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काशी तमिल संगमम भारत की एकात्मता और विविधता में एकता का प्रतीक बन रहा: डॉ सुकांत मजूमदार

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काशी तमिल संगमम भारत की एकात्मता और विविधता में एकता का प्रतीक बन रहा: डॉ सुकांत मजूमदार


काशी तमिल संगमम भारत की एकात्मता और विविधता में एकता का प्रतीक बन रहा: डॉ सुकांत मजूमदार


काशी तमिल संगमम भारत की एकात्मता और विविधता में एकता का प्रतीक बन रहा: डॉ सुकांत मजूमदार


-काशी और तमिलनाडु की गहरी जड़ें सांस्कृतिक समृद्धि का उत्सव मनाने के लिए एक साथ आई: मोहन चरण माझी

-संगमम के तीसरे संस्करण का नमोघाट पर समापन, केन्द्रीय शिक्षा राज्य मंत्री डॉ सुकांत मजूमदार और उड़ीसा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी हुए शामिल

वाराणसी, 24 फरवरी (हि.स.)। केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री डॉ सुकांत मजूमदार ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में काशी तमिल संगमम का आयोजन भारत की एकात्मता और विविधता में एकता का प्रतीक बन रहा है। संगमम संस्कृति के एकीकरण, प्रेम व सम्मान को एक सूत्र में पिरोने का महोत्सव भी बन गया है। केन्द्रीय मंत्री डॉ मजूमदार सोमवार शाम नमोघाट पर आयोजित काशी तमिल संगमम के तीसरे संस्करण के समापन समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि काशी और तमिलनाडु की सांस्कृतिक विरासत को संजोते हुए हम विकसित भारत के लक्ष्य की ओर अग्रसर हैं। सरकार के प्रयासों से युवा सशक्तिकरण, कौशल विकास, उद्यमिता और सतत विकास को बढ़ावा मिल रहा है, जिससे समृद्ध और आत्मनिर्भर भारत की नींव रखी जा रही है। उन्होंने कहा कि यह महाकुंभ ऐसे समय में हो रहा है जब अयोध्या में भव्य राम मंदिर का उद्घाटन किया गया है, और यह संगमम केवल अतीत को संजोने का नहीं, बल्कि आधुनिक भारतीय संस्कृति को आकार देने का भी एक महत्वपूर्ण अवसर है।

समापन समारोह में ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने कहा कि काशी और तमिलनाडु की गहरी जड़ें सांस्कृतिक समृद्धि का उत्सव मनाने के लिए एक साथ आई हैं। उन्होंने कहा कि काशी आध्यात्मिकता का केंद्र है, जबकि तमिलनाडु अपनी समृद्ध साहित्य, नृत्य और सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है। उन्होंने ओडिशा और तमिलनाडु के सांस्कृतिक संबंधों का उल्लेख करते हुए कहा कि ओडिशी से भरतनाट्यम तक, गंगा से कावेरी तक, हम सभी एक हैं। उन्होंने इस विचार को प्रधानमंत्री मोदी की एक भारत, श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना से जोड़ा और कहा कि इस आयोजन से भारतीय संस्कृति की साझी विरासत को और अधिक बल मिलेगा। इसके पहले केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव सुनील कुमार बरनवाल ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्रालय के प्रयासों से भारत का शैक्षिक और अनुसंधान तंत्र तेजी से सशक्त हो रहा है। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत हुए सुधारों का उल्लेख किया।

काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के कार्यवाहक कुलपति प्रो. संजय कुमार ने सभी संस्थानों, शिक्षा मंत्रालय, अधिकारियों, कर्मचारियों, कलाकारों और स्वयंसेवकों को इस आयोजन को सफल बनाने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की सराहना की, जिन्होंने इस आयोजन को भारतीय संस्कृति के आदान-प्रदान और राष्ट्रीय एकता को सुदृढ़ करने का मंच बनाया।

कार्यवाहक कुलपति ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और शिक्षा मंत्रालय के प्रयासों से भारत की शिक्षा और सांस्कृतिक नीतियां अब वैश्विक मंच पर अपनी पहचान बना रही हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 जैसी पहल शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला रही हैं और अनुसंधान, नवाचार, एवं सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा दे रही हैं। उन्होंने कहा कि काशी तमिल संगमम 3.0 के इस सफल आयोजन ने भारत की गंगा-जमनी तहज़ीब और सांस्कृतिक एकता को और अधिक सशक्त किया है। यह आयोजन न केवल भविष्य की पीढ़ियों को अपनी जड़ों से जोड़ने का एक माध्यम बना, बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' के संकल्प को भी बल दिया। समापन समारोह में उपस्थित अतिथियों ने भारत की सांस्कृतिक और शैक्षिक विरासत को और अधिक मजबूत करने का संकल्प लिया, जिससे आने वाली पीढ़ियां अपनी जड़ों से जुड़ी रहें और एक समृद्ध, आत्मनिर्भर और आधुनिक भारत का निर्माण हो सके।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी