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विकसित भारत अब सपना नहीं, चुनौतीपूर्ण लक्ष्य है: उपराष्ट्रपति

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विकसित भारत अब सपना नहीं, चुनौतीपूर्ण लक्ष्य है: उपराष्ट्रपति


नई दिल्ली, 30 नवंबर (हि.स.)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को नई दिल्ली में 'विकसित भारत 2047 - विजन ऑफ न्यू इंडिया 3.0' कॉन्क्लेव में कहा कि विकसित भारत अब सपना नहीं बल्कि चुनौतीपूर्ण लक्ष्य है। उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि हम इस लक्ष्य को हासिल करके रहेंगे।

धनखड़ ने कहा कि विकसित भारत का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए आम आदमी की आय को 8 गुणा करना होगा। उन्होंने कहा कि इस चुनौतीपूर्ण कार्य को करने में सरकार की नीतियां मददगार होंगी। सरकार की नीतियों ने एक ऐसे वातावरण का निर्माण कर दिया है कि जहां हर भारतीय अपनी प्रतिभा को निखार सकता है। उन्होंने कहा कि आज 50 करोड़ लोग बैंकिंग व्यवस्था से जुड़ गए हैं। बिना बिचौलिए के लाभार्थियों के बैंक खातों में पैसा पहुंचता है। एक साल में चार एयरपोर्ट नए बन रहे हैं। मेट्रो सिस्टम बन रहा है। प्रतिदिन 14 किलोमीटर राजमार्ग और 6 किलोमीटर रेलवे लाइन तैयार हो रही है।

संसद के शीतकालीन सत्र में विपक्ष के व्यवधान पर चिंता जताते हुए धनखड़ ने कहा कि संसद प्रजातंत्र का मंदिर है और हमें वहां जनता की पूजा करनी चाहिए। संसद लोगों की आकांक्षाओं को साकार करने का स्थान है। यदि ऐसे मंदिर की हम गरिमा नहीं रख पाते, वहां विचार-विमर्श नहीं होता है तो वह अशांति और व्यवधान का अड्डा बन जाता है। उन्होंने कहा कि व्यवधान कोई उपाय नहीं बल्कि एक राग है। धनखड़ ने जनप्रतिनिधियों से अपील करते हुए कहा कि वह अपनी आत्मा को टटोलें और शपथ का ध्यान करें। भारत के संविधान के प्रस्तावना को सामने रखें और संसद को शत प्रतिशत उत्पादक बनाएं।

उन्होंने कहा कि राजनीति के अंदर परिवर्तन के बिना कुछ नहीं होता है और देश में परिवर्तन दिखाई दे रहा है। देश के सर्वोच्च पद पर एक जनजातीय महिला विराजमान हैं और केंद्र सरकार का नेतृत्व एक अन्य पिछड़ा वर्ग से आने वाले नरेन्द्र मोदी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि छह दशकों के बाद किसी प्रधानमंत्री को लगातार तीन बार जनता का आशीर्वाद प्राप्त हुआ है।

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हिन्दुस्थान समाचार / सुशील कुमार