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अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2025: सीमा पर योग का अनोखा उत्सव

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2025 पर, जम्मू-कश्मीर के आरएस पुरा सेक्टर में बीएसएफ जवानों ने अपनी ड्यूटी के दौरान योग का अभ्यास किया। यह आयोजन न केवल स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह देश की सुरक्षा में तैनात जवानों के मानसिक और शारीरिक संतुलन का प्रतीक भी है। जानें कैसे योग तनाव को कम करता है और जवानों को मानसिक रूप से मजबूत बनाता है।
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अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2025: सीमा पर योग का अनोखा उत्सव

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2025 का महत्व

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2025: हर वर्ष 21 जून को मनाया जाने वाला यह दिन केवल एक स्वास्थ्य अभियान नहीं है, बल्कि यह भारत की प्राचीन संस्कृति और मानसिक-शारीरिक संतुलन का प्रतीक बन चुका है। 2025 में भी यह दिन पूरे देश में गर्व और उत्साह के साथ मनाया गया। इस बार जम्मू-कश्मीर के आरएस पुरा सेक्टर में, जो भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा के निकट है, बीएसएफ के जवानों ने अपनी ड्यूटी के दौरान योग करके एक प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत किया।


योग का महत्व सुरक्षा में

यह आयोजन केवल एक स्वास्थ्य अभ्यास नहीं है, बल्कि यह दर्शाता है कि देश की सुरक्षा में तैनात जवान भी योग के माध्यम से शक्ति, शांति और संतुलन प्राप्त करते हैं। बीएसएफ के डीआईजी चित्रपाल ने बताया कि सीमावर्ती क्षेत्रों में तनाव का स्तर बहुत अधिक होता है, और ऐसे माहौल में योग शरीर और मन दोनों को मजबूत बनाता है।


वैश्विक पहचान

योग दिवस की वैश्विक पहचान

संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2015 से मान्यता प्राप्त इस दिन को अब 170 से अधिक देशों में मनाया जाता है। यह भारत की सांस्कृतिक शक्ति का प्रतीक बन चुका है।


सीमा पर योग का उत्सव

सीमा पर भी योग का उत्सव

आरएस पुरा सीमा पर योग करते जवानों ने यह साबित किया कि चाहे ड्यूटी कितनी भी कठिन क्यों न हो, योग का अभ्यास हर जगह संभव और आवश्यक है।


तनाव में राहत

तनाव में राहत, मन में स्थिरता

बीएसएफ अधिकारियों के अनुसार, योग ड्यूटी के दौरान तनाव को कम करता है, एकाग्रता को बढ़ाता है और जवानों को मानसिक रूप से मजबूत बनाता है।


सेवा और साधना का मेल

सेवा और साधना का मेल

सीमा पर तैनात जवानों का योग करना यह दर्शाता है कि वे न केवल देश की रक्षा कर रहे हैं, बल्कि आत्म-विकास और आंतरिक शांति की दिशा में भी आगे बढ़ रहे हैं।


योग एक जीवनशैली

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस ने यह सिद्ध कर दिया है कि योग केवल मैट पर किया जाने वाला व्यायाम नहीं है, बल्कि यह एक जीवनशैली है। जब हमारे जवान भी सरहद पर योग कर सकते हैं, तो हम सभी इसे अपनी दिनचर्या में शामिल करके शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बन सकते हैं।