अनंत सिंह: बिहार के बाहुबली नेता की कहानी और उनकी वापसी

अनंत सिंह की रिहाई और स्वागत
अनंत सिंह: मोकामा विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक और चर्चित बाहुबली नेता अनंत कुमार सिंह हाल ही में पटना के बेऊर जेल से रिहा हो गए हैं। जेल के बाहर भारी संख्या में उनके समर्थक मौजूद थे, जिन्होंने फूल मालाओं से उनका भव्य स्वागत किया। अनंत सिंह को पटना हाईकोर्ट से सोनू-मोनू के घर पर हुई गोलीबारी मामले में बड़ी राहत मिली है, जिसके बाद लंबे समय तक जेल में बंद रहने के बाद उन्हें जमानत मिल गई। अब जब अनंत सिंह फिर से आज़ाद हो चुके हैं, तो उनके जीवन की कहानी, खासकर उनकी अपराध की दुनिया में एंट्री और वहां से उनके उभार की कहानी फिर से सुर्खियों में आ गई है.
अनंत सिंह का प्रारंभिक जीवन और अपराध की दुनिया में प्रवेश
बिहार की राजधानी पटना से लगभग 95 किलोमीटर दूर, मोकामा क्षेत्र में जन्मे और पले-बढ़े अनंत सिंह की कहानी बिहार के बाहुबली नेताओं में खास तौर पर चर्चित है। उनके नाम से जुड़ी अपराधिक गतिविधियां और बेबाक बोल उन्हें एक अलग ही पहचान देते हैं। आज अनंत सिंह के अपराध जगत से जुड़ी कहानी उनपर दर्ज लगभग 52 से अधिक अपराधिक मामलों के साथ-साथ उनके राजनीतिक सफर और मोकामा में फैली गैंगवार की घटनाओं के कारण चर्चा में रहती है.
अनंत सिंह की क्राइम वर्ल्ड में शुरुआत कैसे हुई?
अनंत सिंह का अपराधी जीवन चार दशकों से भी अधिक पुराना है। उनकी अपराध की दुनिया में एंट्री का सिलसिला काफी कम उम्र में शुरू हुआ था। वह महज 9 साल के थे जब पहली बार जेल की सलाखों के पीछे गए। उस समय बिहार में राजपूत और भूमिहार जातियों के बीच खून-खराबे की घटनाएं आम हुआ करती थीं, जिसमें अनंत सिंह और उनके परिवार का नाम भी जुड़ गया। उनके बड़े भाई दिलीप सिंह ने स्थानीय गैंगस्टर कामदेव सिंह के साम्राज्य में कदम रखा था, जो बाद में उनके लिए एक बड़ा रास्ता साबित हुआ.
कामदेव सिंह की हत्या के बाद, दिलीप सिंह ने उनके अपराधी साम्राज्य को अपने कब्जे में ले लिया, जिससे अनंत सिंह का भी नाम इस आपराधिक दुनिया में उभरा। उनके परिवार का यह अपराधी प्रभाव क्षेत्र धीरे-धीरे मोकामा और आसपास के इलाकों में फैल गया.
राजनीतिक पृष्ठभूमि और अपराध का संगम
राजनीतिक पृष्ठभूमि और अपराध का संगम
अनंत सिंह ने राजनीति में कदम अपने बड़े भाई दिलीप सिंह के मार्गदर्शन में रखा था। दिलीप सिंह 1980 के दशक में विधायक बने और बाद में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की सरकार में मंत्री भी रहे। राजनीति में कदम रखने के बावजूद, अनंत सिंह का अपराधी इतिहास उनकी पहचान बना रहा.
उनकी क्राइम हिस्ट्री की शुरुआत 1979 में हत्या के आरोप से हुई, और तब से लेकर अब तक उनके खिलाफ कई गंभीर आरोप दर्ज हो चुके हैं। 2015 में एक मामले में उन्हें दोषी ठहराया गया जिसमें उनके परिवार की एक महिला से छेड़छाड़ करने वाले चार युवकों के खिलाफ उन्होंने कार्रवाई की। इस घटना के बाद पटना पुलिस ने उनके आवास पर छापामारी भी की थी.
मोकामा का डॉन और बाहुबली नेता
मोकामा का डॉन और बाहुबली नेता
मोकामा में अनंत सिंह को ‘छोटे सरकार’ के नाम से भी जाना जाता है। उनके ठेठ अंदाज और बेबाक बोल उनके व्यक्तित्व की खासियत हैं। वह शान-ओ-शौकत से रहते हैं और घोड़ों के बेहद शौकीन हैं। 2013 में विधानसभा सत्र में घोड़ागाड़ी पर आने की वजह से वे मीडिया में काफी चर्चा में आए.
उनकी चलती-फिरती मर्सिडीज और महंगी घोड़ागाड़ियों से उनकी शान का अंदाजा लगाया जा सकता है। 2007 में सोनपुर पशु मेले में उन्होंने एक घोड़ा लालू यादव से खरीदा था, लेकिन पहचान छुपाने के लिए किसी और को भेजा था.
पुलिस और एसटीएफ के साथ झड़प
पुलिस और एसटीएफ के साथ झड़प
2024 में बिहार की एसटीएफ ने मोकामा में अनंत सिंह की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की, जिसमें भारी गोलीबारी हुई। इस मुठभेड़ में आठ उनके समर्थक और एक जवान मारे गए, जबकि अनंत सिंह खुद घायल होने के बाद भी भागने में सफल रहे.
2019 में पटना पुलिस ने उनके घर से AK-47 और हैंड ग्रेनेड बरामद किए। शुरुआत में वे गिरफ्तारी से बचते रहे, लेकिन एक सप्ताह बाद दिल्ली की अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया.
जेल और सजा
जेल और सजा
2022 में 2015 के एक मामले में उन्हें दस साल की सजा सुनाई गई। हालांकि जेल में रहते हुए भी उनकी राजनीतिक और सामाजिक पहचान कम नहीं हुई। अनंत सिंह बिहार की बाहुबली राजनीति और अपराध के जटिल रिश्ते का जीवंत उदाहरण हैं, जिनकी कहानी हमेशा सुर्खियों में रहती है.
अनंत सिंह की जिंदगी बिहार के बाहुबली राजनीति और अपराध की जटिल गुत्थी को दर्शाती है। उनकी क्राइम वर्ल्ड में एंट्री परिवार के प्रभाव और तत्कालीन जातिगत संघर्षों से जुड़ी है, जो धीरे-धीरे एक शक्तिशाली और भयभीत करने वाले नेता में तब्दील हो गई। आज भी उनकी कहानी मोकामा समेत पूरे बिहार के अपराध और राजनीति के नक्शे पर एक अहम भूमिका निभाती है.