनाशक दवाई पिलाना, पशुपालन विभाग की विभिन्न योजनाओं के प्रचार का कार्य, पशुधन गणना कार्य, इयर टैगिंग आदि कार्य शामिल हैं। गुजरात में लगभग 480 पशु सखियों को आरएसईटीआई (ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान) में पशुपालन का विशेष प्रशिक्षण देकर ए-हेल्प बनाया गया है।
10 वर्षों में पशुपालन क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी में दर्ज हुई अभूतपूर्व वृद्धि
पिछले 10 वर्षों में पशुपालन विभाग अंतर्गत विभिन्न योजनाओं के लिए लाभ लेने वाली महिलाओं की संख्या उत्तरोत्तर बढ़ी है। आँकड़ों पर दृष्टि डालें, तो 2014-15 में वित्तीय सहायता का लाभ पाने वाली महिलाओं की संख्या केवल 805 थी, जबकि 2024-25 में अब तक 42,337 महिला लाभार्थियों को वित्तीय सहायता मिली है। पिछले 10 वर्षों में कुल 2.14 लाख से अधिक महिलाओं को पशुपालन संबंधी विभिन्न योजनाओं का लाभ मिला है। उल्लेखनीय है कि पहले महिलाएँ केवल घर के काम और साथ में पशुपालन का व्यवसाय करती थीं, लेकिन अब पशुपालन का व्यवसाय वैज्ञानिक ढंग से होने तथा सरकार की विभिन्न प्रोत्साहक पुरस्कार योजनाओं के कारण महिलाओं की सामाजिक प्रतिष्ठा भी बढ़ी है।
गुजरात की महिला पशुपालकों के योगदान को मिली है राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता
प्रदेश की महिला पशुपालकों को डेयरी एवं पशुपालन क्षेत्र में उनके योगदान के लिए राष्ट्रीय स्तर पर भी मान्यता प्राप्त हुई है। भारत के डेयरी उद्योग में अत्यंत प्रतिष्ठित सम्मान ‘गोपालरत्न अवॉर्ड’ 2021 में मोंघीबेन वर्धसिंह राजपूत, 2022 में सोनलबेन नारणभाई गोयल तथा 2023 में बृंदा सिद्धार्थ शाह को प्रदान किया गया है, तो राज्य स्तर पर ‘श्रेष्ठ पशुपालक अवॉर्ड’ द्वारा महिला पशुपालकों को प्रेरणा प्रदान की जा रही है। डेयरी एवं पशुपालन में महिलाओं को सशक्त बनाकर गुजरात सरकार उसकी ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति दे रहा है और राज्य की डेयरी क्रांति में महिलाओं को अग्रसर बनाकर राष्ट्रीय स्तर पर अनूठा उदाहरण स्थापित कर रहा है।
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हिन्दुस्थान समाचार / Abhishek Barad