अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के बीच 8.5 अरब डॉलर का समझौता: चीन को मिलेगी चुनौती

अमेरिका-ऑस्ट्रेलिया समझौता
वाशिंगटन: अमेरिका और चीन के बीच चल रहे व्यापारिक तनाव के बीच, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। ट्रंप ने व्हाइट हाउस में ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज के साथ एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस 8.5 अरब डॉलर की डील के तहत, ऑस्ट्रेलिया अमेरिका को 'रेयर अर्थ मिनरल्स' (दुर्लभ खनिज) की आपूर्ति करेगा, जिसके बदले में अमेरिका ऑस्ट्रेलिया को न्यूक्लियर सबमरीन (परमाणु पनडुब्बी) प्रदान करेगा।
पीएम अल्बनीज ने इस मुलाकात के बाद कहा कि यह डील दोनों देशों के संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि यह समझौता चीन की पकड़ को कमजोर करेगा, जो अब तक इस बाजार में प्रमुख रहा है। आधुनिक तकनीकी उत्पादों के लिए इन खनिजों की अत्यधिक आवश्यकता होती है।
आंकड़ों के अनुसार, ऑस्ट्रेलिया लीथियम, कोबाल्ट और मैग्नीज के उत्पादन में विश्व में पांचवें स्थान पर है। इन खनिजों का उपयोग सेमीकंडक्टर्स, डिफेंस हार्डवेयर, इलेक्ट्रिक कारों और विंड टरबाइन बनाने में किया जाता है।
हालांकि, खनन में अग्रणी होने के बावजूद, ऑस्ट्रेलिया प्रोसेसिंग में चीन से पीछे है। वर्तमान में, लीथियम और निकेल की रिफाइनिंग में चीन पहले स्थान पर है। ऑस्ट्रेलिया को अपने कुल उत्पादन का लगभग 90 प्रतिशत लीथियम प्रोसेसिंग के लिए चीन भेजना पड़ता है, जिससे चीन को बड़ा लाभ होता है।
इन दुर्लभ खनिजों का उपयोग मिसाइलों और सोलर पैनल बनाने में भी किया जाता है। नई डील के अनुसार, अगले 6 महीनों में ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका मिलकर इस क्षेत्र में 3 अरब डॉलर का निवेश करेंगे।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अमेरिका ऑस्ट्रेलिया से ये खनिज लेकर खुद प्रोसेस करेगा, तो यह चीन से कहीं अधिक विश्वसनीय होगा। चीन के बाहर, ऑस्ट्रेलिया की लिनास बिल्स (Lynas Bills) कंपनी ही रेयर अर्थ मिनरल्स को प्रोसेस करती है। समझौते के तहत, अब यह ऑस्ट्रेलियाई कंपनी अमेरिका के टेक्सास में अपना प्लांट स्थापित करेगी। विश्लेषकों का मानना है कि यह डील चीन के एकाधिकार को एक बड़ा झटका देगी।