अफगानिस्तान का बगराम एयरबेस: अमेरिका की रणनीतिक योजनाओं का नया केंद्र

बगराम एयरबेस की रणनीतिक महत्वता
अफगानिस्तान का बगराम एयरबेस एक बार फिर से अमेरिका की रणनीतिक चर्चाओं में शामिल हो गया है। 2001 में तालिबान के खिलाफ लड़ाई के दौरान, अमेरिका ने इस एयरबेस को अपने सैन्य संचालन का मुख्य केंद्र बनाया था। जब 2021 में अमेरिका ने अफगानिस्तान से वापसी का निर्णय लिया, तब तालिबान ने इस स्थान पर नियंत्रण कर लिया। अब, नई रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिका इस एयरबेस को फिर से अपने कब्जे में लेने की योजना बना रहा है। यह एयरबेस काबुल से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और कभी अमेरिका के लिए एक महत्वपूर्ण सैन्य अड्डा था।
भौगोलिक स्थिति और रणनीतिक महत्व
बगराम एयरबेस न केवल अफगानिस्तान के सैन्य और राजनीतिक संतुलन का केंद्र रहा है, बल्कि इसकी भौगोलिक स्थिति चीन, रूस, ईरान और मध्य एशिया पर नजर रखने के लिए भी महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह क्षेत्र सलांग सुलंग के निकट है, जो काबुल को उत्तरी और पश्चिमी अफगानिस्तान से जोड़ता है। इस एयरबेस पर नियंत्रण का मतलब अफगानिस्तान के एक बड़े हिस्से पर रणनीतिक पकड़ बनाना है। हाल ही में, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया कि उनका प्रशासन बगराम एयरबेस को फिर से कब्जाने की दिशा में काम कर रहा है।
ट्रंप की आलोचना और सैन्य संपत्ति का मुद्दा
ट्रंप ने 2021 में अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी को लेकर जो बिडेन की आलोचना की है, यह कहते हुए कि इससे अमेरिकी सैन्य संपत्ति तालिबान के हाथों में चली गई। उन्होंने कहा कि उन्होंने वहां छोड़ी गई सभी सैन्य सामग्री को सुरक्षित तरीके से वापस लाना चाहिए था। ट्रंप ने यह भी कहा कि यह उनके देश के इतिहास का सबसे शर्मनाक पल था।
चीन के साथ संबंध और बगराम का भविष्य
चीन के निकटता के कारण बगराम अमेरिका के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक केंद्र बन गया है। ट्रंप ने दावा किया कि यह दुनिया के सबसे बड़े हवाई अड्डों में से एक है, जिसमें 3,600 मीटर लंबा रनवे है, जो मालवाहक और बमवर्षक विमानों को उड़ाने में सक्षम है। हालांकि, तालिबान ने इस आरोप का खंडन किया है कि इस एयरबेस पर चीन का नियंत्रण है।