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विश्व कपास दिवस : गुजरात में कपास का बुवाई क्षेत्र 23.71 लाख हेक्टेयर, उत्पादकता में देश में दूसरे स्थान पर

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विश्व कपास दिवस : गुजरात में कपास का बुवाई क्षेत्र 23.71 लाख हेक्टेयर, उत्पादकता में देश में दूसरे स्थान पर


विश्व कपास दिवस : गुजरात में कपास का बुवाई क्षेत्र 23.71 लाख हेक्टेयर, उत्पादकता में देश में दूसरे स्थान पर


- गत दो दशकों में कपास उत्पादन क्षेत्र में बदली गुजरात की तस्वीर : कृषि मंत्री राघवजी पटेल

गांधीनगर, 6 अक्टूबर (हि.स.)। रोटी, कपड़ा और मकान को मनुष्य जीवन की तीन आधारभूत आवश्यकता माना जाता है। रोटी के बाद महत्वपूर्ण आवश्यकता कपड़ा के लिए कपास अत्यंत जरूरी है। उसी कपास के महत्व को उजागर करने के लिए दुनिया भर में प्रतिवर्ष 7 अक्टूबर को ‘विश्व कपास दिवस’ मनाया जाता है। ‘सफेद सोना’ के रूप में जाना जाने वाला कपास और गुजरात का नाता वर्षों पुराना है। गुजरात अनेक दशकों से कपास की खेती और अनुसंधान के मामले में जागरूक, प्रयासरत और अग्रणी रहा है।

राज्य सूचना विभाग ने सोमवार को बताया कि भारत और गुजरात की अर्थव्यवस्था में कपास अत्यंत अहम भूमिका निभाता है। वर्ष 1960 में गुजरात की स्थापना के समय गुजरात की कपास उत्पादकता केवल 139 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर थी, जो आज बढ़कर लगभग 512 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तक पहुंच गई है, यह देश की औसत कपास उत्पादकता से अधिक है। इस आंकड़े से अनुमान लगाया जा सकता है कि अनुसंधान, विस्तारीकरण, सरकार के किसान-उन्मुख दृष्टिकोण और किसानों के अथक प्रयासों के कारण राज्य को कपास के माध्यम से अरबों रूपए की आय हुई है, जो किसी भी राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ी बात है।

कृषि मंत्री राघवजी पटेल ने कपास के संदर्भ में विस्तार से बताया कि जब भारत आजाद हुआ, तब सूती कपड़ों की ज्यादातर मिलें भारत में ही रह गईं जबकि कपास के बेहतर उत्पादन करने वाले क्षेत्र पाकिस्तान के हिस्से में चले गए। नतीजतन, भारत में कच्चे माल की कमी के कारण हमें बहुमूल्य विदेशी मुद्रा खर्च करके विदेश से कपास आयात करना पड़ता था।

उन्होंने कहा कि वर्ष 1971 में सूरत स्थित अनुसंधान फार्म के माध्यम से विकसित की गई कपास की हाइब्रिड यानी संकर-4 नामक किस्म के बाद देश भर में संकर कपास का नया युग शुरू हुआ और जल्द ही भारत की कपास उत्पादकता में भारी वृद्धि हुई। इसके परिणामस्वरूप भारत की कच्चे माल की जरूरत तो पूरी हुई ही, साथ ही अतिरिक्त उत्पादन का निर्यात भी होने लगा। वर्ष 2020-21 में भारत ने रिकॉर्ड 17,914 करोड़ रुपये मूल्य का कपास निर्यात किया।

गुजरात में कपास का बुवाई क्षेत्र वर्ष 2001-02 तक 17.49 लाख हेक्टेयर था, वह 2024-25 तक बढ़कर 23.71 लाख हेक्टेयर हो गया है। इसके साथ ही, कपास का उत्पादन भी 17 लाख गांठ से बढ़कर 2024-25 में 71 लाख गांठ और उत्पादकता 165 किग्रा प्रति हेक्टेयर से बढ़कर वर्ष 2024-25 तक 512 किग्रा प्रति हेक्टेयर तक पहुंच गई है।

कृषि मंत्री ने कहा कि गुजरात आज कपास के बुवाई क्षेत्र, उत्पादन और उत्पादकता के मामले में पूरे देश में दूसरे स्थान पर है। चालू वर्ष 2025-26 में अब तक राज्य के कुल 21.39 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में कपास की बुवाई हुई है और इस वर्ष भी कुल 73 लाख गांठ के उत्पादन का अनुमान है। आज गुजरात देश के कुल कपास बुवाई क्षेत्र में 20 फीसदी और कुल कपास उत्पादन में लगभग 25 फीसदी का योगदान देता है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि राज्य सरकार की अनेक प्रोत्साहक योजनाओं और कपास संवर्धन के प्रयासों के चलते आने वाले समय में गुजरात देश भर में कपास उत्पादन का हब बनेगा और देश के कुल कपास उत्पादन में गुजरात का योगदान सबसे अधिक होगा।

कृषि मंत्री राघवजी पटेल ने कहा कि बीटी कपास के दौर में भी पूरे देश में बीटी संकर किस्म विकसित करने और उसकी मान्यता प्राप्त करने में गुजरात अग्रणी रहा है। गुजरात सरकार के गहन प्रयासों से सार्वजनिक क्षेत्र की पहली दो बीटी संकर किस्मों - गुजरात कपास संकर-6 बीजी-2 और गुजरात कपास संकर-8 बीजी-2 को वर्ष 2012 में भारत सरकार की ओर से मान्यता मिली थी। इसके बाद, वर्ष 2015 में गुजरात ने दो और बीटी संकर किस्में - गुजरात कपास संकर-10 बीजी-2 और गुजरात कपास संकर-12 बीजी-2 विकसित कर किसानों को कपास की खेती के लिए बीटी कपास की चार किस्में उपलब्ध कराईं।

कृषि मंत्री ने कहा कि दुनिया भर में हो रही जनसंख्या वृद्धि के कारण भविष्य में प्राकृतिक रेशे, वस्त्रों, खाद्य तेल और पशु आहार के लिए कपास के बीज और खली की संभावित मांग आज के मुकाबले 2030 तक डेढ़ गुनी और 2040 तक दोगुनी होने की हो जाएगी। उन्होंने कहा कि इन जरूरतों को ध्यान में रखकर गुजरात, अनुसंधान, नवीन और उन्नत विचारों तथा घरेलू उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल कर कपास के निर्यात के जरिए देश की अर्थव्यवस्था में अहम योगदान दे सकता है।

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हिन्दुस्थान समाचार / Abhishek Barad