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अमरुल्लाह सालेह का विवादास्पद दावा: क्या अफगानिस्तान ने विकसित किया परमाणु हथियार?

अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने एक सनसनीखेज दावा किया है कि उन्होंने गुप्त रूप से परमाणु हथियार विकसित किए हैं। उनके इस बयान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय में हलचल मचा दी है। सालेह ने अमेरिका को धोखा देने और अपने वैज्ञानिकों को बलि का बकरा बनाने की बात भी कही है। क्या यह एक व्यंग्य है या वास्तविकता? जानें इस विवादास्पद मुद्दे के बारे में अधिक जानकारी।
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अमरुल्लाह सालेह का विवादास्पद दावा: क्या अफगानिस्तान ने विकसित किया परमाणु हथियार?

अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हलचल

अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने एक चौंकाने वाला दावा किया है, जिसने वैश्विक राजनीति और सुरक्षा एजेंसियों में हलचल मचा दी है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि उन्होंने गुप्त रूप से परमाणु हथियार विकसित किए और अमेरिकी कांग्रेस के प्रतिबंधों से बचने में सफल रहे।


सालेह का चौंकाने वाला बयान

सालेह, जो तालिबान विरोधी विचारधारा के लिए जाने जाते हैं, ने अपने बयान में कहा कि उन्होंने अमेरिका को कई बार धोखा दिया। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि उन्होंने अपने परमाणु वैज्ञानिकों को बलि का बकरा बनाकर खुद को बचाने की योजना बनाई।


अमेरिका को गुमराह करने का आरोप

उन्होंने लिखा, 'मैंने गुप्त रूप से परमाणु हथियार बनाए और अमेरिकी कांग्रेस के विधेयकों से बच निकला। मैंने परमाणु बाजार का विस्तार किया और संभावित प्रतिबंधों से निपटने के लिए दोहरे उपयोग वाली तकनीक की सूची बनाई। जब मुझे दोषी पाया गया, तो मैंने अपने मुख्य परमाणु वैज्ञानिक को बलि का बकरा बनाया।' यह बयान अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए चौंकाने वाला है, क्योंकि अफगानिस्तान को परमाणु शक्ति से लैस देश नहीं माना जाता।


अमेरिका को धोखा देने की स्वीकार्यता

सालेह ने आगे कहा, 'मैंने कई मौकों पर अमेरिका को धोखा दिया। मैंने अपने कार्यों का श्रेय लेने से मना कर दिया और अपने परमाणु कार्यक्रम को किसी अन्य व्यक्ति के साहसिक कार्य के रूप में पेश किया।' यह बयान वैश्विक नियमों और नीतियों के उल्लंघन का संकेत देता है।


तालिबान के खिलाफ मुखरता

सालेह 2020 में राष्ट्रपति अशरफ गनी के अधीन अफगानिस्तान के पहले उपराष्ट्रपति बने। तालिबान के काबुल पर कब्जा करने के बाद, उन्हें देश छोड़ना पड़ा। उन्होंने तालिबान विरोधी अभियान जारी रखा, लेकिन अंततः ताजिकिस्तान में शरण ली। सालेह भारत के समर्थक रहे हैं और पाकिस्तान की आलोचना में हमेशा मुखर रहे हैं।


क्या यह एक व्यंग्य है?

हालांकि कुछ विश्लेषकों का मानना है कि सालेह की यह पोस्ट व्यंग्यात्मक हो सकती है, लेकिन उनके शब्दों का खुलापन चिंता का विषय बन चुका है। इसे हल्के में लेना किसी भी देश के लिए उचित नहीं होगा।