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अफगानिस्तान में भूकंप के बाद महिलाओं की मदद में चुनौतियाँ: तालिबान के नियमों का प्रभाव

अफगानिस्तान में हाल ही में आए भूकंप ने महिलाओं की स्थिति को और भी गंभीर बना दिया है। तालिबान के कठोर नियमों के कारण, महिलाएं बचाव कार्यों से वंचित रह जाती हैं, जिससे उनकी मदद में बाधाएँ उत्पन्न होती हैं। इस लेख में हम देखेंगे कि कैसे भूकंप के बाद की स्थिति ने महिलाओं के प्रति भेदभाव को उजागर किया है और वैश्विक समुदाय को क्या कदम उठाने की आवश्यकता है।
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अफगानिस्तान में भूकंप के बाद महिलाओं की मदद में चुनौतियाँ: तालिबान के नियमों का प्रभाव

अफगानिस्तान में भूकंप और महिलाओं की स्थिति

अफगानिस्तान में भूकंप के बाद की चुनौतियाँ: हाल ही में आए भूकंप ने अफगानिस्तान में व्यापक तबाही मचाई है, जिससे न केवल जान-माल का नुकसान हुआ है, बल्कि महिलाओं के प्रति प्रचलित रूढ़िवाद और पाबंदियों ने उनकी सहायता को और भी कठिन बना दिया है। तालिबान के सख्त नियमों के कारण, महिलाएं अक्सर बचाव कार्यों से बाहर रह जाती हैं या उन्हें बाद में सहायता मिलती है। कई स्थानों पर महिला बचावकर्मियों की कमी के चलते, मलबे में फंसी महिलाएं मदद से वंचित रह जाती हैं.


शिक्षा और सार्वजनिक जीवन में पाबंदियाँ
तालिबान के शासन के चार साल बाद, अफगान महिलाओं को शिक्षा, रोजगार और सार्वजनिक जीवन में गंभीर पाबंदियों का सामना करना पड़ रहा है। भूकंप के बाद बचाव कार्यों में मुख्य रूप से पुरुष ही शामिल थे, और महिलाओं को अक्सर नजरअंदाज किया गया। न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में, एक महिला बबी आयशा ने बताया कि उन्हें बचाव दल ने एक कोने में इकट्ठा कर दिया और उनकी मदद करना भूल गए। 19 वर्षीय आयशा समेत कई महिलाओं और किशोरियों को चिकित्सा सहायता नहीं मिली, जिससे कुछ घायल रह गईं.


महिलाओं के शरीर को छूने पर पाबंदी
मजबूरन, मृत महिलाओं को उनके कपड़ों से खींचकर बाहर निकाला गया क्योंकि पुरुष बचावकर्मियों के लिए महिलाओं के शरीर को छूना वर्जित था। मजार दारा में एक स्वयंसेवक तहजीबुल्लाह मुहजिब ने बताया कि महिलाओं को अदृश्य मान लिया गया और पुरुषों व बच्चों को प्राथमिकता दी गई। यह स्थिति तालिबान के कठोर नियमों और सामाजिक रूढ़ियों का परिणाम है, जो महिलाओं की स्वतंत्रता और सम्मान को सीमित करती हैं.


शिक्षा में बाधाएँ
तालिबान ने 2001 में अमेरिकी आक्रमण के बाद सत्ता खोने के बाद यह वादा किया था कि उनका शासन पहले जैसा दमनकारी नहीं होगा, लेकिन महिलाओं पर पाबंदियाँ जारी हैं। महिलाओं को छठी कक्षा के बाद स्कूल जाने से रोका जाता है, लंबी दूरी की यात्रा पर पुरुष साथी के बिना जाने की अनुमति नहीं है, और वे अधिकांश नौकरियों से वंचित हैं। इस कारण राहत कार्यों में भी महिला कर्मियों की कमी हो रही है, जिससे बचाव कार्य प्रभावित हो रहे हैं.


भूकंप के बाद की स्थिति और भविष्य की चुनौतियाँ
अफगानिस्तान अभी भी भूकंप के बाद के झटकों से जूझ रहा है, हाल ही में 5.6 तीव्रता का एक झटका आया। इस प्राकृतिक आपदा ने महिलाओं की भेदभावपूर्ण स्थिति को उजागर किया है। बचाव कार्यों में लिंग आधारित भेदभाव और सांस्कृतिक पाबंदियों ने हजारों जीवन को संकट में डाल दिया है। वैश्विक समुदाय और अफगान प्रशासन के लिए यह आवश्यक है कि वे महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान और बचाव में विशेष ध्यान दें ताकि ऐसी त्रासदियों के समय मानवता की रक्षा हो सके.