UGC की सख्ती: रैगिंग के खिलाफ नियमों का पालन न करने वाले संस्थानों पर कार्रवाई

रैगिंग के मामलों पर UGC की नई पहल
रैगिंग की बढ़ती घटनाओं को ध्यान में रखते हुए, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) अब सख्त कदम उठाने की तैयारी में है। छात्रों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए, आयोग ने उन संस्थानों को निशाना बनाया है जो एंटी-रैगिंग नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। ऐसे संस्थानों को जवाबदेही का सामना करना पड़ेगा जिन्होंने न तो छात्रों से एंटी-रैगिंग हलफनामा लिया और न ही समय पर रिपोर्ट प्रस्तुत की।
डिफॉल्टर संस्थानों की सूची
इस डिफॉल्टर सूची में आईआईटी खड़गपुर, बॉम्बे, हैदराबाद और पलक्कड़ जैसे प्रमुख संस्थान शामिल हैं। इसके अलावा, आईआईएम मुंबई, रोहतक और तिरुचिरापल्ली, एआईआईएमएस रायबरेली, NID और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) जैसे अन्य बड़े संस्थानों को भी नोटिस जारी किया गया है। ये सभी संस्थान एंटी-रैगिंग के अनिवार्य डिक्लरेशन और अनुपालन हलफनामा समय पर जमा नहीं कर सके।
UGC की चेतावनी
यूजीसी की स्पष्ट चेतावनी
यूजीसी के सचिव डॉ. मनीष जोशी ने कहा कि आयोग ने पहले भी कई बार रिमाइंडर भेजे थे, लेकिन संस्थानों ने नियमों की अनदेखी की। इसे न केवल यूजीसी के नियमों की अवहेलना माना गया, बल्कि छात्रों की सुरक्षा के प्रति गंभीर लापरवाही भी कहा गया। यदि 30 दिनों के भीतर आवश्यक कदम नहीं उठाए गए, तो यूजीसी संस्थानों की फंडिंग रोकने, मान्यता रद्द करने या एफिलिएशन समाप्त करने जैसे कठोर कदम उठा सकती है।
एंटी-रैगिंग कानून का महत्व
एंटी-रैगिंग कानून का प्रावधान
यूजीसी के 2009 के एंटी-रैगिंग रेगुलेशन के अनुसार, हर सत्र की शुरुआत में छात्रों और अभिभावकों से रैगिंग के खिलाफ घोषणा-पत्र लेना अनिवार्य है। इसका उद्देश्य छात्रों को एक सुरक्षित और सौहार्दपूर्ण वातावरण प्रदान करना है। इसके उल्लंघन को गंभीर अनुशासनहीनता माना जाता है, और इस पर कार्रवाई निश्चित रूप से की जाएगी।