Starlink की सेवा भारत में जल्द शुरू, डेटा स्थानीय रूप से स्टोर होगा

Starlink का भारत में डेटा सेंटर
नई दिल्ली: एलन मस्क की सेटेलाइट-आधारित इंटरनेट सेवा Starlink ने भारत में एक महत्वपूर्ण अपडेट साझा किया है। अब कंपनी अपने यूजर्स का डेटा और इंटरनेट ट्रैफिक देश में ही स्टोर करेगी। इसके लिए Starlink भारत में एक डेटा सेंटर स्थापित करने जा रही है, जिससे सुरक्षा और गोपनीयता से संबंधित नियमों का पालन किया जा सकेगा।
सरकार की घोषणा
सरकार ने गुरुवार को संसद में इस बात की जानकारी दी। हालांकि, Starlink की सेवाएं भारत में कब शुरू होंगी, इसकी कोई निश्चित तारीख अभी तक नहीं बताई गई है। कंपनी को कुछ औपचारिकताएं पूरी करनी होंगी, जिसमें स्पेक्ट्रम आवंटन और आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थापना शामिल है।
यूनिफाइड लाइसेंस प्राप्त
Starlink की सेवा जल्द शुरू होगी: दूरसंचार विभाग (DoT) ने Starlink सेटेलाइट कम्युनिकेशन्स प्राइवेट लिमिटेड को यूनिफाइड लाइसेंस (UL) जारी कर दिया है। कंपनी ने सभी आवश्यक सुरक्षा शर्तें स्वीकार कर ली हैं। संचार एवं ग्रामीण विकास राज्य मंत्री डॉ. पेम्मासानी चंद्रशेखर ने राज्यसभा में बताया कि भारत में सेटेलाइट कम्युनिकेशन सेवा शुरू करने के लिए कंपनी को देश में अर्थ स्टेशन (गेटवे) स्थापित करने होंगे।
डेटा सुरक्षा के उपाय
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत से संबंधित कोई भी यूजर ट्रैफिक देश के बाहर स्थित गेटवे के माध्यम से नहीं भेजा जाएगा। इसके अलावा, भारतीय डेटा की डिक्रिप्शन, स्टोरेज या मिररिंग विदेशों में किसी भी सर्वर या सिस्टम पर नहीं की जा सकेगी। यह कदम डेटा सुरक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
Starlink का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट
Starlink को जून में यूनिफाइड लाइसेंस मिला था और जुलाई में भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe) से 5 साल के लिए अनुमति भी मिल चुकी है। अब कंपनी को भारत में अपनी सेवा शुरू करने से पहले स्पेक्ट्रम आवंटन और ग्राउंड इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करना होगा।
Starlink, एलन मस्क की कंपनी SpaceX का एक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है, जिसका उद्देश्य दुनिया के हर कोने में हाई-स्पीड ब्रॉडबैंड इंटरनेट पहुंचाना है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां पारंपरिक नेटवर्क नहीं पहुंच पाता। इसके लिए कंपनी पृथ्वी की निचली कक्षा (Low Earth Orbit – LEO) में हजारों छोटे सेटेलाइट तैनात करती है। यूजर को केवल एक रिसीवर यूनिट लगानी होती है, जिससे वह सीधे सेटेलाइट से इंटरनेट एक्सेस कर सकता है। भारत में इस सेवा के शुरू होने से दूरदराज के क्षेत्रों को इंटरनेट से जोड़ने में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।