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अमित शाह की अध्यक्षता में वाराणसी में मध्य क्षेत्रीय परिषद की बैठक

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज वाराणसी में मध्य क्षेत्रीय परिषद की 25वीं बैठक की अध्यक्षता करेंगे। इस बैठक में चार राज्यों के मुख्यमंत्रियों और वरिष्ठ मंत्रियों की भागीदारी होगी। बैठक का उद्देश्य विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करना है, जिसमें महिलाओं और बच्चों के खिलाफ दुष्कर्म के मामलों की त्वरित जांच और अन्य क्षेत्रीय विकास से जुड़े विषय शामिल हैं। जानें इस बैठक के बारे में और क्या महत्वपूर्ण निर्णय लिए जा सकते हैं।
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अमित शाह की अध्यक्षता में वाराणसी में मध्य क्षेत्रीय परिषद की बैठक

मध्य क्षेत्रीय परिषद की 25वीं बैठक

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज वाराणसी में मध्य क्षेत्रीय परिषद की 25वीं बैठक का संचालन करेंगे। इस बैठक में सदस्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ-साथ प्रत्येक राज्य से दो वरिष्ठ मंत्री भी शामिल होंगे। इसके अलावा, राज्य सरकार के मुख्य सचिव और अन्य उच्च अधिकारी तथा केंद्र सरकार के वरिष्ठ प्रतिनिधि भी इस बैठक में भाग लेंगे। मध्य क्षेत्रीय परिषद में छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश शामिल हैं। यह बैठक गृह मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत अंतर-राज्य परिषद सचिवालय द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार के सहयोग से आयोजित की जा रही है.


क्षेत्रीय परिषदों की स्थापना का इतिहास

राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 की धारा 15 से 22 के तहत पांच क्षेत्रीय परिषदों की स्थापना की गई थी। केंद्रीय गृह मंत्री इन परिषदों के अध्यक्ष होते हैं, जबकि सदस्य राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री/उप-राज्यपाल/प्रशासक इसके सदस्य होते हैं। इनमें से एक राज्य का मुख्यमंत्री उपाध्यक्ष के रूप में कार्य करता है। प्रत्येक सदस्य राज्य से राज्यपाल द्वारा दो मंत्रियों को परिषद का सदस्य नामित किया जाता है। हर क्षेत्रीय परिषद ने मुख्य सचिवों के स्तर पर एक स्थायी समिति का गठन किया है, जो राज्यों द्वारा प्रस्तावित मुद्दों पर चर्चा करती है.


61 बैठकें, 11 वर्षों में

पिछले 11 वर्षों में, सभी राज्य सरकारों, केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों के सहयोग से विभिन्न क्षेत्रीय परिषदों की कुल 61 बैठकें आयोजित की गई हैं। ये परिषदें राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर चर्चा करती हैं, जैसे महिलाओं और बच्चों के खिलाफ दुष्कर्म के मामलों की त्वरित जांच के लिए विशेष न्यायालयों का कार्यान्वयन, प्रत्येक गांव में बैंकिंग सुविधाओं की उपलब्धता, आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली का कार्यान्वयन, और पोषण, शिक्षा, स्वास्थ्य, विद्युत, शहरी योजना और सहकारिता व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण से संबंधित मुद्दे.