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अमेरिका का वीटो: गाजा संकट पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का प्रस्ताव अस्वीकृत

गाजा में संकट बढ़ता जा रहा है, जबकि अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव पर वीटो का प्रयोग किया है। इस प्रस्ताव में तत्काल युद्धविराम की मांग की गई थी, जिसे 14 देशों का समर्थन मिला था। अमेरिका ने इसे खारिज करते हुए कई खामियों का हवाला दिया। इस पर फिलिस्तीनी और अरब प्रतिनिधियों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। जानें इस मुद्दे पर और क्या कहा गया है।
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अमेरिका का वीटो: गाजा संकट पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का प्रस्ताव अस्वीकृत

गाजा संकट की स्थिति

अमेरिका का वीटो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में: गाजा में संकट कम होने का नाम नहीं ले रहा है। इजरायल ने अपने हमलों को और तेज कर दिया है। इसी बीच, अमेरिका ने युद्धविराम की मांग करने वाले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव पर अपने वीटो का प्रयोग किया है।


संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का प्रस्ताव

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के निर्वाचित सदस्यों द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव को लगभग सर्वसम्मति से पारित किया गया था, जिसमें 15 में से 14 सदस्यों ने समर्थन दिया। इस प्रस्ताव में 'तत्काल, बिना शर्त और स्थायी युद्धविराम' की मांग की गई थी, साथ ही हमास द्वारा बनाए गए बंधकों की रिहाई का भी आह्वान किया गया था। लेकिन अमेरिका ने इस पर वीटो लगा दिया।


अमेरिका का दृष्टिकोण

अमेरिका का पक्ष क्या है?

मध्य पूर्व के लिए अमेरिका के विशेष उप-दूत मॉर्गन ऑर्टागस ने इस प्रस्ताव पर वाशिंगटन के रुख का बचाव करते हुए कहा कि इसमें कई खामियां हैं। उन्होंने बताया कि यह हमास की निंदा करने या इजरायल के आत्मरक्षा के अधिकार को मान्यता देने में असफल है। इसके अलावा, यह हमास को लाभ पहुंचाने वाले गलत आख्यानों को वैध ठहराता है। अमेरिका के इस वीटो के बाद, फ़िलिस्तीनी और अरब प्रतिनिधियों ने इसकी कड़ी आलोचना की। फ़िलिस्तीनी दूत रियाद मंसूर ने कहा कि इस कदम ने परिषद की विश्वसनीयता को कमजोर किया है। उन्होंने चेतावनी दी कि वीटो शक्ति 'जब अत्याचार के अपराध दांव पर हों, तब नहीं दी जानी चाहिए।'


फिलिस्तीन के गंभीर आरोप

फिलिस्तीन ने गंभीर आरोप लगाए

अल्जीरिया के संयुक्त राष्ट्र राजदूत अमर बेंडजामा ने फ़िलिस्तीनी लोगों से माफी मांगते हुए कहा कि दुनिया अधिकारों की बात करती है, लेकिन फ़िलिस्तीनी इससे वंचित हैं। उन्होंने कहा कि हमारी ईमानदार कोशिशें इस अस्वीकृति की दीवार के सामने चकनाचूर हो गईं। इस बीच, इजरायल के संयुक्त राष्ट्र दूत डैनी डैनन ने सैन्य अभियान का बचाव किया और वाशिंगटन के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इजरायल को गाजा में अपनी कार्रवाइयों के लिए 'किसी औचित्य' की आवश्यकता नहीं है। यह वोटिंग संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 80वीं वर्षगांठ के अवसर पर की गई।