अमेरिका का ईरान पर हमला: ऑपरेशन मिडनाइट हैमर का विवरण

अमेरिका का साजिशबद्ध हमला
22 जून 2025 को अमेरिका ने "ऑपरेशन मिडनाइट हैमर" के तहत ईरान के तीन प्रमुख परमाणु स्थलों - फोर्डो, नटान्ज़, और इस्फहान - पर हमला किया। इस मिशन में सात बी-2 स्पिरिट स्टील्थ बमवर्षक विमानों का उपयोग किया गया, जो मिसौरी से उड़ान भरकर लगभग 18 घंटे में ईरान पहुंचे और वापस लौटे।इस हमले की योजना में एक धोखा भी शामिल था, जिसमें एक नकली मिशन प्रशांत महासागर की दिशा में दिखाया गया, जिससे ईरानी रक्षा तंत्र भ्रमित हो गया। असली हमले के लिए बी-2 विमानों ने बिना रुके ईरान की सीमा तक पहुँचकर तीन नाभिकीय ठिकानों को निशाना बनाया।
इस कार्रवाई में केवल बी-2 विमानों का ही नहीं, बल्कि 125 अमेरिकी विमानों (जिनमें रिफ्यूलिंग, टैंकर, फाइटर, ISR आदि शामिल थे), एक अमेरिकी पनडुब्बी से छोड़े गए टॉमहॉक क्रूज़ मिसाइल, और 14 "बंकर बस्टर" GBU-57 बमों का भी इस्तेमाल किया गया।
जून 22 की रात लगभग 02:30 (IRST) पर बमवर्षकों और मिसाइलों ने हमला शुरू किया। फोर्डो और नटान्ज़ में भारी क्षति हुई, जबकि इस्फहान में मिसाइल समर्थन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कुल मिलाकर, यह ऑपरेशन बी-2 की दूसरी सबसे लंबी मुकाबला उड़ान थी।
पेंटागन ने इसे "सीमित एवं गैर-विस्तारित कार्रवाई" बताते हुए कहा कि इसका उद्देश्य केवल ईरान के परमाणु कार्यक्रम को अस्थायी रूप से बाधित करना था, न कि युद्ध की शुरुआत करना। रक्षा सचिव पिट हेग्सेथ और जनरल डैन केन ने इसे "सामरिक सफलता" बताया, हालांकि पूर्ण क्षति का आकलन अभी बाकी है।
हमले के बाद, ट्रंप ने चेतावनी दी कि यदि ईरान शांत नहीं हुआ, तो भविष्य में और बड़े हमले हो सकते हैं। ईरान ने प्रमुख क्षति से इनकार करते हुए प्रतिशोध की बात की है, जिससे वैश्विक तनाव बढ़ गया है; संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने विशेष बैठक बुलाई है।