Sona Comstar में पारिवारिक विवाद: रानी कपूर ने लगाए गंभीर आरोप

Sona Comstar में विवाद का केंद्र
देश की प्रमुख ऑटो घटक निर्माता कंपनी Sona BLW Precision Forgings, जिसे Sona Comstar के नाम से भी जाना जाता है, इन दिनों एक गंभीर पारिवारिक विवाद के कारण चर्चा में है। दिवंगत उद्योगपति संजय कपूर की मां, रानी कपूर, ने कंपनी के शेयरधारकों को एक पत्र भेजकर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि बेटे की मृत्यु के बाद उनके साथ धोखा हुआ है और उनके पारिवारिक अधिकारों को 'हड़पने की कोशिश' की जा रही है।
कानूनी दस्तावेजों पर हस्ताक्षर का आरोप
रानी कपूर ने आरोप लगाया है कि उन्हें मानसिक तनाव में कुछ कानूनी दस्तावेजों पर जबरन हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया। अब उन दस्तावेजों का उपयोग परिवार की संपत्ति पर नियंत्रण स्थापित करने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने खुद को अपने पति डॉ. सुरिंदर कपूर की पंजीकृत वसीयत के अनुसार अकेली उत्तराधिकारी और कंपनी की सबसे बड़ी शेयरधारक बताया।
बंद दरवाजों के पीछे हस्ताक्षर का मामला
रानी कपूर ने अपने पत्र में लिखा है कि उन्हें बंद दरवाजों के पीछे दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें अपनी वित्तीय जानकारी से वंचित कर दिया गया और जानबूझकर Sona Group से जुड़े निर्णयों से अलग रखा गया। Sona BLW (Sona Comstar) ने रानी कपूर के आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि सभी निर्णय कंपनी कानून और नियामक प्रक्रियाओं के अनुसार लिए गए हैं।
AGM में प्रिया सचदेव कपूर की नियुक्ति
25 जुलाई को आयोजित कंपनी की वार्षिक आम बैठक (AGM) में संजय कपूर की पत्नी प्रिया सचदेव कपूर को गैर-कार्यकारी निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया। यह नियुक्ति कंपनी के प्रमोटर Aureus Investments Pvt Ltd की ओर से नामांकन के आधार पर की गई थी।
कानूनी विवाद का नया मोड़
यह विवाद उस कानूनी ग्रे-ज़ोन को उजागर करता है जिसमें यह सवाल उठता है कि किसी मुख्य शेयरधारक की मृत्यु के बाद असली नियंत्रण किसके पास जाता है। कानून विशेषज्ञों के अनुसार, भारतीय कानून के तहत, नामांकित व्यक्ति केवल एक ट्रस्टी होता है, न कि शेयरों का अंतिम स्वामी।
वसीयत की प्रामाणिकता का मुद्दा
रानी कपूर का कहना है कि कंपनी ने नामांकित ढांचे का सहारा लेकर उनके दावों को नजरअंदाज किया है। उन्होंने संकेत दिया कि वह अपने दिवंगत पति की वसीयत की प्रामाणिकता को अदालत से प्रमाणित कराने के लिए कदम उठा सकती हैं। इससे उन्हें कानूनी रूप से शेयरों का स्वामित्व हासिल करने और कंपनी के मौजूदा फैसलों को चुनौती देने का अधिकार मिल सकता है।
AGM की वैधता पर सवाल
रानी कपूर ने AGM की वैधता पर सवाल उठाते हुए कंपनी से अनुरोध किया कि बैठक को कम से कम दो हफ्ते के लिए टाल दिया जाए। उन्होंने लिखा कि यह आवश्यक है कि Sona Group और परिवार की भूमिका से संबंधित किसी भी निर्णय में उनकी स्पष्ट सहमति के बिना कोई निर्णय न लिया जाए। हालांकि, कंपनी ने स्पष्ट किया कि AGM को टालने का कोई कारण नहीं था और बैठक समय पर आयोजित की गई।