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YES बैंक और सुरक्षा ARC डील में वित्तीय अनियमितताओं के संकेत

मुंबई में YES बैंक के पुराने लेन-देन की एक ऑडिट जांच में गंभीर अनियमितताओं के संकेत मिले हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि HDIL का एनपीए खाता सुरक्षा ARC को सौंपा गया था, जिसमें बैंक ने अप्रत्यक्ष रूप से अपने ही खराब लोन को खरीदने के लिए पैसे का उपयोग किया। इस मामले में कैश क्रेडिट लिमिट में वृद्धि और बैंक की निगरानी प्रक्रियाओं पर सवाल उठाए गए हैं। यदि आरोप सही साबित होते हैं, तो इसका असर पूरे एसेट रिकवरी उद्योग पर पड़ सकता है।
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YES बैंक और सुरक्षा ARC डील में वित्तीय अनियमितताओं के संकेत

मुंबई में YES बैंक के लोन ट्रांसफर में अनियमितताएँ

मुंबई में YES बैंक के पुराने लेन-देन की एक विशेष ऑडिट जांच में एक बड़े लोन ट्रांसफर मामले में गंभीर अनियमितताओं के संकेत मिले हैं। रिपोर्ट के अनुसार, हाउसिंग डेवलपमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (HDIL) का लगभग ₹523 करोड़ (ब्याज सहित) का एनपीए खाता 31 मार्च 2017 को 518 करोड़ में सुरक्षा एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी (ARC) को सौंपा गया था। बैंक का दावा था कि इस डील में 15% कैश मार्जिन लिया गया। ऑडिट के मुताबिक, यह रकम वास्तव में बैंक ने ही अप्रत्यक्ष रूप से उपलब्ध कराई थी। यानी बैंक का पैसा घुमाकर उसी बैंक का खराब लोन खरीदने में इस्तेमाल हुआ, जिसे “फंड राउंड-ट्रिपिंग” कहा जाता है।


कैश क्रेडिट लिमिट में वृद्धि

दस्तावेजों के अनुसार, डील से कुछ हफ्ते पहले YES बैंक ने सुरक्षा समूह से जुड़ी कंपनी Fortune Integrated Assets Service Ltd. को 199 करोड़ का टर्म लोन और कैश क्रेडिट सुविधा दी थी। इसके बाद मार्च 2017 में कैश क्रेडिट लिमिट 100 करोड़ और बढ़ा दी गई। आरोप है कि इस रकम का बड़ा हिस्सा सीधे सुरक्षा ARC के खाते में जमा हुआ, जिससे HDIL का लोन खरीदने का भुगतान संभव हुआ।


बैंक की निगरानी प्रक्रियाओं पर सवाल

ऑडिट के अनुसार, इस तरह के लेन-देन बैंक की आंतरिक निगरानी और जोखिम नियंत्रण प्रक्रियाओं पर गंभीर सवाल उठाते हैं। कई मामलों में ARC डील के लिए कैश मार्जिन उन्हीं समूह से जुड़ी कंपनियों को भरने दिया गया, जिनसे बैंक के पहले से व्यावसायिक संबंध थे। इससे खराब लोन बेचने का असली उद्देश्य था कि बैलेंस शीट को मजबूत करना, लेकिन यह कमजोर हो गया। रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि इस सौदे में न तो कोई प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया अपनाई गई और न ही स्वतंत्र मूल्यांकन कराया गया। यहां तक कि SMA-2 श्रेणी के कई खाते, जो जल्द ही एनपीए बनने वाले थे, भी बिना बाजार जांच के सीधे बेचे गए। 2016 से 2018 के बीच सुरक्षा ARC, YES बैंक के खराब एसेट खरीदने वाली सबसे बड़ी कंपनी रही। वित्त वर्ष 2017 में अकेले इस ARC ने बैंक के लगभग 98% ऐसे एसेट खरीदे, जिससे पक्षपात और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठे।


लोन वितरण नीतियों पर उठे सवाल

HDIL के इस लोन पर 14.25% ब्याज और 2% पेनल्टी पहले से जुड़ चुकी थी, जिससे रकम बढ़कर करीब 700 करोड़ हो गई थी। दिवालिया प्रक्रिया में सुरक्षा ARC ने जो दावा पेश किया, उसमें समाधान योजना के तहत उसे केवल 150 करोड़ मिलने की संभावना बताई गई। यानी की 75% से अधिक का घाटा। विशेषज्ञों के अनुसार, ये निष्कर्ष YES बैंक के 2020 से पहले के लोन वितरण और पुनर्गठन नीतियों पर फिर से सवाल खड़े कर सकते हैं। फिलहाल, यह डील नियामकों और जांच एजेंसियों के रडार पर हैं। अगर आरोप साबित होते हैं तो इसका असर न केवल YES बैंक और सुरक्षा ARC, बल्कि पूरे एसेट रिकवरी उद्योग पर पड़ सकता है।