उपराष्ट्रपति ने देशवासियों से देश के हितों को सर्वोपरि प्राथमिकता देने का आग्रह किया
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नई दिल्ली, 14 मई (हि.स.)। उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने देशवासियों से भगवद्गीता की शाश्वत शिक्षाओं से सीख लेते हुए देश के हितों को सर्वोपरि प्राथमिकता देने का आग्रह किया। अनिश्चितता के बीच एक मार्गदर्शक प्रकाश के रूप में गीता के कालातीत ज्ञान को रेखांकित करते हुए धनखड़ ने इस बात पर जोर दिया कि गीता उदात्तता, आध्यात्मिकता, धार्मिकता, अपने कर्तव्य के प्रति प्रतिबद्धता और स्वयं से खुद को दूर करने का मार्ग दिखाती है।
धनखड़ मंगलवार को लोकसभा के पूर्व महासचिव और प्रसिद्ध संविधान विशेषज्ञ डॉ. सुभाष सी कश्यप की पुस्तक ‘श्रीमद्भगवद गीता- भाष्य’ का संसद भवन में लोकार्पण करने के बाद सभा को संबोधित कर रहे थे। धनखड़ ने गीता से प्रेरणा लेते हुए संविधान की मूल प्रति में 22 लघु चित्रों की ओर ध्यान आकर्षित कराया। भाग 4 के राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों पर ध्यान केंद्रित करते हुए उन्होंने भगवद्गीता की शिक्षाओं की गहन तुलना की, जहां भगवान कृष्ण ने कुरुक्षेत्र के युद्ध के मैदान में अर्जुन को ज्ञान दिया था।
भारतीय संसदीय लोकतंत्र में डॉ. कश्यप के व्यापक अनुभव पर प्रकाश डालते हुए धनखड़ ने कहा कि डॉ. कश्यप ने गठबंधन की दुर्दशा देखी है, जिससे 2014 में गठबंधन को राहत मिली। उन्होंने आगे कहा कि गठबंधन सरकार के अंत के साथ देश ने डॉ. सुभाष कश्यप को पद्म भूषण से सम्मानित किया।
कश्मीर के पर्यटन क्षेत्र में हो रहे परिवर्तनकारी बदलाव पर प्रकाश डालते हुए धनखड़ ने कश्मीर की सुंदर घाटी में पर्यटकों की उल्लेखनीय आमद का उल्लेख किया।
हिन्दुस्थान समाचार/ सुशील/दधिबल