अमेरिका का ईरान पर परमाणु हमला: ट्रंप की चेतावनी और वैश्विक तनाव

अमेरिका का ईरान पर हमला: क्या है सच्चाई?
अमेरिका द्वारा ईरान पर किया गया परमाणु हमला 2025 ने अंतरराष्ट्रीय तनाव को एक नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। रविवार की सुबह, अमेरिका और इजराइल की सेनाओं ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु स्थलों—फोर्दो, इस्फहान, और नतांज—पर सटीक हमले किए।
हमले की पुष्टि और ट्रंप की चेतावनी
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इन हमलों की पुष्टि करते हुए कहा कि सभी केंद्र पूरी तरह से नष्ट हो गए हैं। उन्होंने ईरान को चेतावनी दी कि यदि उसने जवाबी कार्रवाई की, तो और हमले किए जाएंगे। यह सैन्य कार्रवाई वैश्विक सुरक्षा और परमाणु खतरे पर बहस को और तेज कर रही है।
हमले की रणनीति और तकनीक
इस ऑपरेशन में अमेरिकी सेना ने B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स और 30,000 पाउंड के ‘बंकर-बस्टर’ बमों का उपयोग किया। ये बम जमीन के अंदर स्थित लक्ष्यों को भेदने में सक्षम हैं। फोर्दो के पर्वतीय क्षेत्र में स्थित परमाणु संयंत्र पर इन बमों से हमला किया गया। इसके अलावा, अमेरिकी पनडुब्बियों ने 30 ‘टॉमहॉक’ मिसाइलें दागीं, जो जमीनी लक्ष्यों को नष्ट करने में माहिर हैं। ट्रंप ने वॉर रूम से हर कदम की निगरानी की। यह हमला सटीकता और शक्ति का प्रदर्शन था।
ईरान की प्रतिक्रिया
ईरान के परमाणु ऊर्जा संगठन ने फोर्दो, इस्फहान, और नतांज पर हमलों की पुष्टि की है। संगठन ने यह भी कहा कि वे अपने वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों की मेहनत से फिर से खड़े होंगे। ईरान ने इन हमलों को ‘दुश्मनों की साजिश’ बताया। ट्रंप ने चेतावनी दी कि यदि ईरान ने जवाबी कार्रवाई की, तो अमेरिका और भी सख्त कदम उठाएगा।
वैश्विक प्रभाव और ट्रंप का बयान
व्हाइट हाउस में राष्ट्र को संबोधित करते हुए ट्रंप ने कहा कि ईरान के पास दो विकल्प हैं—शांति या त्रासदी। उन्होंने पिछले आठ दिनों की तुलना में और गंभीर परिणामों की चेतावनी दी। सोशल मीडिया पर ट्रंप ने लिखा कि फोर्दो, इस्फहान, और नतांज पर हमले सफल रहे। यह ऑपरेशन अमेरिका की आक्रामक विदेश नीति को दर्शाता है। वैश्विक समुदाय इस हमले के दीर्घकालिक प्रभावों पर चर्चा कर रहा है।