अजित पवार ने पुणे जमीन सौदे को रद्द किया, जांच समिति का गठन
मुंबई में विवादित जमीन सौदा रद्द
मुंबई: महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और एनसीपी के नेता अजित पवार ने अपने बेटे पार्थ पवार से संबंधित विवादास्पद पुणे जमीन सौदे को रद्द करने की घोषणा की है। शुक्रवार की रात मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात के बाद, अजित पवार ने कहा कि उन्हें इस सौदे के बारे में पहले कोई जानकारी नहीं थी और यह सौदा उनसे संबंधित नहीं है।
उन्होंने मुख्यमंत्री से मामले की पूरी जांच कराने की मांग की, जिसके बाद राजस्व विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव विकास खरगे की अध्यक्षता में एक जांच समिति का गठन किया गया है। यह समिति एक महीने में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।
जमीन सौदे का विवरण
पार्थ पवार की कंपनी अमाडिया होल्डिंग्स एलएलपी को पुणे के कोरेगांव पार्क में 40 एकड़ सरकारी जमीन केवल 300 रुपये में दी गई, जबकि इसकी बाजार मूल्य लगभग 1800 करोड़ रुपये आंकी जा रही है। इस जमीन पर स्टैंप ड्यूटी मात्र 500 रुपये भरी गई थी।
यह जमीन महार वतन श्रेणी में आती है, जो दलितों के लिए आरक्षित है। नियमों की अनदेखी करते हुए यह सौदा होने पर विपक्ष ने अजित पवार के इस्तीफे की मांग की। इस मामले के बाद पुणे तहसीलदार सूर्यकांत येवले को निलंबित कर दिया गया और दो जांच समितियों का गठन किया गया।
राहुल गांधी का बयान
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा कि दलितों की 1800 करोड़ रुपये की जमीन मंत्री के बेटे की कंपनी को केवल 300 रुपये में दी गई, जो कि सरकारी संपत्ति की चोरी के समान है।
अजित पवार का स्पष्टीकरण
फडणवीस से मुलाकात के बाद, अजित पवार ने कहा कि जैसे ही उन्हें इस सौदे की जानकारी मिली, उन्होंने तुरंत कार्रवाई करते हुए इसे रद्द कर दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस सौदे में एक रुपये का भी लेन-देन नहीं हुआ। पवार ने कहा कि वह हमेशा नियमों के अनुसार कार्य करते हैं और उन पर लगे सभी आरोप निराधार हैं।
एफआईआर में पार्थ पवार का नाम नहीं
राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले के अनुसार, एफआईआर केवल उन अधिकारियों पर दर्ज की गई है जिन्होंने दस्तखत किए थे, इसलिए पार्थ पवार का नाम इसमें नहीं है। अजित पवार ने विश्वास जताया कि एक महीने में सच्चाई सामने आ जाएगी।
