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अंबाला विकास फंड पर कांग्रेस नेत्री का सरकार पर हमला

कांग्रेस नेता चित्रा सरवारा ने अंबाला विकास फंड को लेकर हरियाणा सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि पार्षदों के लिए 50 लाख रुपये का फंड नहीं है, जबकि अटके हुए प्रोजेक्ट्स के लिए करोड़ों रुपये के टेंडर जारी हो रहे हैं। स्थानीय लोगों में नाराजगी बढ़ रही है, और चित्रा ने सरकार से सवाल किया है कि क्या जनता की समस्याओं को नजरअंदाज किया जा रहा है। उनका यह बयान अंबाला के विकास कार्यों की कमी को उजागर करता है।
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अंबाला विकास फंड पर कांग्रेस नेत्री का सरकार पर हमला

अंबाला विकास फंड: चित्रा सरवारा का सरकार पर आरोप

कांग्रेस की नेता चित्रा सरवारा ने अंबाला विकास फंड को लेकर हरियाणा सरकार पर तीखा हमला किया है। उन्होंने कहा कि पार्षदों के लिए 50 लाख रुपये का फंड नहीं है, जबकि अटके हुए प्रोजेक्ट्स के लिए करोड़ों रुपये के टेंडर जारी किए जा रहे हैं। अंबाला छावनी में विकास कार्यों की कमी और नगर परिषद के एजेंडे में बाढ़ व जल निकासी जैसे मुद्दों का उल्लेख न होने से स्थानीय लोग नाराज हैं। यह स्थिति जनता और उनके प्रतिनिधियों के साथ खिलवाड़ जैसी है।


चित्रा सरवारा ने सवाल उठाया कि क्या अंबाला छावनी में विकास का पहिया कभी नहीं चलेगा? नगर परिषद ने विकास कार्यों की सूची मांगी, लेकिन बजट देने से मना कर दिया। परिषद के हालिया एजेंडे में बाढ़ और जल निकासी जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों का जिक्र नहीं है।


पार्षदों को अपने वार्ड में सड़क, स्ट्रीट लाइट और अन्य सुविधाओं के लिए फंड की आवश्यकता है। लेकिन सरकार ने 50 लाख रुपये का फंड भी उपलब्ध नहीं कराया है। यह स्थिति स्थानीय विकास को बाधित कर रही है। जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों के साथ ऐसा व्यवहार निंदनीय है।


चित्रा सरवारा ने हरियाणा सरकार पर दोहरे मापदंड का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि वर्षों से अटके प्रोजेक्ट्स के लिए करोड़ों रुपये के टेंडर दोबारा जारी किए जा सकते हैं, लेकिन पार्षदों के लिए छोटी राशि क्यों नहीं? अंबाला में बाढ़ और जल निकासी की समस्या लंबे समय से बनी हुई है, लेकिन इसके समाधान के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।


चित्रा ने सरकार से पूछा कि क्या जनता की समस्याओं को नजरअंदाज किया जा रहा है? यह स्थिति अंबाला के लोगों के लिए निराशाजनक है। विकास कार्यों की कमी से जनता में गुस्सा बढ़ रहा है।


चित्रा सरवारा लंबे समय से अंबाला के लोगों की आवाज उठाती रही हैं। 2013 में वे अंबाला नगर निगम की पार्षद चुनी गईं और 2019 में स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में विधानसभा चुनाव में दूसरे स्थान पर रहीं। हरियाणा प्रदेश महिला कांग्रेस में उनकी सक्रियता ने उन्हें जनता के बीच लोकप्रिय बना दिया है।


उनका यह बयान अंबाला विकास फंड की कमी को उजागर करता है। जनता को उम्मीद है कि सरकार इस मुद्दे पर ध्यान देगी। पार्षदों को फंड देकर विकास कार्यों को गति देना आवश्यक है। अंबाला के लोग अब ठोस कार्रवाई का इंतजार कर रहे हैं।