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अमावस्या पर श्रद्धालुओं ने पिंडारा तीर्थ में स्नान किया

अषाढ़ माह की अमावस्या पर पांडू पिंडारा स्थित पिंडतारक तीर्थ पर श्रद्धालुओं ने स्नान किया और पितरों के लिए पिंडदान किया। इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने सुखद भविष्य की कामना की। महाभारत काल से इस स्थान का पितृ विसर्जन के लिए विशेष महत्व है। आषाढ़ अमावस्या को पितृ दोष से मुक्ति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। जानें इस धार्मिक स्थल की विशेषताएं और श्रद्धालुओं की आस्था के बारे में।
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अमावस्या पर श्रद्धालुओं ने पिंडारा तीर्थ में स्नान किया

श्रद्धालुओं ने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया


(Jind News) जींद। अषाढ़ माह की अमावस्या के अवसर पर पांडू पिंडारा स्थित पिंडतारक तीर्थ पर श्रद्धालुओं ने सरोवर में स्नान किया और पितरों के लिए पिंडदान किया। श्रद्धालुओं ने सुखद भविष्य की कामना की। मंगलवार शाम से ही श्रद्धालुओं का आगमन शुरू हो गया था, और रातभर धर्मशालाओं में सत्संग और कीर्तन का आयोजन होता रहा। बुधवार सुबह से श्रद्धालुओं ने स्नान और पिंडदान का कार्य शुरू किया, जो दोपहर के बाद तक जारी रहा। इस अवसर पर दूर-दूर से आए श्रद्धालुओं ने अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया और सूर्य देव को जल अर्पित कर सुख-समृद्धि की प्रार्थना की।


पिंडतारक तीर्थ का महत्व

पिंडतारक तीर्थ के बारे में मान्यता है कि महाभारत युद्ध के बाद पांडवों ने अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए यहां 12 वर्षों तक तप किया। सोमवती अमावस्या के दिन युद्ध में मारे गए परिजनों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया गया। तभी से यह स्थान पितृ विसर्जन के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। विशेषकर सोमवती अमावस्या पर यहां पिंडदान का विशेष महत्व है।


आषाढ़ अमावस्या का महत्व

पितृ दोष से मुक्ति के लिए आषाढ़ अमावस्या को महत्वपूर्ण माना गया


यहां पिंडदान करने के लिए विभिन्न प्रांतों से श्रद्धालु आते हैं। श्रद्धालुओं ने यहां खरीददारी भी की। जयंती देवी मंदिर के पुजारी नवीन शास्त्री ने बताया कि आषाढ़ अमावस्या को पितृ दोष से मुक्ति के लिए महत्वपूर्ण माना गया है। इसे आषाढ़ी अमावस्या या हल हलहारिणी अमावस्या भी कहा जाता है।


इस तिथि को विशेष माना जाता है। कृष्ण पक्ष की चौदहवीं तिथि के बाद चंद्रमा और सूर्य मंडल में प्रवेश करते हैं, जिससे यह अमावस्या कहलाती है। आषाढ़ अमावस्या के दिन स्नान, दान और पितरों का तर्पण करने से जीवन में खुशहाली बनी रहती है। इसलिए इस दिन श्रद्धानुसार जरूरतमंदों को दान देना शुभ माना जाता है।