अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में लोक कला का अद्भुत प्रदर्शन
कुरुक्षेत्र में लोक संस्कृति का उत्सव
कुरुक्षेत्र: अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के अवसर पर पवित्र ब्रह्मसरोवर ने लोक संस्कृति और शिल्पकला का अद्भुत रूप धारण कर लिया है। यहां विभिन्न राज्यों के शिल्पकार और कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे हैं।
तीसरे दिन का सांस्कृतिक कार्यक्रम
सोमवार को महोत्सव के तीसरे दिन राजस्थान से लेकर जम्मू तक के कलाकारों ने पारंपरिक लोक गीतों और नृत्यों से माहौल को जीवंत बना दिया। दिनभर ब्रह्मसरोवर के घाट वाद्य यंत्रों की धुनों से गूंजते रहे, और पर्यटक इन धुनों पर थिरकते नजर आए।
दर्शकों की भीड़
महोत्सव में वाद्य यंत्रों और लोक गीतों का आनंद लेने के लिए ब्रह्मसरोवर के दक्षिण तट पर दर्शकों की भारी भीड़ जुटी रही। जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के कलाकारों ने राउफ, कुल्लू नाटी, गाथा गायन, छपेली, शामी, गुदुम बाजा, करमा, राई और पंजाब के लुडी जैसे लोक नृत्यों की प्रस्तुति दी।
आगामी प्रस्तुतियों की जानकारी
एनजेडसीसी के अधिकारी भूपेंद्र सिंह ने बताया कि मंगलवार को भी इन राज्यों के कलाकार अपनी आकर्षक प्रस्तुतियों के साथ आएंगे, इसके बाद अन्य राज्यों के कलाकार अपने लोक नृत्यों का प्रदर्शन करेंगे।
कच्ची घोड़ी और स्टीक वॉकर का आकर्षण
कच्ची घोड़ी का नृत्य
महोत्सव में राजस्थान के कलाकारों का कच्ची घोड़ी समूह भी शामिल हुआ है, जिसने महोत्सव में विशेष रंग भरा। सोमवार को इन कलाकारों ने कच्ची घोड़ी का नृत्य प्रस्तुत कर महोत्सव की रौनक बढ़ाई।
स्टीक वॉकर की विशेषता
एनजेडसीसी ने इस वर्ष भी स्टीक वॉकर कलाकारों को आमंत्रित किया है। ये कलाकार अपने पैरों के नीचे बांस बांधकर अपने कद को बढ़ाते हैं और पूरे मेले में घूमते हैं, जो खासतौर पर बच्चों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।
प्रदेश अनुसार स्टॉल आवंटन
शिल्प और सरस मेले का आयोजन
शिल्प और सरस मेले में हरियाणा के साथ-साथ उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, जम्मू कश्मीर, राजस्थान, गुजरात, दिल्ली, असम, उत्तराखंड, पंजाब सहित विभिन्न प्रदेशों के शिल्पकार अपनी विशेष शिल्पकला का प्रदर्शन कर रहे हैं, जिन्हें देखकर पर्यटक उत्साहित हैं। प्रदेश अनुसार शिल्पकारों को स्टॉल आवंटित किए गए हैं।
