अंबाला में एनसीडीसी शाखा का निर्माण पूरा, नए साल में शुरू होगा कार्य
अंबाला में एनसीडीसी का भवन तैयार
अंबाला, एनसीडीसी शाखा: छावनी के नग्गल गांव में नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) की अंबाला शाखा का ढांचा अब तैयार हो चुका है। यदि सब कुछ सही रहा, तो नए साल में इस केंद्र का कार्य पूरा हो जाएगा, जिसके बाद इसका लाभ राज्य के अन्य जिलों को भी मिलने लगेगा। इस सेंटर का निर्माण सेंट्रल पीडब्ल्यूडी (सीपीडब्ल्यूडी) द्वारा किया जा रहा है।
निर्माण के लिए वित्तीय सहायता
सीपीडब्ल्यूडी को पहले ही 1.39 करोड़ रुपये की पहली किस्त जारी की जा चुकी है। इस सेंटर की स्थापना के लिए कैबिनेट मंत्री अनिल विज ने महत्वपूर्ण प्रयास किए थे, जिसके बाद केंद्र ने अंबाला में एनसीडीसी की शाखा स्थापित करने का निर्णय लिया। हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने ऑनलाइन माध्यम से इस केंद्र के निर्माण का शिलान्यास किया था। इस केंद्र के निर्माण पर लगभग 17 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं।
4 एकड़ में फैला एनसीडीसी का निर्माण
4 एकड़ जमीन पर हो रहा है NCDC निर्माण
एनसीडीसी की शाखा 4 एकड़ 11 मरले भूमि पर बनाई जा रही है। यह तीन मंजिला इमारत होगी। भवन के पहले तल पर सैंपल कलेक्शन और यूटिलिटी रूम, वेटिंग रूम, लॉबी, क्लाइमेट चेंज रूम, ईओसी रूम, ट्रेनिंग रूम, आईडीएसपी, महामारी विज्ञान स्टाफ रूम, पैंट्री और अन्य कमरे होंगे। दूसरे तल पर लैब और अन्य उपकरण स्थापित किए जाएंगे, जिनमें माइक्रो लैब बैक्टीरियोलॉजी, एएमआर लैब, लैब टीचिंग और डेमो रूम, एएमआर ऑफिसर रूम, वायरोलॉजी, लॉबी और अन्य कमरे शामिल होंगे। तीसरे तल पर नॉन बीएसएल लैब एरिया, बीएसएल-2 लैब एरिया, स्टाफ कॉमन रूम, ओपन टैरेस, पैंट्री और अन्य कमरे होंगे। पूरी इमारत में 2 लिफ्ट का प्रावधान किया गया है।
एनसीडीसी का कार्य तीन चरणों में पूरा होगा
तीन चरणों में पूरा किया जाएगा एनसीडीसी
सीएमओ डॉ. राकेश सहल ने बताया कि इस केंद्र का निर्माण तीन चरणों में किया जाएगा। वर्तमान में पहले चरण का कार्य चल रहा है, जिसमें भवन का निर्माण शामिल है। दूसरे चरण में भवन के अन्य कार्य पूरे किए जाएंगे, जबकि तीसरे चरण में लैब स्थापित की जाएंगी। यहां बीमारियों की जांच के लिए आधुनिक उपकरण उपलब्ध होंगे, और लैब भी बायो सेफ्टी के सर्वोत्तम मानकों के अनुसार होगी। इस केंद्र के निर्माण के बाद एकीकृत रोग निगरानी और शोध कार्यों को बढ़ावा मिलेगा, साथ ही पर्यावरणीय बदलाव पर अध्ययन भी संभव होगा।
