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अमेरिका का दोहरा चेहरा: क्वाड दस्तावेज में आतंकवाद का मुद्दा गायब

अमेरिका का दोहरा चेहरा एक बार फिर उजागर हुआ है, जब क्वाड समूह के संदर्भ में जारी दस्तावेज में आतंकवाद का मुद्दा गायब पाया गया। भारत ने हाल ही में गंभीर आतंकी हमलों का सामना किया है, और अमेरिका का यह रुख भारत की चिंताओं को नजरअंदाज करता है। कूटनीतिक जानकारों का मानना है कि यह स्थिति अमेरिका की दोगली नीति को दर्शाती है। जानें इस मुद्दे पर और क्या कहा गया है।
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अमेरिका का दोहरा चेहरा: क्वाड दस्तावेज में आतंकवाद का मुद्दा गायब

अमेरिका का दोहरा चरित्र

नई दिल्ली: अमेरिका, जो वैश्विक स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई का समर्थन करता है, का दोहरा चेहरा एक बार फिर उजागर हुआ है। हाल ही में क्वाड समूह के संदर्भ में अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा जारी एक दस्तावेज ने भारत की चिंताओं को नजरअंदाज करते हुए ट्रंप प्रशासन की मंशा पर सवाल उठाए हैं। इस दस्तावेज में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा, आर्थिक विकास, तकनीकी सहयोग और मानवीय सहायता जैसे मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई है, लेकिन 'आतंकवाद' जैसे गंभीर विषय पर चुप्पी साधी गई है। यह दस्तावेज ऐसे समय में आया है जब भारत ने इस वर्ष पहलगाम और लाल किले के पास गंभीर आतंकी हमलों का सामना किया है, और क्वाड सदस्य ऑस्ट्रेलिया भी बोंडी बीच पर आतंकवाद का शिकार हुआ है।


क्वाड बैठक में अमेरिका का अलग रुख

अमेरिका का यह रुख चौंकाने वाला है, क्योंकि इसी महीने 4 और 5 दिसंबर 2025 को नई दिल्ली में आयोजित क्वाड काउंटर टेररिज्म वर्किंग ग्रुप (CTWG) की बैठक में अमेरिका का सुर बिल्कुल अलग था। उस बैठक में अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया ने एकजुट होकर सीमा पार आतंकवाद की निंदा की थी और 10 नवंबर को लाल किले के पास हुए आतंकी हमले के दोषियों को सजा दिलाने का संकल्प लिया था। लेकिन जब आधिकारिक दस्तावेज जारी करने की बारी आई, तो अमेरिका ने चतुराई से आतंकवाद के मुद्दे को नजरअंदाज कर दिया। कूटनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह अमेरिकी नीति मंच पर समर्थन देने और दस्तावेजों में मुद्दे को गायब करने के बीच के दोगलेपन को दर्शाती है।


भारत के लिए चिंता का विषय

इस वर्ष भारत आतंकवाद के गंभीर जख्मों से गुजरा है। 22 अप्रैल 2025 को कश्मीर के पहलगाम में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने 25 पर्यटकों और एक स्थानीय नागरिक की धर्म पूछकर हत्या कर दी थी। जुलाई में हुई क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक में अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने इस घटना की निंदा की थी। उस समय भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने स्पष्ट किया था कि भारत अपनी जनता की सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जाएगा, जिसके बाद भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' को अंजाम दिया था। उस समय ऐसा लगा था कि अमेरिका भारत के साथ मजबूती से खड़ा है, लेकिन नए दस्तावेज ने यह साबित कर दिया है कि अमेरिका की कथनी और करनी में बड़ा अंतर है।


क्वाड की प्राथमिकताओं पर सवाल

ताजा घटनाक्रम से यह स्पष्ट होता है कि इंडो-पैसिफिक को आतंकवाद मुक्त बनाने के जो वादे बैठकों में किए जाते हैं, वे अमेरिकी प्रशासन की प्राथमिकता सूची में गंभीरता से शामिल नहीं हैं। क्वाड के संयुक्त बयानों में जिस तरह से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद (बिना नाम लिए) और पहलगाम हमले का उल्लेख किया गया था, वह इस नए दस्तावेज से गायब है, जो भारत के लिए चिंता का विषय है। ट्रंप प्रशासन का यह रवैया न केवल क्वाड की मूल भावना के विपरीत है, बल्कि यह आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई को कमजोर करने वाला भी है।