अनिल अंबानी की रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर पर ED की छापेमारी: क्या है मामला?

ED की कार्रवाई का विवरण
Reliance Infrastructure ED Raid: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने आज मंगलवार को अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप की कंपनी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के खिलाफ फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (FEMA) के तहत जांच के चलते महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में छापे मारे हैं। सूत्रों के अनुसार, मुंबई और इंदौर के महू में कम से कम 6 स्थानों पर एक साथ रेड की गई। ईडी को संदेह है कि कंपनी ने विदेशों में अवैध तरीके से धन भेजा, जो FEMA का उल्लंघन हो सकता है।
मामले की पृष्ठभूमि
क्या है पूरा मामला?
ईडी पहले से ही प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत अनिल अंबानी की कई कंपनियों की जांच कर रही है। इस जांच का मुख्य ध्यान ₹17,000 करोड़ के लोन डायवर्जन पर है। सेबी (SEBI) की रिपोर्ट के अनुसार, रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर (R-Infra) ने सीएलई (CLE) नामक एक इकाई के माध्यम से इंटर-कॉर्पोरेट डिपॉजिट्स (ICDs) के रूप में अवैध रूप से धन अन्य रिलायंस कंपनियों में भेजा। इसके अलावा, आरोप है कि R-Infra ने CLE को रिलेटेड पार्टी घोषित नहीं किया, जिससे वह शेयरधारकों और ऑडिट पैनल की मंजूरी से बच सका।
कंपनी का पक्ष
कंपनी का बचाव
रिलायंस ग्रुप ने एक बयान में कहा कि यह मामला लगभग 10 साल पुराना है और जिस कथित ₹10,000 करोड़ की धोखाधड़ी का जिक्र किया जा रहा है, वह वास्तव में केवल ₹6,500 करोड़ तक सीमित है। कंपनी ने यह भी बताया कि वह पहले ही इस राशि की वसूली के लिए मध्यस्थता प्रक्रिया में शामिल है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के एक रिटायर्ड जज शामिल हैं। इसके अलावा, कंपनी ने स्पष्ट किया कि अनिल अंबानी मार्च 2022 से रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के बोर्ड का हिस्सा नहीं हैं।
अनिल अंबानी की प्रतिक्रिया
पिछले महीने अगस्त में, ED ने अनिल अंबानी से लगभग 10 घंटे तक पूछताछ की थी। वह सुबह 11 बजे दिल्ली स्थित ईडी कार्यालय पहुंचे और रात 9 बजे बाहर निकले।
अंबानी ने गड़बड़ी से किया इनकार
हालांकि, अंबानी ने किसी भी प्रकार की गड़बड़ी से इनकार किया और कहा कि उनकी कंपनियों ने समय पर सभी वित्तीय खुलासे किए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सभी वित्तीय निर्णय कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी लेते थे, और व्यक्तिगत रूप से उन्होंने कोई अनुचित कदम नहीं उठाया।
आगे की संभावनाएँ
इस छापेमारी और जांच से यह स्पष्ट है कि ईडी विदेशी मुद्रा कानूनों के उल्लंघन और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामलों में सख्त रुख अपना रही है। रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर पर लगे आरोप गंभीर हैं, लेकिन कंपनी की ओर से अपनी छवि को साफ-सुथरा बनाए रखने की कोशिश भी जारी है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या ईडी इस मामले में कोई गंभीर कानूनी कदम उठाती है या नहीं।