UNSC में इजरायल और पाकिस्तान के बीच तीखी बहस, आतंकवाद पर उठे सवाल

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में विवाद
संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में इजरायल और पाकिस्तान के बीच एक गंभीर राजनयिक बहस हुई। इजरायल ने पाकिस्तान की आतंकवाद के प्रति 'दोहरी नीतियों' पर तीखा हमला किया। इजरायल ने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान इस तथ्य को नहीं बदल सकता कि अल-कायदा का प्रमुख ओसामा बिन लादेन उसकी धरती पर छिपा हुआ था और वहीं उसे मार दिया गया था।
यह बहस गुरुवार को कतर की राजधानी दोहा में हमास नेताओं पर इजरायली हमले के संदर्भ में हुई चर्चा के दौरान हुई।
संयुक्त राष्ट्र में इजरायल के स्थायी प्रतिनिधि, राजदूत डैनी डैनन ने पाकिस्तानी प्रतिनिधि आसिम इफ्तिखार अहमद पर निशाना साधते हुए कहा, 'जब बिन लादेन पाकिस्तान में मारा गया, तो किसी ने यह नहीं पूछा कि 'एक आतंकवादी को विदेशी धरती पर क्यों निशाना बनाया गया?'... असली सवाल यह था कि 'एक आतंकवादी को शरण क्यों दी गई?'... आज भी यही सवाल पूछा जाना चाहिए।'
इजरायल ने आगे कहा कि यदि ओसामा बिन लादेन को कोई छूट नहीं मिली, तो हमास को भी कोई छूट नहीं मिलनी चाहिए।
इससे पहले, पाकिस्तानी प्रतिनिधि अहमद ने इजरायल की आलोचना करते हुए कतर में उसके हमले को 'गैरकानूनी और अकारण आक्रामकता' बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि यह हमला क्षेत्रीय शांति को कमजोर करने वाले इजरायल के 'लगातार आक्रामक पैटर्न' का हिस्सा है। अहमद ने इजरायल पर गाजा में 'क्रूर सैन्य कार्रवाई' और सीरिया, लेबनान, ईरान तथा यमन में बार-बार सीमा पार हमले करने का भी आरोप लगाया।
यह बैठक 9/11 आतंकी हमलों की 24वीं बरसी पर हुई, जिसका मास्टरमाइंड ओसामा बिन लादेन था। इजरायली प्रतिनिधि डैनन ने इसका उल्लेख करते हुए कहा, '9/11 का वह त्रासदीपूर्ण दिन इजरायल के लिए 7 अक्टूबर की तरह ही आग और खून का दिन था।' उन्होंने परिषद को याद दिलाया कि 9/11 के बाद UNSC ने एक प्रस्ताव पारित किया था, जिसमें स्पष्ट कहा गया था कि कोई भी राष्ट्र आतंकवादियों को न तो शरण दे सकता है, न उन्हें फंड कर सकता है और न ही उनकी मदद कर सकता है। उन्होंने कहा, 'जो भी सरकार ऐसा करती है, वह इस परिषद की बाध्यकारी जिम्मेदारियों का उल्लंघन करती है। यह सिद्धांत तब भी स्पष्ट था, और आज भी उतना ही स्पष्ट रहना चाहिए।'