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मप्र में आजीविका मिशन से जुड़ीं महिलाओं का अनोखा नवाचार, गोबर से बनाया प्राकृतिक पेंट

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मप्र में आजीविका मिशन से जुड़ीं महिलाओं का अनोखा नवाचार, गोबर से बनाया प्राकृतिक पेंट


मप्र में आजीविका मिशन से जुड़ीं महिलाओं का अनोखा नवाचार, गोबर से बनाया प्राकृतिक पेंट


- मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने की सराहना, महिला सशक्तिकरण की दिशा में बताया अनूठी पहल

भोपाल, 01 अक्टूबर (हि.स.)। मध्‍य प्रदेश के ग्वालियर जिले की आजीविका मिशन से जुड़ीं महिलाओं ने अपने अनोखे नवाचार से पर्यावरण-संरक्षण की दिशा में एक अनुकरणीय पहल की है। महिलाओं ने बड़ी, पापड़, अगरबत्ती और अचार से भी आगे बढ़कर अब गोबर से प्राकृतिक पेंट निर्माण कर महिला सशक्तिकरण का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया है। प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस नवाचार की सराहना करते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 'लोकल फॉर वोकल' के मंत्र और महिला सशक्तिकरण संकल्प को प्रदेश की महिलाओं ने सार्थक कर दिखाया है।

गोबर से प्राकृतिक पेंट

जनसंपर्क अधिकारी मधु सोलापुरकर ने बुधवार को बताया कि ग्वालियर जिले के भितरवार विकासखंड की खेड़ापति स्व-सहायता समूह की सक्रिय सदस्यों ने एकजुट होकर गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने का कार्य प्रारंभ किया। उनके द्वारा किए गए नवाचार को न केवल सराहा गया, बल्कि उन्हें आर्थिक संबल भी मिला। उनका यह कार्य पर्यावरण-संरक्षण की दिशा में भी एक अनुकरणीय पहल है।

उन्‍होंने बताया कि आजीविका मिशन से जुड़ी महिलाओं ने प्राकृतिक पेंट बनाकर एक अनोखी और सफल पहल की है। इस पहल से महिलाओं को न केवल अतिरिक्त आय का साधन मिला है बल्कि पर्यावरण-संरक्षण की दिशा में भी महत्वपूर्ण योगदान हुआ है। यह पेंट गोबर से बनाया जाता है। इसमें किसी भी प्रकार के हानिकारक केमिकल का उपयोग नहीं होता। इस कारण यह स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए पूरी तरह सुरक्षित है और दीवारों को आकर्षक रंग भी प्रदान करता है। साथ ही मात्र 4 घंटे में दीवार पर लगा ये पेंट सूख भी जाता है।

जिला कलेक्टर रुचिका चौहान ने समूह की महिलाओं को इस कार्य के लिए प्रेरित कर तकनीकी प्रशिक्षण एवं विपणन (मार्केटिंग) में भी आवश्यक सहयोग उपलब्ध कराया। जिले के भितरवार ब्लॉक के ग्राम करहिया में गठित खेड़ापति स्व-सहायता समूह के सक्रिय सदस्यों ने आजीविका मिशन के माध्यम से आत्मनिर्भर की सच्ची मिसाल पेश की है। प्राकृतिक पेंट का उत्पादन स्थानीय स्तर पर रोजगार के साथ पर्यावरण-अनुकूल विकल्प साबित हो रहा है। समूह की महिला सदस्य आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं।

समूह की सदस्य संध्या कहती हैं कि हम पहले केवल घर तक सीमित थे, लेकिन अब अपने हाथों से बने पेंट को बेचकर अच्छा मुनाफा प्राप्त कर रहे हैं। इससे बच्चों की पढ़ाई और घर के खर्च में मदद मिल रही है। प्राकृतिक पेंट बनाने की ट्रेनिंग से हमें नया हुनर मिला है। लोग हमारे पेंट की सराहना कर रहे हैं, जिससे हमें आगे और काम करने की प्रेरणा मिलती है। प्रशासन अब इस उत्पाद को सरकारी कार्यालयों एवं संस्थानों में भी उपयोग के लिए बढ़ावा देने की दिशा में कदम उठा रहा है। यह पहल आने वाले दिनों में प्रदेश और देश के लिए प्रेरणा बनेगी।

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हिन्दुस्थान समाचार / उम्मेद सिंह रावत