अखिलेश यादव ने केंद्र सरकार की सुरक्षा नीति पर उठाए सवाल
सुरक्षा रणनीति पर आलोचना
सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने हाल ही में संसद में केंद्र सरकार की सुरक्षा और विदेश नीति की कड़ी आलोचना की। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बावजूद अचानक युद्धविराम की घोषणा पर सवाल उठाते हुए इसे देश के हितों के खिलाफ बताया। यादव ने इसे केवल राजनीतिक विवाद नहीं, बल्कि आम जनता की सुरक्षा और देश की संप्रभुता से जोड़ा।उन्होंने भारतीय सेना की बहादुरी की सराहना की और कहा कि हमारी सेना दुनिया की सबसे शक्तिशाली सेनाओं में से एक है, जिसने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि अगर सरकार ने ठोस कदम उठाए होते, तो पाकिस्तान को रोकना संभव था, जिससे भविष्य में ऐसी घटनाओं की संभावना कम हो जाती।
अखिलेश ने यह भी पूछा कि अचानक युद्धविराम क्यों लागू किया गया और क्या इसके पीछे कोई राजनीतिक समझौता था। उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा इस युद्धविराम की घोषणा का हवाला देते हुए केंद्र सरकार की विदेश नीति पर कटाक्ष किया।
पहलगाम हमले के संदर्भ में भी उन्होंने सरकार की खुफिया तंत्र की विफलता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि 370 हटाए जाने के बाद सरकार ने सुरक्षा का वादा किया था, लेकिन उस क्षेत्र में हुए हमले ने स्पष्ट कर दिया कि प्रशासन जनता की सुरक्षा को गंभीरता से नहीं ले रहा।
उन्होंने यह भी सवाल किया कि जब घटना हो रही थी, तब वहां मौजूद अधिकारियों और सुरक्षा बलों ने कार्रवाई क्यों नहीं की। जनता में इस तरह की घटनाओं को लेकर गहरा रोष है और सवाल उठ रहा है कि सरकार अपनी जिम्मेदारियों को कितनी ईमानदारी से निभा रही है।
लोकसभा में उन्होंने ऑपरेशन महादेव के समय पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि जहां आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए, वहीं राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिशें भी नजर आ रही हैं। पुलवामा हमले की जांच और आतंकियों की पकड़ के संबंध में उन्होंने कहा कि यदि सरकार के पास तकनीक और खुफिया जानकारी है, तो वह अब तक उस घटना को रोक सकती थी।
अखिलेश यादव के ये बयान राजनीतिक गहमागहमी के बीच देश के नागरिकों के लिए सुरक्षा और पारदर्शिता की मांग को उजागर करते हैं। उनकी आलोचना में सरकार की खुफिया तंत्र की कमजोरियों और फैसलों की पारदर्शिता की कमी पर प्रकाश डाला गया है।