अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव: भारत और इंडोनेशिया के सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक कदम

गीता महोत्सव का वैश्विक महत्व
चंडीगढ़ (चन्द्र शेखर धरणी)- हरियाणा के विरासत और पर्यटन मंत्री डॉ अरविंद शर्मा ने बताया कि भारत और इंडोनेशिया के बीच सनातन धर्म की जीवंतता और आध्यात्मिक परंपराओं को जोड़ने में गीता ज्ञान महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। गीता का ज्ञान हमेशा से काल, देश और सीमाओं से परे रहा है, और कुरुक्षेत्र से शुरू हुआ अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव अब एक वैश्विक आंदोलन बन चुका है, जिसे हमें सभी जगह फैलाना है।
इंडोनेशिया में संगोष्ठी का आयोजन
अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के दूसरे दिन, इंडोनेशिया के बाली में गरुड़ विष्णु कंचन संस्कृति पार्क में 'शांति, सद्भाव और भाईचारे के लिए' विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का शुभारंभ गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज और मंत्री डॉ अरविंद शर्मा ने दीप जलाकर किया। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का रिकॉर्डेड संदेश भी इस अवसर पर प्रस्तुत किया गया। मंत्री ने कहा कि यह महोत्सव भारत से भगवद गीता के शाश्वत ज्ञान को विश्व में फैलाने का एक प्रयास है।
गीता का संदेश और सांस्कृतिक संबंध
कैबिनेट मंत्री डॉ अरविंद शर्मा ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव का उद्देश्य विश्वभर में गीता के महान आध्यात्मिक, दार्शनिक और नैतिक शिक्षाओं को पुनर्जीवित करना है। गीता हमें कर्म, भक्ति और कर्तव्य के बीच संतुलन बनाने की प्रेरणा देती है। यह उत्सव सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने का एक माध्यम है।
गीता मनीषी का दृष्टिकोण
गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि भागवत गीता एक यात्रा है, जो अशांति से शांति की ओर ले जाती है। यह न केवल हिंदुओं के लिए, बल्कि पूरे विश्व के लिए एक मार्गदर्शक है। गीता का ज्ञान आज भी सभी के लिए उपलब्ध है।
मुख्यमंत्री का संदेश
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का रिकॉर्डेड संदेश भी संगोष्ठी में प्रसारित किया गया, जिसमें उन्होंने भारत और इंडोनेशिया के सांस्कृतिक संबंधों की गहराई को रेखांकित किया। उन्होंने गीता के ज्ञान को अपने जीवन में उतारने का आह्वान किया।