Newzfatafatlogo

अमित शाह ने 2010 में गुजरात से बाहर रहने के कारणों का किया खुलासा

अमित शाह ने हाल ही में एक इंटरव्यू में 2010 में गुजरात से बाहर रहने के अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि कैसे सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले में उन्हें दो साल तक राज्य छोड़ने के लिए मजबूर किया गया। शाह ने मीडिया की गलतफहमियों और बेल एप्लिकेशन के लंबी प्रक्रिया पर भी चर्चा की। इसके अलावा, उन्होंने विपक्ष पर नैतिकता का पाठ न पढ़ाने की बात कही और 130वें संविधान संशोधन विधेयक के महत्व पर भी प्रकाश डाला।
 | 
अमित शाह ने 2010 में गुजरात से बाहर रहने के कारणों का किया खुलासा

अमित शाह का इंटरव्यू

सोमवार को एक साक्षात्कार में, अमित शाह ने बताया कि किन कारणों से उन्हें 2010 में गुजरात छोड़ना पड़ा था। सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले की सुनवाई के दौरान, अदालत को संदेह था कि तब के गृहमंत्री शाह सबूतों को प्रभावित कर सकते हैं। इसी कारण उनके वकील ने अदालत को आश्वस्त किया कि शाह स्वयं गुजरात छोड़ देंगे। इस निर्णय के चलते, उन्हें दो साल तक राज्य से बाहर रहना पड़ा।


मीडिया की गलतफहमियां

अमित शाह ने स्पष्ट किया कि उस समय मीडिया में कई गलत सूचनाएं फैलाई गई थीं, जैसे कि जस्टिस आफताब आलम उनके घर आए और दस्तखत लिए। शाह ने कहा कि यह सब गलत था। असल में, जस्टिस आलम ने केवल यह टिप्पणी की थी कि शाह सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं। इसके जवाब में, उनके वकील ने अदालत को भरोसा दिलाया कि जब तक बेल एप्लिकेशन पर निर्णय नहीं आता, शाह खुद गुजरात से बाहर रहेंगे।


बेल एप्लिकेशन का लंबा समय

दो साल तक खिंचा बेल एप्लिकेशन

शाह ने बताया कि भारतीय न्यायिक इतिहास में किसी बेल एप्लिकेशन को इतना लंबा समय नहीं लगा। आमतौर पर, बेल याचिका पर 11 दिन में निर्णय होता है, लेकिन उनके मामले में यह दो साल तक लटका रहा। उन्होंने इसे राजनीतिक साजिश बताया और कहा कि अंततः अदालत ने भी माना कि यह मामला राजनीतिक प्रतिशोध का था और उन्हें निर्दोष करार दिया गया।


नैतिकता पर विपक्ष पर तंज

'विपक्ष न सिखाए नैतिकता का सबक'

इस दौरान, अमित शाह ने अपने इस्तीफे का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि जैसे ही सीबीआई का समन मिला, उन्होंने तुरंत गृहमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। बेल मिलने के बाद भी, उन्होंने कोई संवैधानिक पद नहीं लिया, जब तक कि मामला पूरी तरह से समाप्त नहीं हो गया। शाह ने विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जब उन्होंने नैतिकता के आधार पर पद छोड़ा था, तो विपक्ष उन्हें नैतिकता का पाठ न पढ़ाए।


130वें संविधान संशोधन विधेयक पर शाह का बयान

130वें संविधान संशोधन विधेयक पर क्या कहा?

उन्होंने कहा कि सरकार का 130वां संविधान संशोधन विधेयक जनता के विश्वास और संवैधानिक नैतिकता को बनाए रखने के लिए है। इसमें प्रावधान है कि यदि कोई सांसद या विधायक गंभीर अपराधों में 30 दिन से अधिक जेल में रहता है, तो उसकी सदस्यता समाप्त हो जाएगी। शाह ने स्पष्ट किया कि यह नियम सभी पर लागू होगा, चाहे वह सत्तापक्ष का हो या विपक्ष का। उन्हें विश्वास है कि यह बिल संसद से पारित होगा।